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अपडेटेड July 8th 2024, 22:47 IST

MP News: ​सरकारी डॉक्टर पर रेप के आरोप को HC ने किया खारिज, कहा- 'सहमति से बनाए गए संबंध रेप नहीं'

हाईकोर्ट ने इस मामले को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों को कोर्ट में बुलाया।

Reported by: Ravindra Singh
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MP High Court Verdict on Rape
आपसी सहमति से बनाया गया संबंध रेप नहींः हाईकोर्ट | Image: ANI

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने कहा है कि लिव इन रिलेशनशिप (Live In Relationship) के दौरान सहमति से बनाए गए संबंध को रेप (Rape) नहीं माना जाएगा। हाईकोर्ट (High Court) ने शादी के नाम पर संबंध बनाए जाने को रेप के आरोप को रद्द किया। दरअसल मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक सरकारी डॉक्टर (Government Doctor) के खिलाफ रेप आरोप में दर्ज की गई एफआईआर (FIR) को एक सिरे से खारिज कर दिया। मामला मध्य प्रदेश का है जहां एक महिला टीचर एक सरकारी डॉक्टर के साथ पिछले 10 साल से भी ज्यादा समय से लिव इन रिलेशनशिप में रह रही थी। इसके बाद जब डॉक्टर ने शादी करने से इनकार कर दिया तो महिला ने उसके खिलाफ रेप का आरोप लगाकर पुलिस में एफआइआर दर्ज करवा दी।  


जब ये मामला मध्य प्रदेश हाईकोर्ट पहुंचा तो हाईकोर्ट ने कहा कि जहां तक शिकायतकर्ता महिला के साथ फिजिकल रिलेशनशिप के लिए शादी का झूठा वादा करने का सवाल है तो ये कोई ऐसा आरोप नहीं है जिसे महिला 10 सालों तक महसूस नहीं कर पाई कि उसे शादी के बहाने धोखा दिया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि जब महिला ने डॉक्टर के साथ रिलेशनशिप खत्म कर ली तब उसने डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। हाईकोर्ट के जज ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है कि रेप के आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत होने चाहिए कि लिव इन में रहने की शुरुआत में ही डॉक्टर ने महिला से शादी का वादा किया था। कोर्ट की ओर से दोनों को शादी करने की सलाह भी दी गई।


एमपी हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

हाईकोर्ट ने इस मामले को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों को कोर्ट में बुलाया गया और उन्हें विवाह करने की सलाह भी दी गई। कोर्ट में दोनों पक्षों के माता-पिता कुछ मतभेदों की वजह से इस विवाह को मंजूरी नहीं दे सके। इस तरह विवाद को सुलझाने के लिए कोर्ट का प्रयास असफल हो गया। हाईकोर्ट ने आगे कहा कि इस तरह से ये मामला आईपीसी की धारा 375 में बलात्कार की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है। दोनों पक्षों के बीच सहमति से संबंध और प्रेम संबंध रिकॉर्ड में स्पष्ट है।

महिला की 376 और 372(2) की FIR कोर्ट ने खारिज की

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले में महिला द्वारा दर्ज करवाई गई आईपीसी की धारा 376, 376(2)(एन), 506 और 366 के तहत दंडनीय अपराध के एफआइआर को रद्द करने का आदेश दे दिया। महिला ने मध्य प्रदेश के कटनी महिला थाने में डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी जिसे हाईकोर्ट के आदेश के बाद निरस्त कर दिया गया है। साथ ही आपराधिक मामले के पंजीकरण के कारण दूसरे पक्ष द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ दायर आरोप रिपोर्ट को भी निरस्त किया गया है।

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पब्लिश्ड July 8th 2024, 22:47 IST