Published 08:14 IST, September 5th 2024
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद: फिर SC पहुंचा मुस्लिम पक्ष, इलाहाबाद HC के इस फैसले को दी चुनौती
मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें HC ने निचली अदालत से ट्रांसफर की गई कुल 18 याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना था।
अखिलेश राय
Krishna Janmabhoomi Case: मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़ी कुल 18 याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के दिए फैसले को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह की तरफ से दाखिल याचिका में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान समेत सभी हिंदू पक्षकारों को पार्टी बनाया गया है।
मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 1 अगस्त 2024 को दिए उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें HC ने निचली अदालत से ट्रांसफर की गई कुल 18 याचिकाओं को सुनवाई योग्य (मेंटेनेबल) माना था।
हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल है कैविएट
1 अगस्त को हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद हिन्दू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट पिटीशन दाखिल कर दी थी। कैविएट में हिन्दू पक्ष की तरफ से कहा गया है कि मुस्लिम पक्ष की याचिका पर कोई आदेश पारित करने से पहले उसका भी पक्ष सुना जाए।
हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की तरफ से दाखिल याचिका में आर्डर 7 रूल 11 (मेंटेनेबिलिटी), प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, वक्फ ऐक्ट, लिमिटेशन एक्ट को आधार बनाकर सभी 18 याचिकाओं को हाई कोर्ट से खारिज किए जाने की मांग की थी। मामले को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में चली लंबी सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने सभी याचिकाओं को सुनवाई योग्य (मेंटेनेबल) माना।
पहले भी मुस्लिम पक्ष SC में दाखिल कर चुका है याचिकाएं
जान लें कि मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले मे इससे पहले भी मुस्लिम पक्ष याचिकाएं दाखिल कर हाई कोर्ट के फैसलों को चुनौती दी है। जब हाई कोर्ट ने मथुरा की जिला अदालत से सभी याचिकाओं को सुनवाई के लिए अपने पास मंगा लिया था, तब उस फैसले को भी मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में मुस्लिम पक्ष को कोई राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पर भी रोक नहीं लगाया। इसके बाद जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शाही मस्जिद का सर्वे कराए जाने का आदेश दिया तो उसे भी मुस्लिम पक्ष की ओर से शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई। इसके बाद कोर्ट ने अमीन सर्वे पर अंतरिम रोक लगा दिया था।
क्या है जन्मभूमि विवाद?
यह विवाद करीब 350 साल से भी ज्यादा पुराना है। मुगल शासक औरंगजेब के समय से इस विवाद की शुरुआत मानी जाती है। इतिहासकारों के मुताबिक 1670 ई. में औरंगजेब के शाही फरमान के बाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि को तोड़ा गया था और इस जमीन पर शाही मस्जिद बनाई गई। इतिहासकारों ने इतावली यात्री मनूची के लेख का भी जिक्र किया है, जिसमें इस घटना का वर्णन है।
फिलहाल इसमें कुल 13.37 एकड़ जमीन के हिस्से के मालिकाना हक को लेकर विवाद है। वर्तमान में इस जमीन का 11 एकड़ हिस्से में भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर बना है जबकि 2.37 एकड़ जमीन शाही मस्जिद के कब्जे में है। हिन्दू पक्ष का दावा है कि शाही मस्जिद के हिस्से की जमीन ही भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है।
Updated 08:14 IST, September 5th 2024