अपडेटेड 9 July 2025 at 17:04 IST
महारानी और सांसद रहीं गायत्री देवी की सुंदरता से क्यों चिढ़ती थीं इंदिरा गांधी? वरिष्ठ पत्रकार ने अपनी किताब में किया था चौंकाने वाला खुलासा
गायत्री देवी की राजनीतिक स्पष्टता और कांग्रेस विरोधी रुख उस दौर में सामने आया, जब नेहरू का कद भारतीय राजनीति में सबसे ऊंचा था। संसद में एक बार जब चीन के मुद्दे पर नेहरू बोल रहे थे, तो गायत्री देवी ने उन्हें बीच में टोक दिया। उन्होंने कहा था, 'अगर आपको कुछ पता होता, तो आज हम इतनी बड़ी मुसीबत में न होते।'
- भारत
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महारानी गायत्री देवी की सुंदरता और शालीनता के किस्से न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर थे। फैशन की इंटरनेशनल 'वोग' मैगजीन ने दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाओं में महारानी गायत्री देवी को जगह दी थी। महारानी गायत्री देवी का सम्मान करने वाले और चाहने वालों की संख्या लाखों में थी। साल 1975 में इंदिरा गांधी की इमरजेंसी महारानी गायत्री देवी के जीवन में काला अध्याय बनकर सामने आया था। आपातकाल के समय गायत्री देवी जयपुर से सांसद थीं। तब उनकी उम्र 56 वर्ष की थी वो उस समय बीमार थीं और उनका मुंबई में इलाज चल रहा था, लेकिन उसके बाद भी उनके ऊपर तस्करी के झूठे आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। ऐशो-आराम में पली-बढ़ी राजकुमारी गायत्री देवी को महिला अपराधियों के साथ दिल्ली की तिहाड़ जेल में बेहद अमानवीय स्थिति में रखा गया था।
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि बचपन में इंदिरा गांधी और गायत्री देवी एक साथ बंगाल के शांति निकेतन स्कूल में क्लासमेट थीं। यानि कि ये दोनों बचपन से ही एक दूसरे को जानती थीं। ऐसे में ये बड़ा सवाल उठता है कि आखिर इंदिरा गांधी ने अपनी बचपन की दोस्त के साथ ऐसा क्यों किया? इस बारे में वरिष्ठ और दिवंगत पत्रकार खुशवंत सिंह का दावा है कि महारानी गायत्री देवी बचपन से ही बहुत खूबसूरत थीं और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उनकी इसी खूबसूरती से जलती थीं।
गायत्री देवी से क्यों जलती थी इंदिरा गांधी? खुशवंत सिंह ने बताई वजह
इंदिरा गांधी गायत्री देवी की खूबसूरती से जलतीं थीं। इस बात का दावा रिपब्लिक भारत नहीं कर रहा है बल्कि ये बात गांधी परिवार के करीबी रहे वरिष्ठ पत्रकार खुशवंत सिंह ने अपनी किताब में लिखी है। इतना ही नहीं खुशवंत सिंह ने इमरजेंसी का खुलकर समर्थन भी किया था। खुशवंत सिंह ने अपनी किताब 'Why I Support the Emergency' के पेज नंबर 35 पर लिखा था, 'गायत्री देवी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कोप का शिकार हुईं। इंदिरा गांधी एक ऐसी महिला को बर्दाश्त नहीं कर सकती थीं जो रंग रूप में उनसे अधिक आकर्षक हो। इंदिरा गांधी ने गायत्री देवी को संसद में 'बिच' और 'कांच की गुड़िया' कहा था। इंदिरा गांधी की सबसे खराब प्रवृत्ति उनका छोटा दिल और बदले की भावना थी जो गायत्री देवी की वजह से सामने आ गई थी। जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल घोषित किया था तब गायत्री देवी उनकी पहली पीड़ित महिलाओं में से एक थीं '
जानिए आयशा के गायत्री देवी बनने तक का सफर
महारानी गायत्री देवी का जन्म 23 मई 1919 को पश्चिम बंगाल के कूच बिहार के राजघराने में हुआ। उनकी मां थीं इंदिरा राजे, जो स्वयं बड़ौदा की राजकुमारी थीं। गायत्री देवी का असली नाम था आयशा, और इसके पीछे भी एक कहानी है। उस दौर में राइडर हैगर्ड की लिखी मशहूर उपन्यास “She: A History of Adventure” बेहद लोकप्रिय थी, जिसमें आयशा नाम की एक रहस्यमयी, जादुई और अति सुंदर रानी की कथा थी। उसी रानी से प्रेरित होकर इंदिरा राजे ने अपनी बेटी का नाम आयशा रखा एक ऐसा नाम, जिसमें रहस्य, शक्ति और सुंदरता का समान मिश्रण था। महज 12 साल की उम्र में जब आयशा की मुलाकात जयपुर के युवराज सवाई मान सिंह द्वितीय से हुई, तो उन्हें पहली नजर में ही दिल दे बैठीं। उस समय मान सिंह 21 वर्ष के थे। 1940 में दोनों का विवाह हुआ, और आयशा बनीं जयपुर की महारानी गायत्री देवी। वह महाराजा मान सिंह की तीसरी पत्नी थीं। गायत्री देवी का सौंदर्य पूरे विश्व में चर्चित था। उनका अनोखा संयमित व्यक्तित्व, स्टाइल, और शालीनता उन्हें 20वीं सदी की सबसे सुंदर महिलाओं में शुमार करता था। उनकी तस्वीरें लंबे समय तक रॉयल एलिगेंस का प्रतीक बनी रहीं।
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गायत्री देवी ने खुलकर इंदिरा की नीतियों का विरोध किया था
साल 1975 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया, तो कई विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। इन नेताओं में एक नाम था जयपुर की राजघराने की महारानी गायत्री देवी का। वे न केवल एक रॉयल हस्ती थीं, बल्कि एक लोकप्रिय और प्रभावशाली राजनीतिक नेता भी थीं। महारानी गायत्री देवी को लगभग छह महीने तक जेल में रखा गया। बताया जाता है कि इंदिरा गांधी और गायत्री देवी के बीच व्यक्तिगत और वैचारिक टकराव था। दोनों क्लासमेट भी रह चुकीं थीं। गायत्री देवी अपनी स्पष्टवादिता, शालीनता और लोकप्रियता के कारण जनता के बीच बहुत सम्मानित थीं, जबकि इंदिरा गांधी उन्हें एक राजशाही प्रतीक मानती थीं जो उनके समाजवादी दृष्टिकोण के खिलाफ थी। गायत्री देवी ने इंदिरा गांधी की नीतियों की खुलकर आलोचना की थी, और यही उनके बीच दुश्मनी की एक बड़ी वजह मानी जाती है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इंदिरा गांधी उन्हें राजनीतिक रूप से खत्म करना चाहती थीं, और आपातकाल ने इसका अवसर दिया।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 9 July 2025 at 17:04 IST