अपडेटेड 22 May 2025 at 11:03 IST
न सुई, न एक बूंद ब्लड की जरूरत, हैदराबाद में भारत का पहला AI बेस्ड Blood Test शुरू; कुछ ही सेकेंड में आ जाएगी रिपोर्ट
भारत ने स्वास्थ्य तकनीक के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाई है। हैदराबाद के निलोफर अस्पताल में देश का पहला ऐसा ब्लड टेस्ट शुरू हुआ है, जो बिना सुई और बिना खून लिए सिर्फ 20 से 60 सेकंड में रिपोर्ट देता है।
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AI Blood Test India: भारत ने स्वास्थ्य तकनीक के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाई है। हैदराबाद के निलोफर अस्पताल में देश का पहला ऐसा ब्लड टेस्ट शुरू हुआ है, जो बिना सुई और बिना खून लिए सिर्फ 20 से 60 सेकंड में रिपोर्ट देता है। यह टेस्ट एक खास मोबाइल ऐप से किया जाता है, जिसमें चेहरे की स्कैनिंग के जरिए जरूरी हेल्थ डेटा निकाला जाता है।
इस तकनीक को हेल्थ-टेक स्टार्टअप QuickVitals ने तैयार किया है और इसका नाम है 'अमृत स्वस्थ भारत'। इसे हाल ही में निलोफर अस्पताल के रेड हिल्स परिसर में लॉन्च किया गया है। यह ऐप चेहरे को स्कैन कर ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन लेवल, हार्ट रेट, सांस लेने की दर, तनाव स्तर और यहां तक कि हिमोग्लोबिन जैसे पैरामीटर भी चेक करता है।
फेस स्कैनिंग करके करेगा सारे टेस्ट
इस टेक्नोलॉजी में फेस स्कैनिंग और फोटोप्लेथिस्मोग्राफी (PPG) नाम की तकनीक का इस्तेमाल होता है, जो त्वचा के नीचे खून के बहाव को देखकर हेल्थ डेटा इकट्ठा करती है। खास बात यह है कि न तो इसमें किसी सुई की जरूरत है और न ही खून की एक बूंद की। QuickVitals के संस्थापक हरीश बिसम के मुताबिक, 'अब हेल्थ चेकअप सेल्फी लेने जितना आसान हो गया है। हमारी कोशिश है कि देश के दूरदराज और वंचित इलाकों में भी लोग जल्दी और सुरक्षित जांच करा सकें।'
यह तकनीक खासतौर पर महिलाओं और बच्चों के लिए बनाई गई है। निलोफर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. रवि कुमार ने कहा कि यह सुविधा गर्भवती महिलाओं और बच्चों में बीमारियों का जल्दी पता लगाने में मदद करेगी। पारंपरिक ब्लड टेस्ट से अलग ये ऐसी तकनीक है जो त्वचा के माध्यम से FACE के स्वास्थ्य मापदंडों का आकलन करती है जैसे:
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- रक्तचाप
- ऑक्सीजन संतृप्ति (SpO2)
- हृदय दर
- श्वसन दर
- हृदय गति परिवर्तनशीलता (एचआरवी)
- हिमोग्लोबिन a1c
- तनाव स्तर
- पल्स श्वसन भागफल (PRQ)
- सहानुभूति और परानुकंपी तंत्रिका तंत्र गतिविधि
एनीमिया जैसी बीमारियों को तुरंत पकड़ेगा
डॉ. संतोष क्रालेट (राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग) ने बताया कि इससे एनीमिया जैसी छुपी हुई बीमारियों की भी समय पर पहचान हो सकेगी, जो अक्सर गरीब और ग्रामीण महिलाओं में रह जाती हैं।
इस सिस्टम में मरीजों का डेटा पूरी तरह सुरक्षित रहता है और सिर्फ डॉक्टरों से ही शेयर होता है। आने वाले वक्त में इसे बाकी सरकारी अस्पतालों और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में भी लागू करने की योजना है।
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Published By : Nidhi Mudgill
पब्लिश्ड 22 May 2025 at 11:03 IST