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Published 23:57 IST, October 16th 2024

Marital Rape: SC मैरिटल रेप मामले की सुनवाई 17 अक्टूबर से शुरू करेगा

SC कल इस मामले में सुनवाई शुरू करेगा कि क्या किसी व्यक्ति को अपनी पत्नी (नाबालिग ना हो) के साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाने पर कानूनी संरक्षण मिलना जारी रहना चाहिए।

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BREAKING: Marital Rape Need Not Be Criminalised: Govt To Supreme Court
Marital Rape | Image: X

उच्चतम न्यायालय बृहस्पतिवार को इस प्रश्न से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगा कि क्या किसी व्यक्ति को अपनी पत्नी, जो नाबालिग नहीं है, को उसके साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने पर कानूनी संरक्षण मिलना जारी रहना चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने बुधवार को कहा कि वह बृहस्पतिवार को याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगी।

वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में डालने का अनुरोध करने वाली याचिका पर केंद्र के विरोध के मद्देनजर यह सुनवाई महत्वपूर्ण है।

केंद्र ने शीर्ष अदालत में दलील दी कि अगर किसी व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध को ‘‘बलात्कार’’ के रूप में दंडनीय बना दिया जाता है, तो इससे वैवाहिक संबंधों पर गंभीर असर पड़ सकता है और विवाह नाम की संस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

कुछ वादियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी ने दिन की कार्यवाही के अंत में पीठ के समक्ष इन याचिकाओं का उल्लेख किया, क्योंकि दिन में इनका उल्लेख नहीं किया जा सका था।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘वैवाहिक बलात्कार का मामला सुनवाई के लिए सबसे पहले लिया जाएगा, हम कल से सुनवाई शुरू करेंगे।’’

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जब स्थगन की मांग की, तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह पूर्व निर्धारित मामला है, उन्हें कल से इसे शुरू करने दें। इस मामले को पहले भी कई बार तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेखित किया गया है।’’

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के अपवाद खंड के तहत, जिसे अब निरस्त कर दिया गया है और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है, पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध, यदि पत्नी नाबालिग न हो, बलात्कार नहीं है।

यहां तक कि नये कानून के तहत भी, धारा 63 (बलात्कार) के अपवाद 2 में कहा गया है कि ‘‘पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध, यदि पत्नी 18 वर्ष से कम आयु की न हो, बलात्कार नहीं है।’’

शीर्ष अदालत ने 16 जनवरी 2023 को आईपीसी के उस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था, जो पत्नी के वयस्क होने की स्थिति में पति को जबरन यौन संबंध बनाने पर अभियोजन से संरक्षण प्रदान करता है। न्यायालय ने 17 मई को, इस मुद्दे पर बीएनएस के प्रावधान को चुनौती देने वाली इसी तरह की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था।

केंद्र के अनुसार, इस मामले के कानूनी और सामाजिक निहितार्थ हैं।

इनमें से एक मामला 11 मई 2022 को इस मुद्दे पर दिल्ली उच्च न्यायालय के खंडित फैसले के बाद एक महिला द्वारा दायर अपील है।

फैसला सुनाते हुए, न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर ने याचिकाकर्ताओं को उच्चतम न्यायालय में अपील करने की अनुमति देने पर सहमति व्यक्त की थी, क्योंकि इस मामले में कानून के महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल हैं, जिनपर शीर्ष अदालत द्वारा निर्णय किये जाने की आवश्यकता है।

कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, वैवाहिक बलात्कार के मुकदमे का सामना कर रहे एक व्यक्ति द्वारा एक और याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि पति को अपनी पत्नी के साथ बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध के आरोपों से छूट देना संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) के विरुद्ध है।

याचिकाओं का एक और समूह आईपीसी प्रावधान के खिलाफ दायर जनहित याचिकाएं हैं, जो आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार) के तहत अपवाद की संवैधानिकता को चुनौती देती हैं।

Updated 23:57 IST, October 16th 2024