अपडेटेड 29 January 2025 at 14:39 IST
EXPLAINER/ Mahaumbh Stampede: महाकुंभ में अब तक 1954 में मची थी सबसे बड़ी भगदड़, 800 लोगों गवांई थी जान,जानिए कब-कब हुए बड़े हादसे
आजाद भारत में पहली बार साल 1954 में पहली बार कुंभ मेले का आयोजन किया गया था। इस कुंभ में भगदड़ मचने से 800 लोगों ने जान गवाई थी।
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Mahakumbh 2025 Stampede: प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या के दिन अमावस्या स्नान से पहले संगम पर अचानक से भगदड़ मच गई। इस हादसे में कई लोगों के घायल होने की खबर आई। प्रशासन ने मुस्तैदी दिखाते हुए घायलों को इलाज के लिए नजदीकी अस्पतालों में भर्ती करवाया गया। इस भगदड़ के चलते अखाड़ों के शाही स्नान को तत्काल रोक दिया गया हालांकि बाद में स्थिति सामान्य होने पर फिर शुरू कर दिया गया। ये पहला मौका नहीं था जब प्रयागराज के महाकुंभ में ही ऐसी भगदड़ मची हो। इसके पहले भी प्रयागराज की धरती के अलावा नासिक, उज्जैन सहित हरिद्वार में भी ऐसे हादसे देखने को मिले हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगदड़ के बाद वहां आए श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा कि प्रयागराज कि अब स्थिति काबू में है। प्रयागराज में करीब 8-10 करोड़ श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आए हुए हैं ऐसे में संगम नोज की ओर श्रद्धालुओं के आने से लगातार दबाव बना हुआ है। अखाड़ा वाले रास्ते से बैरिकेडिंग लांघने की कोशिश में कुछ श्रद्धालुओं को गंभीर चोटें आई हैं। जिसकी वजह से भगदड़ मची थी हालांकि अब उनको इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया है। आइए आपको बताते हैं कि देश में कब-कब ऐसे बड़े आयोजनों के दौरान भगदड़ मची है।
1954 कुंभ मेला प्रयागराज में भगदड़
महाकुंभ में अब तक अगर हम भगदड़ की घटनाओं की बात करें तो आजाद भारत में पहली बार साल 1954 में पहली बार कुंभ मेले का आयोजन किया गया था। इस मेले में मची भगदड़ के दौरान सबसे ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। 1954 में हुए आजाद भारत के पहले कुंभ मेले को एक त्रासदी के तौर पर भी याद किया जाता है। 3 फरवरी को मौनी अमावस्या के दिन शुभ मौके पर पवित्र स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंची थी। उस समय हुई भगदड़ में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग 800 लोगों की जान गई थी।
1992 में उज्जैन के सिंहस्थ कुंभ में मची थी भगदड़
प्रयागराज में हुई भगदड़ के 38 सालों के बाद मध्य प्रदेश के उज्जैन में आयोजित कुंभ मेले में जोरदार भगदड़ मच गई थी। उज्जैन में उस समय सिंहस्थ कुंभ लगा था। इस भगदड़ के दौरान मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग 50 लोगों की जान चली गई थी। वहीं इसके पहले 1986 में जब उत्तर प्रदेश की सत्ता वीर बहादुर सिंह के हाथों में थी तब भी कुंभ मेले में भगदड़ मची थी जिसमें लगभग 200 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी थी। यहां भी सुरक्षाकर्मियों ने आम लोगों को नदी के किनारे जाने से रोका था जिसके बाद भगदड़ मच गई थी।
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2003 में नासिक कुंभ के दौरान मची थी भगदड़
यूपी के प्रयागराज और मध्य प्रदेश के उज्जैन के अलावा महाराष्ट्र के नासिक में भी कुंभ का आयोजन होता है। साल 2003 में नासिक में हुए कुंभ के आयोजन के मौके पर यहां भी जनता को भगदड़ का सामना करना पड़ा था। 2003 के उस कुंभ में पवित्र स्नान के लिए पहुंचे श्रद्धालु अचानक से गोदावरी नदी के किनारे इकट्ठा हो गए। इस दौरान भगदड़ मच गई इस भगदड़ में कम से कम 39 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था और इस हादसे में 100 से भी ज्यादा लोग घायल हुए थे।
2010 में हरिद्वार में मची थी भगदड़
इसके बाद साल 2010 में हरिद्वार में लगे कुंभ मेले में भी भगदड़ मच गई थी। 14 अप्रैल 2010 में हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेले में अचानक से मची भगदड़ में 7 लोगों की जान चली गई थी। इस कुंभ में हर की पैड़ी में अचानक से भगदड़ मच गई थी। जिसके बाद वहां पहुंचे श्रद्धालु बेकाबू हो गए और वहां पर भगदड़ का माहौल बन गया था।
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2013 में प्रयागराज में फिर मची थी भगदड़
इसके बाद साल 2013 में एक बार फिर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में आयोजित किए गए कुंभ मेले में 10 फरवरी को मौनी अमावस्या की तिथि पर श्रद्धालु इकट्ठा हुए थे। इस दौरान रेलवे स्टेशन पर एक फुटओवर ब्रिज के ढह जाने के बाद भगदड़ मच गई थी। इस हादसे में लगभग 42 लोगों की जान चली गई थी और 45 लोगों के घायल होने की जानकारी सामने आई थी। इसके बाद साल 2025 में एक बार फिर प्रयागराज के संगम नोज पर श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई थी, हालांकि इस बार काफी भीड़ होने के बावजूद प्रशासन ने भीड़ पर काबू कर लिया और कम लोग हताहत हुए।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 29 January 2025 at 14:39 IST