अपडेटेड 22 August 2025 at 16:34 IST

मुगल काल में जमीन की कमी नहीं थी फिर भी मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को तोड़ने की जरूरत क्यों पड़ी? प्रमोद कृष्णम ने विस्तार से समझाया

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि मुगल काल में जमीन की कमी नहीं थी फिर भी मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को तोड़ने की जरूरत क्यों पड़ी? जानें क्या है इसके पीछे की वजह।

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Acharya Pramod Krishnam
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने रिपब्लिक भारत के कार्यक्रम संवाद में शिरकत की | Image: Republic

Acharya Pramod Krishnam: आचार्य प्रमोद कृष्णम ने रिपब्लिक भारत के कार्यक्रम संवाद में शिरकत की। इस कार्यक्रम में मनोरंजन जगत से लेकर राजनीति जगत की कई बड़ी हस्तियों ने शिरकत की। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपने बयान में इतिहास की गहराई से खोज करने की बात कही और सनातन धर्म की महत्ता पर जोर दिया। 

कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि, भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म पर हमले होते रहे। मस्जिदों के नीचे मंदिरों की खोज पर उन्होंने अपनी राय दी है। उन्होंने कहा कि मुगल काल में जमीन की कमी नहीं थी फिर भी मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को तोड़ने की जरूरत क्यों पड़ी? आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि भारत इसलिए गुलाम रहा, क्योंकि हमारे बीच कुछ जयचंद मौजूद थे।

संभल में भगवान कल्कि का अवतार- प्रमोद कृष्णम 

प्रमोद कृष्णम ने संभल का भी जिक्र किया, उन्होंने कहा कि संभल के एक गांव में भगवान का अवतार है। उन्होंने आगे कहा कि, श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार संभल नामक स्थान पर भगवान विष्णु का अंतिम अवतार कल्कि होगा और जहां भगवान का अवतार होगा, वही स्थान धाम कहलाएगा। उनके अनुसार, संभल को पवित्र शहर माना जाता है और इसका जिक्र पुराणों में भी है। 

संभल और राम मंदिर का जिक्र करते हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, ‘18 साल की तपस्या, 18 साल का संघर्ष, और किस बात के लिए? ये हमारी आस्था का सवाल था। जहां भगवान आए, वहां धाम बनना चाहिए। हमारी इस लड़ाई को शक्ति देने का काम अगर किसी व्यक्ति ने किया, तो उनका नाम नरेंद्र मोदी है। मैं ऐसा इसलिए नहीं कह रहा, क्योंकि मैं उनका प्रशंसक रहा हूं। मैं तो उनका सबसे बड़ा आलोचक रहा हूं। मैंने फैसला किया था कि मैं मरते दम तक कांग्रेस नहीं छोड़ूंगा। जब राम के द्वार से राम जन्म भूमि के प्राण प्रतिष्ठा का न्योता आया तो मैंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से कहा कि ये बहुत सौभाग्य की बात है कि राम के द्वार से न्योता आया है। कांग्रेस ने मुझे मना किया और कहा कि अगर आप गए तो आपका निष्कासन हो जाएगा। इसपर मैंने कहा कि गवान राम के लिए 100 बार निष्कासन मंजूर है। मैं राम जन्मभूमि के प्राण प्रतिष्ठा में जरूर जाऊंगा, और मैं गया।’

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सनातन को मिटाने की कोशिश 1000 साल तक हुई, लेकिन सनातन नहीं मिटा। क्योंकि ये मेड बाय ह्यूमन नहीं है। ये परमात्मा के द्वारा बनाई गई प्रकृति के द्वारा प्रदत्त किया गया धर्म है। सूरज का धर्म सनातन है। धरती का धर्म सनातन है। आकाश का धर्म सनातन है। ये किसी ने नहीं बनाया। जब तक आकाश में सूर्य रहेगा, तब तक सनातन रहेगा। सनातन ना मिटा है, ना मिटेगा।

‘सनातन को मिटाना मुमकिन नहीं’ 

आचार्य ने कहा कि सनातन को मिटाना मुमकिन नहीं है। जिसका जन्म हुआ, उसका मरना तय है। हमें इसका डर नहीं है कि सनातन को कोई मिटा सकता है, लेकिन जीवन के मूल्यों को सजग रखने के लिए सनातन को जागृत करने की जरूरत समय-समय पर पड़ती है। इसलिए, जब भगवान राम रावण की नाभि में बाण मारकर उसका वध करते हैं, तब सनातन जागृत होता है। जब भगवान कृष्ण गीता का उद्घोष करते हैं, तब सनातन जागृत होगा। जब महाराणा प्रताप घास की रोटी खाना स्वीकार करते हैं, लेकिन अकबर के सामने सजदा नहीं करते, तब सनातन जागृत होता है। एक गरीब घर में पैदा हुआ बच्चा भारत के पीएम की कुर्सी पर आसीन होकर राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करने अयोध्या जाता है, तब सनातन जागृत होता है। सनातन मिट जाएगा, इसका हमें डर नहीं है, लेकिन सनातन को समय-समय पर जागृत करना जरूरी होता है।

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इस कार्यक्रम के Sponsors हैं 
𝐏𝐨𝐰𝐞𝐫𝐞𝐝 𝐁𝐲- 𝐂𝐚𝐧𝐚𝐫𝐚 𝐇𝐒𝐁𝐂 𝐥𝐢𝐟𝐞 𝐢𝐧𝐬𝐮𝐫𝐚𝐧𝐜𝐞 - 𝐏𝐫𝐨𝐦𝐢𝐬𝐞𝐬 𝐤𝐚 𝐏𝐚𝐫𝐭𝐧𝐞𝐫

𝐍𝐮𝐭𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐏𝐚𝐫𝐭𝐧𝐞𝐫 - 𝐍𝐄𝐂𝐂

𝐒𝐭𝐚𝐭𝐞 𝐏𝐚𝐫𝐭𝐧𝐞𝐫- उत्तराखंड शासन.

𝐀𝐬𝐬𝐨𝐜𝐢𝐚𝐭𝐞 𝐏𝐚𝐫𝐭𝐧𝐞𝐫- @rudraliferudraksha

𝐀𝐬𝐬𝐨𝐜𝐢𝐚𝐭𝐞 𝐏𝐚𝐫𝐭𝐧𝐞𝐫- 𝐂𝐚𝐬𝐡 𝐠𝐨𝐥𝐝, 𝐂𝐚𝐬𝐡 𝐇𝐚𝐢 𝐓𝐨𝐡 𝐀𝐢𝐬𝐡 𝐇𝐚𝐢

यहां देखें LIVE
R. भारत लाइव टीवी- https://www.republicbharat.com/livetv/

R. भारत यूट्यूब- https://www.youtube.com/RepublicTVBharat

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 22 August 2025 at 16:27 IST