Published 14:45 IST, October 21st 2024
स्वतंत्रता आंदोलन के भूले-बिसरे नायकों की भूमिका को उजागर करें अगली पीढ़ी के इतिहासकार: धनखड़
उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि अगली पीढ़ी के इतिहासकारों को भारत के स्वाधीनता आंदोलन के भूले-बिसरे नायकों की भूमिका को उजागर करना चाहिए।
उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि अगली पीढ़ी के इतिहासकारों को भारत के स्वाधीनता आंदोलन के भूले-बिसरे नायकों की भूमिका को उजागर करना चाहिए।
उप राष्ट्रपति ने अलीगढ़ स्थित राजा महेन्द्र प्रताप विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय एक ऐसी हस्ती की याद में स्थापित किया गया है जो ‘‘वास्तव में भारत के स्वाधीनता आंदोलन के भूले-बिसरे नायक हैं।’’
उन्होंने आह्वान करते हुए कहा, ‘‘अगली पीढ़ी के इतिहासकारों को भारत के स्वाधीनता आंदोलन के ऐसे नायकों की भूमिका को उजागर करना चाहिये जिन्हें समय के साथ भुला दिया गया है।’’
धनखड़ ने कहा, ‘‘राजा महेन्द्र प्रताप 20वीं सदी के महान स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने भारत की आजादी और देश में आधुनिक शिक्षा के लिये अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उनके नाम पर विश्वविद्यालय स्थापित किया जाना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राजा महेन्द्र प्रताप वर्ष 1915 में काबुल में निर्वासन में बनी भारत की पहली अस्थायी सरकार के संस्थापक थे। अपनी जिंदगी का एक लंबा समय निर्वासन में गुजारने वाले राजा महेन्द्र प्रताप भारत की आजादी के लिये निरंतर संघर्ष करते रहे।’’
उप राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘राजा महेन्द्र प्रताप आधुनिक शिक्षा के भी बड़े पैरोकार थे। उन्होंने मथुरा में प्रेम महाविद्यालय नाम से एक शिक्षण संस्थान स्थापित किया था और उन्होंने इसके लिये काफी जमीन भी दान की थी।’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अलीगढ़ के लोधा खंड में स्थित राजा महेन्द्र प्रताप विश्वविद्यालय का 14 सितंबर 2021 को शिलान्यास किया था।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Updated 14:45 IST, October 21st 2024