अपडेटेड 21 March 2023 at 15:22 IST

जब सेना पर हमला करने वाले थे Major Mohit Sharma! पढ़ें उनके इफ्तिखार भट्ट बनने की कहानी

Iftikhar Bhatt aka Maj Mohit Sharma: मरणोपरांत मेजर मोहित शर्मा को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। मेजर मोहित शर्मा की पत्नी भी सेना की अधिकारी है।

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Major Mohit Sharma: साल 2001 में भारतीय सेना (Indian Army) के एक ऑपरेशन में एक कश्मीरी युवक मारा गया था। इसके बाद उसके भाई ने सेना से बदला लेने की ठान ली। उसने हर कोशिश की कि वह सेना से बदला ले। उसे पता चला कि भारतीय सेना से बदला लेने के लिए उसके सबसे सुरक्षित और सबसे सटीक टारगेट होंगे, आतंकी कमांडर। इन कमांडरों के सहारे वो सेना से बदला लेने की अपनी चाह पूरी कर सकता है। 

उस युवक ने 3 साल की कोशिश में हिजबुल के एरिया कमांडरों से अपनी पकड़ बना ली। युवक का नाम था इफ्तिखार भट्ट। एक गठीला नौजवान, जो भारतीय सेना से बदला लेने के लिए कुछ भी करने को तैयार था। इस युवक ने तब के हिजबुल मुजाहिद्दीन के घाटी के कमांडरों सबजार और तोरारा से अपनी पकड़ बनाई और कुछ ही दिनों में सेना पर हमले का एक ऐसा प्लान बताया, जिसे जान वह सब भौचक्के रह गए। यह प्लान इतना सटीक था कि इसमें ज्यादा से ज्यादा फौजियों को मार गिराया जा सकता था।

इफ्तिखार भट्ट जी हिजबुल के टॉप एरिया कमांडरों तेरारा और सबजार के साथ रह रहा था, क्योंकि इनका भी प्लान था कि घाटी भारतीय फौजियों को ज्यादा से ज्यादा मौत के घाट उतारा जाए। ऐसे में इफ्तिखार का प्लान उनके लिए किसी बड़े चमत्कार से कम नहीं। इसीलिए तोरारा और सबजार ने इफ्तिखार को अपने साथ ले लिया और आगे की प्लानिंग में जुट गए। कुछ दिनों बाद दोनों ने इफ्तिखार को पूरी आतंकी ट्रेनिंग दिलाई और उसे वापस घाटी लेकर आए। आखिरकार वो दिन आ गया था, जब गश्त करते हुए फौजियों की टुकड़ी पर हमला करना था। इससे पहले इन तीनों को हमले को अंजाम देने वाले और भी साथियों से मिलना था।

भरोसा नहीं तो गोली मार दो

मार्च 2004 का समय था, तोरारा और सबजार घाटी में एक गुप्त ठिकाने पर हल्की धूप का आनंद ले रहे थे, अंदर इफ्तिखार कहवा बना रहा था। तभी सबजार के दिमाग में आया कि आखिर यह इफ्तिखार है कौन? क्योंकि इतने समय में भी इफ्तिखार के बारे में उसके नाम के अलावा किसी को कुछ नहीं पता था। हां कुछ लोगों को उसकी सुनाई हुई कहानी के बारे में जानकारी थी। ऐसे में सबजार के दिमाग में आया कि आखिर यह है कौन? जब इस्तेखार कहवा लेकर बाहर आया, तो उसने दो गिलास में कहवा तोरारा और सबजार को दिया और एक गिलास में खुद कहवा लेकर बैठ गया। इसी बीच सबजार ने पूछा कि इफ्तिखार तुम हो कौन?

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यह सुनते ही इस्तेखार ने अपने कंधे पर लटक रही राइफल को जमीन पर फेंका और कहा कि 'भाईजान अगर भरोसा नहीं तो गोली मार दें, लेकिन यह सवाल ना पूछे।' यह सुनते ही दोनों थोड़ा सकते में आ गए। सबजार कुछ कहने के लिए तोरार की तरफ मुड़ा तब तक पीछे से एक पिस्तौल से गोली चली और प्वाइंट ब्लैंक रेंज से पहले सबजार फिर तोरा ढेर हो गया।

दो एरिया कमांडर को ढेर कर कहवा पीने बैठ गया इफ्तिखार

अभी इफ्तिखार ने हिजबुल के 2 खतरनाक एरिया कमांडर को ढेर किया था, जिनके बारे में पूरी घाटी को जानकारी थी। तोरार और सबजार ने कई आतंकियों को हिजबुल के ट्रेनिंग कैंप में भर्ती किया था। ऐसे में वह हिजबुल के टॉप लीडरशिप के सबसे चहेते कमांडर थे। इफ्तिखार ने इन दोनों कमांडरों को ढेर करने के बाद बचा हुआ कहवा अपनी क्लास में लिया और उसे खत्म करने लगे। तब तक भारतीय सेना की पैरा स्पेशल फोर्स की एक टुकड़ी वहां पहुंच गई और इफ्तिखार अब मेजर मोहित शर्मा हो गया।

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दरअसल ये इफ्तिखार भट्ट कोई और नहीं भारतीय सेना की 1-पैरा स्पेशल फोर्स के ऑफिसर मेजर मोहित शर्मा थे, जिन्हें कोवर्ट ऑपरेशन में महारत हासिल थी। उन्होंने फिल्मों में दिखाए जाने वाले भेष बदलकर ऑपरेशन करने की कहानी को सच में साबित कर दिया। मेजर मोहित शर्मा के बारे में यह कहानी एक इंटरव्यू में उनके भाई मधुर शर्मा ने बताई थी। इस स्पेशल ऑपरेशन के बाद मेजर मोहित शर्मा को सेना मेडल से नवाजा गया था। एक इंटरव्यू में बात करते हुए मधुर शर्मा ने कहा था कि जब उन्होंने यह साइटेशन सुनी थी तब उनके रोंगटे खड़े हो गए थे।

कौन थे मेजर मोहित शर्मा?

मेजर मोहित शर्मा हरियाणा के रोहतक के रहने वाले थे। उन्होंने DPS गाजियाबाद से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी। मोहित के भाई मधुर शर्मा सेना में भर्ती होना चाहते थे, ऐसे में उन्होंने कई बार इसके लिए कोशिश की, लेकिन SSB में फेल हो गए। इसके पीछे-पीछे मोहित ने भी अपनी 12वीं के बाद NDA की परीक्षा दी और SSB क्लियर कर ली। इससे पहले मेजर मोहित ने पुणे के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में भी एडमिशन ले लिया था। हालांकि उन्होंने इंजीनियरिंग छोड़ दी और NDA ज्वाइन कर लिया। NDA की 3 साल की ट्रेनिंग के बाद मोहित शर्मा ने अपनी 1 साल की IMA की ट्रेनिंग पूरी की और 5 मद्रास रेजीमेंट में कमीशन हो गए। 3 साल के बाद मेजर मोहित ने पैरा स्पेशल फोर्सेज के लिए और अटेम्प्ट दिया और वहां सेलेक्ट हो गए। 

मेजर मोहित शर्मा को 1 पैरा स्पेशल फोर्सेज के लिए सलेक्ट किया गया था। अपनी प्रोबेशन पूरी करने के बाद उन्होंने कई खतरनाक ऑपरेशंस को अंजाम दिया। 21 मार्च 2008 को मेजर मोहित की टुकड़ी को कुपवाड़ा के जंगलों में कुछ आतंकियों के घुसपैठ की जानकारी मिली थी। जब वह अपनी टीम के साथ वहां पहुंचे, तो आतंकियों के साथ उनकी भारी मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में तीन ओर से मेजर मोहित की टुकड़ी पर गोलियां चलने लगी। ऐसे में उन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए पहले अपने 2 साथियों को बचाया। इस दौरान उन्होंने दो आतंकियों को ढेर कर दिया। इसी बीच एक गोली मेजर मोहित शर्मा के छाती में लगी थी। मेजर मोहित ने बहादुरी से लड़ते हुए दो और आतंकियों को ढेर कर दिया। हालांकि इस दौरान वह शहीद हो गए। मरणोपरांत मेजर मोहित शर्मा को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। मेजर मोहित शर्मा की पत्नी भी सेना की अधिकारी है। वर्तमान में वह लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर सेना को अपनी सेवाएं दे रही हैं।

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Published By : Nripendra Singh

पब्लिश्ड 21 March 2023 at 15:13 IST