अपडेटेड 4 November 2024 at 14:27 IST
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अब्दुल रहीम राथर जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के वरिष्ठ नेता और चरार-ए-शरीफ से सात बार के विधायक अब्दुल रहीम राथर को सोमवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का पहला अध्यक्ष चुना गया। सदन के नेता और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राथर (80) अपने व्यापक अनुभव के कारण इस पद के लिए ‘‘स्वाभाविक पसंद’’ हैं।
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नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के वरिष्ठ नेता और चरार-ए-शरीफ से सात बार के विधायक अब्दुल रहीम राथर को सोमवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का पहला अध्यक्ष चुना गया। सदन के नेता और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राथर (80) अपने व्यापक अनुभव के कारण इस पद के लिए ‘‘स्वाभाविक पसंद’’ हैं। उन्होंने कहा कि राथर ने पहले भी विभिन्न पदों पर रहते हुए सदन की गरिमा को बढ़ाया है और अब सदन के संरक्षक के रूप में ‘‘हम आपसे सभी सदस्यों के साथ न्याय करने की उम्मीद करते हैं।’’
विपक्षी दलों द्वारा इस पद के लिए चुनाव न लड़ने का फैसला किए जाने के बाद राथर (80) को ध्वनि मत से अध्यक्ष चुना गया। ‘प्रोटेम स्पीकर‘ मुबारक गुल ने चुनाव का संचालन किया। कृषि मंत्री जावेद अहमद डार ने पांच दिवसीय सत्र के पहले दिन राथर को अध्यक्ष पद के लिए नामित करने का प्रस्ताव पेश किया और नेकां के विधायक रामबन अर्जुन सिंह राजू ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
इसके बाद सदन के नेता उमर अब्दुल्ला और विपक्ष के नेता सुनील शर्मा (भाजपा) राथर को अध्यक्ष की कुर्सी तक लेकर गए। राथर इससे पहले, पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं। वह 2002 से 2008 तक उस समय विपक्ष के नेता भी थे, जब ‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी’ (पीडीपी)-कांग्रेस गठबंधन सरकार ने राज्य में शासन किया था।
सदन की छह साल से अधिक के अंतराल के बाद सोमवार को बैठक हुई। विधानसभा का आखिरी सत्र जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने से एक साल पहले 2018 की शुरुआत में बुलाया गया था। अध्यक्ष के चुनाव के बाद अब्दुल्ला ने अपने संबोधन में पूरे सदन की ओर से राथर को बधाई दी।
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नेकां नेता ने कहा, ‘‘आप सदन के इस पद के लिए स्वाभाविक पसंद थे। यही कारण है कि इस पद के लिए आपके नामांकन के खिलाफ एक भी आवाज नहीं उठी। आपके अनुभव से सभी परिचित हैं। आप महबूबा मुफ्ती को छोड़कर हर मुख्यमंत्री के कार्यकाल में इस सदन के सदस्य रहे हैं।’’
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि आप विपक्षी सदस्यों को भी समर्थन और मदद देंगे ताकि यह सदन सुचारू रूप से चल सके। हम इस सदन के कामकाज के दौरान आपका पूरा सहयोग करेंगे।’’ विपक्ष के नेता शर्मा ने भी राथर को अध्यक्ष पद संभालने पर बधाई दी।
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भाजपा नेता ने कहा, ‘‘सबसे पहले, मैं विपक्ष की ओर से अपनी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। लंबे समय के बाद विधानसभा का फिर से गठन हुआ है। यह हमारा सौभाग्य है कि लोगों ने इस सदन में अपने प्रतिनिधि भेजे हैं और इसने आपको संरक्षक के रूप में चुना है।’’
उन्होंने कहा कि सदन के सदस्यों को अध्यक्ष से बहुत उम्मीदें हैं। शर्मा ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि आप अपने व्यापक अनुभव का उपयोग इस सदन को चलाने में करेंगे। आपने सदन में लंबा समय बिताया है। आप सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों में बैठे हैं इसलिए हमें उम्मीद है कि आप न्याय करेंगे।’’
विपक्ष के नेता ने कहा कि सदन के सदस्य जनता के मुद्दे उठाएंगे और उन्होंने आशा व्यक्त की कि अध्यक्ष तटस्थ व्यवहार करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘जिस पार्टी (भाजपा) से हम आते हैं, वहां हमें अनुशासन सिखाया जाता है। मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि हम अनुशासन का पालन करेंगे लेकिन इसे किसी भी तरह से हमारी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए।’’
कांग्रेस विधायक गुलाम अहमद मीर ने राथर को बधाई देते हुए कहा कि वह स्वाभाविक पसंद हैं क्योंकि सदन में किसी के पास उनके जैसा अनुभव नहीं है। कुलगाम से विधायक एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता एम वाई तारिगामी ने कहा कि सदन के सदस्यों को जनादेश सिर्फ एक-दूसरे से लड़ने के लिए नहीं मिला है, उन्हें समाधान भी ढूंढना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू एवं कश्मीर भंवर में फंसा हुआ है। हमें इससे बाहर निकलने का रास्ता ढूंढना होगा।’’ ‘पीपुल्स कॉन्फ्रेंस’ के विधायक सज्जाद लोन ने कहा कि जब पिछली बार सदन की बैठक हुई थी तब जम्मू-कश्मीर एक राज्य था लेकिन अब यह केंद्र शासित प्रदेश है।
उन्होंने कहा कि वह कोई कड़वी बात नहीं कहना चाहते, लेकिन उन्होंने निर्वाचन क्षेत्रों के दौरे के दौरान विधायकों से परामर्श न करने के लिए मंत्रिपरिषद की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे युवा मंत्री सरकार के जरिए पार्टी चला रहे हैं। अगर कोई मंत्री दौरे पर जा रहा है, तो विधायकों को साथ क्यों नहीं ले जाया जाता? राज्य का दर्जा पाने की शक्ति इस सदन के प्रति सम्मान दिखाने से ही मिलती है।’’ विधानसभा सत्र के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए।
Published By : Ritesh Kumar
पब्लिश्ड 4 November 2024 at 14:27 IST