अपडेटेड 25 May 2025 at 20:23 IST
लाड़-प्यार बना काल! हर मां-बाप के लिए चेतावनी वाली खबर, डेढ़ साल के मासूम की Jelly खाने से मौत, डॉक्टर ने दिए ये सुझाव
Sehore News : बच्चों की आदत होती है कि वो हर चीज को मुंह में देने की कोशिश करते हैं। अगर कोई चीज बच्चों के गले में अटक जाए तो स्थिति बेहद गंभीर होती है। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में Jelly खाने से डेढ़ साल के मासूम की मौत हो गई।
- भारत
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MP News : भारतीय घरों में छोटे बच्चों को परिवार का हर सदस्य बेहद प्यार करता है। मां-बाप हो या दादा-दादी सभी बच्चों को दिल से दुलार करते हैं। लेकिन कई बार ये ही प्यार और जरा सी लापरवाही बच्चों के लिए जानलेवा साबित होती है। ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के सीहोर जिले से सामने आया है। जहां Jelly खाने से डेढ़ साल के मासूम की मौत हो गई। इस घटना ने सभी छोटे बच्चों के माता-पिता को चौकन्ना कर दिया है।
छोटे बच्चों को देखभाल की बहुत अधिक जरूरत होती है, क्योंकि उन्हें अपने अच्छे-बुरे का पता नहीं होता है। सीहोर के जहांगीरपुर गांव से आए इस मामले ने हर माता-पिता को झकझोर कर रख दिया है। परिवार का लाड़-प्यार और लापरवाही बच्चे के लिए काल बन गई। लाड़-प्यार में परिजनों ने अपने डेढ़ साल के मासूम बेटे आयुष लोधी को जेली खिला दी, जो उसके गले में फंस गई। आयुष को सांस लेने में जब दिक्कत होने लगी तो परिजन डॉक्टर के पास लेकर भागे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने मासूम को मृत घोषित कर दिया। आयुष अपने पूरे घर का लाडला था।
डॉक्टर ने दिए ये सुझाव
डॉक्टरों ने बताया कि जेली बच्चे की श्वास नली में फंस गई थी। जिसके कारण उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी और दम घुटने से मौत हो गई। जिला अस्पताल सीहोर में सिविल सर्जन प्रवीर गुप्ता का कहना है कि छोटे बच्चों में भोजन निगलने की क्षमता पूरी तरह विकसित नहीं होती। इसलिए 3 साल से कम उम्र के बच्चों को गोल, चिपचिपी, सख्त या फिसलन भरी चीजें देना खतरनाक हो सकता है। ये चीजें गले में फंसकर दम घुटने का कारण बन सकती हैं।
अधिक सावधानी की जरूरत
डॉ. प्रवीर ने ये भी कहा कि बच्चों को खेलने की चीजें देते हुए भी अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। बच्चों को ऐसे छोटे खिलाने ना दें, जिन्हें वो मुंह में दे सकें। बच्चों की आदत होती है कि हर चीज को वो मुंह में देने की कोशिश करते हैं। अगर कोई चीज बच्चों के गले में अटक जाए तो स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है। क्योंकि बच्चों को अपने सही-गलत की समझ नहीं होती है।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 25 May 2025 at 20:22 IST