अपडेटेड 18 January 2025 at 19:54 IST

महाकुम्भ में सात करोड़ से अधिक रुद्राक्ष से निर्मित 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए उमड़े भक्त

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के शिव नगरी में सात करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष से निर्मित 12 ज्योतिर्लिंग विशेष रूप से श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहे हैं।

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Mahakumbh Prayagraj 2025
महाकुंभ | Image: ANI

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ मेले के शिव नगरी में सात करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष से निर्मित 12 ज्योतिर्लिंग विशेष रूप से श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहे हैं।

महाकुम्भ के सेक्टर छह में निर्मित प्रत्येक ज्योतिर्लिंग 11 फुट ऊंचा, नौ फुट चौड़ा और सात फुट मोटा है, जिन्हें सात करोड़ 51 लाख रुद्राक्ष की मणियों की माला पहनाई गई है। इन रुद्राक्ष को 10,000 गांवों से पैदल घूम घूमकर भिक्षा में एकत्रित किया गया है।

मौनी बाबा ने खुले आकाश में बने इन ज्योतिर्लिंगों के बारे में ‘पीटीआई-भाषा’ से जानकारी साझा करते हुए बताया, “आतंकवाद के नाश और बांग्लादेशी हिंदुओं की रक्षा की कामना से पूजा अनुष्ठान कर लौह से शिवलिंग को आकार दिया और उन पर रुद्राक्ष की मालाओं को लपेटा गया।”

उन्होंने बताया, “मैंने वर्षों पहले मन में रुद्राक्ष के ज्योतिर्लिंग की स्थापना का संकल्प लिया था। पिछले 37 वर्षों से मैं रुद्राक्ष का शिवलिंग बनाकर पूजा कर रहा हूं। यहां स्थापित ज्योतिर्लिंगों में एक मुखी से लेकर 26 मुखी तक के श्वेत रुद्राक्ष, काले रुद्राक्ष, लाल रुद्राक्ष का उपयोग किया गया है। ”

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मौनी बाबा ने बताया कि यह रुद्राक्ष से बनी शिव नगरी पूरी दुनिया में अपनी तरह की अनूठी नगरी है, जहां छह शिवलिंग दक्षिणमुखी और छह शिवलिंग उत्तर मुखी हैं।

उन्होंने बताया कि अब तक पूरी दुनिया में महाकाल का अकेला शिवलिंग दक्षिण मुखी है।

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मौनी बाबा ने बताया कि रुद्राक्ष एक मूर्ति की तरह होता है जिसकी प्राण प्रतिष्ठा होती है और बिना प्राण प्रतिष्ठा के रुद्राक्ष पहना नहीं जा सकता। प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही रुद्राक्ष मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।

Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 18 January 2025 at 19:54 IST