अपडेटेड 16 October 2024 at 09:22 IST

J&K: उमर अब्दुल्ला के लिए कांटों भरा होगा ताज! बदले हालात में नई तरह की चुनौतियों का करना होगा सामना

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बहुमत से ज्यादा 48 सीटें हासिल कीं। इसके बाद उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में सरकार बनने जा रही है।

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National Conference Vice President Omar Abdullah
जम्मू कश्मीर में उमर अब्दुल्ला सीएम पद की शपथ लेने वाले हैं। | Image: Facebook

Omar Abdullah: आर्टिकल 370 के निरस्त होने और पूर्व राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने के बाद जम्मू कश्मीर में पहली निर्वाचित सरकार होगी। जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेकेएनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला आज श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में होगा। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा यहां उमर अब्दुल्ला और उनके मंत्रिपरिषद को पद की शपथ दिलाएंगे।

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 48 सीटें हासिल कीं, जिसमें एनसी ने 42 और कांग्रेस ने सिर्फ 6 सीटें जीतीं। हाल ही में जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को हटा दिया गया, जिससे केंद्र शासित प्रदेश में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के बाद नई सरकार के गठन का रास्ता साफ हो गया। नतीजन नई सरकार का शपथ ग्रहण हो रहा है। हालांकि उमर अब्दुल्ला के लिए जम्मू कश्मीर का ताज कांटों भरा रहेगा। वो इसलिए कि जम्मू कश्मीर में हालात बदले के मुकाबले बिल्कुल उलट हैं। उनके सामने नए माहौल में नई तरह की कई चुनौतियां हैं।

उमर अब्दुल्ला को करना होगा चुनौतियों का सामना

चुनौतियों में सबसे पहले तो यही कि जम्मू कश्मीर में मुख्यमंत्री के पास पूर्ण अधिकार नहीं होंगे। ऐसे में फैसले लेना तो आसान होगा, लेकिन उन्हें लागू कराने के लिए मशक्कत करनी होगी। इसको ऐसे समझिए कि जम्मू कश्मीर में उमर अब्दुल्ला की सरकार बहुत हद तक उपराज्यपाल के जरिए केंद्र के नियंत्रण में रहेगी। ऐसे में उमर अब्दुल्ला के लिए कोई कानून पास कराने के लिए बहुत कुछ नहीं है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की तरह यहां भी उपराज्यपाल के पास बहुत ताकत रहेगी और  मुख्यमंत्री को उसके मातहत के रूप में ही काम करना होगा। एक मामूली ट्रांसफर भी उमर अब्दुल्ला नहीं कर सकते हैं।

सरकार में आने के बाद अधिकार के बंधनों के बीच उमर अब्दुल्ला के सामने दूसरी चुनौती रहेगी कि वो जनता को अहसास दिला पाएं कि सत्ता और शासन उनके करीब है। इसको समझना होगा कि जब उन्हें लोगों ने अपना नेता चुना है तो जनता की उम्मीदों का बोझ भी उन्हीं पर ही होगा।

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उमर अब्दुल्ला को राजनीति विरासत में मिली

जम्मू कश्मीर में सीएम पद की शपथ लेने वाले उमर अब्दुल्ला को सियासत विरासत में मिली। उमर अब्दुल्ला के दादा शेख मोहम्मद अब्दुल्ला भारत में विलय के बाद जम्मू-कश्मीर के पहले प्रधानमंत्री बने और बाद में मुख्यमंत्री भी रहे। उमर के पिता फारूक अब्दुल्ला तीन बार पूर्ववर्ती राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पूर्व सांसद उमर अब्दुल्ला 2009-2015 के बीच पूर्ववर्ती राज्य (जम्मू कश्मीर) के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने 2001 से 2002 तक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की NDA सरकार में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री के रूप में भी काम किया था।

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Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 16 October 2024 at 09:22 IST