अपडेटेड 9 June 2024 at 17:09 IST

'मैं ईश्वर को साक्षी मानकर', जानिए PM क्यों लेते हैं शपथ, क्या है नियम और अगर तोड़ा तो...

नरेंद्र मोदी बतौर तीसरे बार शपथ लेने वाले हैं। उनके साथ ही एनडीए गठबंधन के कई सांसद भी केंद्रय मंत्री पद की शपथ लेंगे।

Follow : Google News Icon  
narendra modi oath ceremony
narendra modi oath ceremony | Image: X- BJP

Narendra Modi Oath Ceremony: मैं नरेंद्र दोमोदर दास मोदी ईश्वर की शपथ लेता हूं कि मैं विधि द्वारा स्‍थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्‍ठा रखूंगा। मैं भारत की प्रभुता और अखंडता को अक्षुण्‍ण रखूंगा। मैं संघ के प्रधानमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक एवं शुद्ध अंत:करण से निर्वहन करुंगा। तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करुंगा।

मैं नरेंद्र दामोदर दास मोदी ईश्वर की शपथ लेता हूं कि जो विषय संघ के प्रधानमंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा, उसे किसी भी व्‍यक्ति या व्‍यक्तियों को तब के सिवाय जबकि प्रधानमंत्री के रूप में रूप में अपने कर्तव्यों के संवहन निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो। मैं प्रत्यक्ष या अप्रत्क्ष रूप से संसूचित या प्रकाट नहीं करुंगा।

आज शाम 7:15 बजे नरेंद्र मोदी इन्‍हीं लाइनों को दोहराते हुए दिखेंगे। नरेंद्र मोदी बतौर PM तीसरी बार शपथ लेने वाले हैं। उनके साथ ही एनडीए गठबंधन के कई सांसद भी केंद्रय मंत्री पद की शपथ लेंगे। इस बेहद खास एवं ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने देश-दुनिया से बड़े नेता एवं मेहमान दिल्ली आए हैं। ऐसे में हर किसी के मन में विचार आ रहा होगा कि शपथग्रहण आखिरकार इतना महत्वपूर्ण क्यों होता है? प्रधानमंत्री, मंत्री, विधायक, पंच या सरपंच आखिर किस बात की शपथ लेते हैं? संविधान में शपथ ग्रहण को लेकर नियम क्या हैं? तो आईए सारे सवालों का जवाब विस्‍तार से देते हैं।

क्यों लेते हैं पद की शपथ

Advertisement

सांसद, विधायक, प्रधानमंत्री व मंत्रियों को पदभार ग्रहण करने से पहले भारत के संविधान के प्रति श्रद्धा रखने की शपथ उठानी होती है। जब तक सांसद अथवा विधायक शपथ नहीं लेते हैं, तब वे किसी भी सरकारी काम में हिस्सा नहीं ले सकते हैं।

न ही उन्हें सदन में सीट आवंटित होगी और न सदन में बोलने दिया जाएगा। यानी वो निर्वाचित जरूर हुए पर सांसद नहीं माने जाएंगे। वो सदन को कोई नोटिस नहीं दे सकेंगे और न ही कोई मुद्दा उठा सकेंगे। यहां तक कि उनको वेतन एवं सुविधाएं भी नहीं मिलेंगी।

Advertisement

शपथ में होती हैं ये अहम चीजें

पद की गरिमा बनाए रखने, ईमानदारी व निष्पक्षता से काम करने और हर हाल में देश की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने की शपथ दिलाई जाती है। शपथ हिंदी, अंग्रेजी सहित किसी भी भारतीय भाषा में की जा सकती है।

शपथ के क्या है नियम

  • संविधान के अनुच्छेद 60 में राष्ट्रपति के शपथ की पूरी जानकारी दी गई।
  • अनुच्छेद 75 (4) में प्रधानमंत्री व मंत्रियों के शपथ के प्रारूप की बात कही गई है।
  • अनुच्छेद 99 में संसद के सभी सदस्यों के ग्रहण के नियमों की जानकारी है।
  • अनुच्छेद 124 (6) में सुप्रीम कोर्ट के जजों की शपथ ग्रहण के नियम दिए गए हैं।
  • अनुच्छेद 148 (8) नियंत्रक महालेखा परीक्षक के शपथ ग्रहण के नियम हैं।
  • संविधान में अलग-अलग अनुच्छेद में दिए गए नियमों से ये तो साफ हो जाता है कि लोकतंत्र में शपथ एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।

अगर तोड़ा शपथ तो...

शपथ लेने वाला व्यक्ति अगर गोपनीयता की मर्यादा भंग करते हैं तो उन्‍हें हटाने के लिए भी एक खास प्रक्रिया होती है, जिसे महाभियोग कहा जाता है। 

इसे भी पढ़ें- चश्मे का शीशा तोड़ काटा प्राइवेट पार्ट, बिहार के जेल में चीनी नागरिक ने की खुदकुशी की कोशिश

Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 9 June 2024 at 13:52 IST