अपडेटेड 30 January 2025 at 20:40 IST

महाराष्ट्र के गांव ने ‘गांधी-बाबा यात्रा’ आयोजित कर सात दशक पुरानी परंपरा कायम रखी

महाराष्ट्र के लातूर जिले के एक गांव के लिए यह दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित ‘यात्रा’ या मेले का दिन है।

Follow : Google News Icon  
 Death Anniversary of Mahatma Gandhi
Death Anniversary of Mahatma Gandhi | Image: ANI

गणतंत्र दिवस का ख्याल आते ही मन में राष्ट्रीय राजधानी में भव्य परेड और झांकियों के जुलूस की छवि उभरने लगती है, लेकिन महाराष्ट्र के लातूर जिले के एक गांव के लिए यह दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित ‘यात्रा’ या मेले का दिन है।

अधिकतर गांवों में स्थानीय देवताओं को समर्पित मेले आयोजित किए जाते हैं, लेकिन शिरुर अनंतपाल तहसील के उजेड़ के निवासियों ने 25 से 27 जनवरी तक ‘गांधी-बाबा यात्रा’ का आयोजन कर सात दशक पुरानी अपनी परंपरा को कायम रखा है।

तीन दिनों तक गांव में अपार हर्षोल्लास का माहौल रहा और इस दौरान सड़कें रंग बिरंगे झंडों से सजी रहीं और हर घर के सामने रंग-बिरंगी रंगोली बनाई गई थी। सरपंच नंदिनी जाधव ने गांधी जी की आवक्ष प्रतिमा, जो अन्य दिनों में ग्राम पंचायत कार्यालय में रहती है, को गांव के चौराहे पर लाने के लिए जुलूस का नेतृत्व किया। मेले में कृषि प्रदर्शनी, बच्चों के लिए प्रतियोगिताएं, कुश्ती प्रतियोगिता और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए।

वर्ष 1955 में गांव के बुजुर्गों ने धार्मिक आधार की बजाय एकता, शांति और सद्भाव के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए गणतंत्र दिवस पर गांधीजी की विरासत का जश्न मनाने के उद्देश्य से एक मेला आयोजित करने का फैसला किया। इसके बाद से यह वार्षिक मेला हर साल आयोजित किया जाता रहा है। इस परंपरा का अपवाद केवल वे दो साल रहे जब कोविड-19 महामारी के कारण मेला आयोजित नहीं किया जा सका था।

Advertisement

इसे भी पढ़ें: कब शुरू हुआ था रेल बजट, 92 साल बाद आम बजट के साथ क्यों हुआ मर्ज?

Published By : Deepak Gupta

पब्लिश्ड 30 January 2025 at 20:40 IST