अपडेटेड 16 December 2024 at 12:53 IST
राज्यसभा में निर्मला सीतारमण का वार- नेहरू सरकार ने 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' पर लगाई थी रोक
भारत एक लोकतांत्रिक देश जो आज भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गर्व करता है, लेकिन नेहरू सरकार ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया था।
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Discussion on Constitution: राज्यसभा में संविधान पर दो दिवसीय चर्चा की शुरुआत सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की। वित्त मंत्री ने कहा- कांग्रेस पार्टी परिवार और वंशवाद की मदद करने के लिए बेशर्मी से संविधान में संशोधन करती रही। ये संशोधन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों की रक्षा के लिए थे। इस प्रक्रिया का इस्तेमाल परिवार को मजबूत करने के लिए किया गया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में संविधान की 75 साल की यात्रा को ऐतिहासिक बताते हुए नेहरू सरकार पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 1950 में सुप्रीम कोर्ट ने 'क्रॉस रोड्स' और आरएसएस की संगठनात्मक पत्रिका 'ऑर्गनाइजर' के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसके बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने संविधान में पहला संशोधन किया। निर्मला सीतारमण ने कहा कि संविधान लागू होने के एक साल के भीतर, नेहरू की अंतरिम सरकार ने पहला संशोधन लाकर नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया। उनका दावा है कि यह कदम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने और स्वतंत्र पत्रकारिता पर नियंत्रण के लिए उठाया गया था। सीतारमण ने संविधान में समय-समय पर हुए संशोधनों को देश की प्रगति और जरूरतों के अनुरूप बताया, लेकिन शुरुआती संशोधनों पर सवाल खड़े किए।
नेहरू सरकार में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा- निर्मला
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाहरलाल नेहरू की अगुआई वाली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा- ‘1950 में सुप्रीम कोर्ट ने कम्युनिस्ट पत्रिका "क्रॉस रोड्स" और आरएसएस की संगठनात्मक पत्रिका ’ऑर्गनाइजर' के पक्ष में फैसला सुनाया था। लेकिन इसके जवाब में, (तत्कालीन) अंतरिम सरकार ने सोचा कि पहले संविधान संशोधन की आवश्यकता है और इसे कांग्रेस द्वारा लाया गया था। यह मूल रूप से स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए था। भारत एक लोकतांत्रिक देश जो आज भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गर्व करता है, लेकिन पहली अंतरिम सरकार को एक संविधान संशोधन के साथ आते देखा जिसका उद्देश्य भारतीयों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना था और वह भी संविधान को अपनाने के एक साल के भीतर।'
'किस्सा कुर्सी का' फिल्म पर लगाया था प्रतिबंध- निर्मला सितारमण
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- 'मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी दोनों को 1949 में जेल में डाल दिया गया था। 1949 में मिल मजदूरों के लिए आयोजित एक बैठक के दौरान मजरूह सुल्तानपुरी ने एक कविता पढ़ी जो जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ लिखी गई थी और इसलिए उन्हें जेल जाना पड़ा। उन्होंने इसके लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया और उन्हें जेल में डाल दिया गया। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का कांग्रेस का रिकॉर्ड इन दो लोगों तक ही सीमित नहीं है। 1975 में माइकल एडवर्ड्स द्वारा लिखी गई एक राजनीतिक जीवनी 'नेहरू' पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने 'किस्सा कुर्सी का' नामक फिल्म पर भी सिर्फ इसलिए प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे पर सवाल उठाया गया था।'
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Published By : Nidhi Mudgill
पब्लिश्ड 16 December 2024 at 12:53 IST