अपडेटेड 19 June 2024 at 18:56 IST

300 कमरे, 7 बड़े हॉल... 1600 साल पुराना है इतिहास... 20 से ज्यादा देशों को स्टूडेंट्स आते थे पढ़ने

नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का पीएम मोदी ने उद्घाटन किया है। इसका इतिहास 160 साल पुराना है।

Follow : Google News Icon  
Nalanda University New Campus Inauguration
नालंदा यूनिवर्सिटी | Image: X

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया है। इस मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहे। बता दें, नालंदा यूनिवर्सिटी दुनिया के पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है। विश्वविद्यालय का खास इतिहास रहा है।

नालंदा विश्वविद्यालय ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रीज से 600 साल पुराना है। यहां ऐसे विषयों को पढ़ाया जाता है, जो दुनिया में अन्य कहीं नहीं पढ़ाया जाता था। भारत की ये धरोहर बख्तियार खिलजी के भेंट चढ़ गई। इस यूनिवर्सिटी में करीब 300 से ज्यादा कमरें थे। इसके अलावा 7 बड़े-बड़े हॉल भी थे। यहां की लाइब्रेरी सबसे खास थी।

तीन महीनों तक जलती रही किताबें

कहा जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी नौ मंजिल की थी, जिसका नाम धर्मगूंज था। 5वीं सदी में गुप्त काल के शासक सम्राट गुप्त प्रथम ने 5वीं सदी में इसका निर्माण कराया था। हालांकि, 12वीं सदी में बख्तियार खिलजी ने इसके पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था। खिलजी ने इस विश्व विद्यालय में आग लगवा दी। यहां की लाइब्रेरी में इतनी किताबें थी कि तीन महीने तक ये जलता रहा। 7वीं सदी तक नालंदा यूनिवर्सिटी काफी प्रसिद्धि हासिल कर चुका था। नालंदा यूनिवर्सिटी बौद्ध मठ का हिस्सा था, जिसकी सीमा 57 एकड़ जमीन में फैली हुई थी।

20 देशों से स्टूडेंट्स आते थे पढ़ने

यहां धार्मिक ग्रंथों के अलावा लिट्रेचर, थियोलॉजी, लॉजिक, मेडिसिन, फिलोसॉफी, एस्ट्रोनॉमी जैसे विषयों का गहन अध्ययन कराया जाता था। इस वजह से करीब 20 देशों के स्टूडेंट्स यहां पढ़ने के लिए आया करते थे। करीब 10 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स यहां पढ़ने के लिए आया करते थे।

Advertisement

कहा जाता है कि आर्यभट्ट ने नालंदा विश्वविद्यालय का नेतृत्व किया था। यहां के विद्वान और सर्वश्रेष्ठ प्रोफेसर चीन, कोरिया, जापान, इंडोनेशिया और श्रीलंका जैसे देशों में बौद्ध शिक्षाओं और दर्शन के प्रचार के लिए भेजे जाते थे। यहां की लाइब्रेरी में 90 लाख से ज्यादा हस्तलिखित, ताड़-पत्र पांडुलिपियां थी। 

ज्ञान का भंडार कहा जाता था नालंदा यूनिवर्सिटी

नालंदा यूनिवर्सिटी को ज्ञान का भंडार कहा जाता था। यहां इतनी किताबें थी, जिसे गिन पाना भी मुश्किल हो। 12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी ने इसे जला दिया था। आज कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड जैसी यूनिवर्सिटी का बहुत नाम है, लेकिन इन विश्विद्यालयों के आने से 600 साल पहले नालंदा यूनिवर्सिटी बन चुका था। 

Advertisement

इसे भी पढ़ें: ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज से भी 600 साल पहले बना था नालंदा विश्वविद्यालय, 1600 साल पुराना है इतिहास

Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 19 June 2024 at 17:15 IST