अपडेटेड 30 May 2025 at 20:36 IST
'पाकिस्तान से 50-50 खत आते थे, मुझे मुसलमान से बहुत प्यार है लेकिन...', साध्वी ममता कुलकर्णी ने ऐसा क्यों कहा?
साध्वी ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) ने कहा कि मुसलमानों के लिए मेरे मन में बहुत प्यार है। और बदले में उन्होंने मुझे बहुत प्यार दिया है। मेरी आध्यात्मिक साधना 25 साल तक चली और मुझे बहुत शांति और प्यार मिला, खासकर दुबई में मेरे समय के दौरान, जहां मैंने एक जगह ध्यान किया। जब मैं बॉलीवुड की सुपरस्टार थी, तो मुझे पाकिस्तान से एक दिन में 50-50 लेटर आते थे।हाँ, मेरे मन में मुसलमानों के लिए गहरा प्यार है। लेकिन मेरे मन में आतंकवादियों के लिए कोई प्यार नहीं है।
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बॉलीवुड अभिनेत्री और साध्वी ममता कुलकर्णी ने कहा कि मुसलमानों के लिए मेरे मन में बहुत प्यार है और बदले में उन्होंने मुझे बहुत प्यार दिया है। मेरी आध्यात्मिक साधना 25 साल तक चली और मुझे बहुत शांति और प्यार मिला, खासकर दुबई में मेरे समय के दौरान, जहां मैंने एक जगह ध्यान किया।
ममता कुलकर्णी ने कहा कि मैंने कह दिया है, चाहे हिन्दू हैं या मुसलमान हैं, हम सब एक हैं। हमारे देश का विभाजन हुआ था, बाकी हमारा खान-पान, वस्त्र सब एक हैं। मुझे सब से प्यार है। जब मैं बॉलीवुड की सुपरस्टार थी, तो मुझे पाकिस्तान से एक दिन में 50-50 लेटर मिलते थे। मेरे मन में मुसलमानों के लिए गहरा प्यार है। लेकिन मेरे मन में आतंकवादियों के लिए कोई प्यार नहीं है।
आतंकवादी ना किसी का पिता होता है, ना किसी का शौहर- ममता कुलकर्णी
उन्होंने कहा कि आतंकवादी, आतंकवादी होता है। आतंकवादी ना किसी का पिता होता है, ना किसी का शौहर होता है, वो सिर्फ एक आतंकवादी होता है। मुस्लमान को प्यार करना, आतंकवादी को प्यार करना नहीं होता है, ये दो अलग-अलग चीजें हैं।
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आतंकवादियों को पहले ही जवाब देना चाहिए था- ममता कुलकर्णी
ममता ने कहा कि मुझे मालूम है, मैंने दुबई में इतने साल तप किया है, उधर आप एक दिन भी ऐसी हरकत नहीं कर सकते हैं, जो हिन्दुस्तानियों ने इतने सालों से झेला है। ये तो अच्छा है, इस वक्त प्रधानमंत्री ने तुरंत इसका प्रसाद उनको दे दिया। काफी पहले देना चाहिए था, तो ये बार-बार नहीं होता।
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कल्किधाम में शिला दान करेंगी साध्वी ममता कुलकर्णी
साध्वी ममता कुलकर्णी ने बताया कि आचार्य प्रमोद कृष्णम ने उन्हें कल्किधाम में शिला दान करने के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि मैं अपने को गौरवांवित महसूस करती हूं, मेरे हाथ से पुण्य का काम हो रहा है। मैं यमाई ममता नंदगिरि, मेरे हाथ से शिलादान हो रहा है तो इससे में अपने को गौरवांवित समझती हूं। वो तो परमात्मा, महाकाल-महाकाली के हाथ में था, मुझे महामंडलेश्वर बनना था उसी कुंभ में, जो पुण्य अवसर था। मेरी 25 साल की तपस्या का फल परमेश्वर को मुझे प्रदान करना था, वो एक निमित मात्र हैं।
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 30 May 2025 at 20:34 IST