अपडेटेड 20 November 2025 at 18:01 IST

कुनो नेशनल पार्क से आई खुशखबरी, चीता 'मुखी' ने 4 बच्चों शावकों को दिया जन्म, मां और बच्चा दोनों स्वस्थ

भारत में जन्मी चीता मुखी ने कुनो नेशनल पार्क में 5 शावकों को जन्म दिया है, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस खबर की जानकारी पोस्ट कर दी है। सभी बच्चे स्वस्थ हैं और खेल रहे हैं।

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 Indian cheetah babies
भारत की पहली देसी चीता मुखी बनीं मम्मी, 5 प्यारे-प्यारे शावक देखकर मन भर आएगा | Image: Republic

Indian cheetah News: MP के कुनो नेशनल पार्क से एक खुशी की खबर मिली है। जी हां, भारत में जन्मी पहली मादा चीता ‘मुखी’ ने 5 शावकों को जन्म दिया है। पार्क अधिकारियों ने पुष्टि की है कि मां और सभी शावक पूरी तरह से स्वस्थ और ठीक हैं। सभी एक्टीव हैं और खेल रहे हैं।

मुखी अभी 33 महीने की है, ये भारत में जन्मी पहली मादा चीता है। उसका जन्म 2022 में शुरू हुए ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत हुआ था, जब नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों को कुनो में पुनर्वासित किया गया था । मुखी के पिता ‘अग्नि’ (दक्षिण अफ्रीका) और माता ‘सिया’ (नामीबिया) हैं, जिससे वह भारत में जन्मी पहली द्वितीय पीढ़ी की चीता बन गई।

प्रोजेक्ट चीता की सफलता

'प्रोजेक्ट चीता' भारत सरकार के लिए खास योजनाओं में से एक है। इस योजना का उद्देश्य देश में चीतों की स्वावलंबी आबादी स्थापित करना है। मुखी ने 5 शावकों का सफल प्रजनन किया, इसे सबसे बड़ी उपलब्धी माना जा रहा है। क्योंकि यह सफल प्रजनन न सिर्फ आनुवंशिक विविधता को बढ़ाएगा, बल्कि भारतीय जंगलों में चीतों के अनुकूलन की पुष्टि भी कर रहा है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत का कुनो पार्क चीतों को लिए परफेक्ट वातावरण का क्षेत्र।  

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस खबर की जानकारी पोस्ट कर दी। उन्होंने लिखा- 'भारत में जन्मी चीता मुखी ने कुनो नेशनल पार्क में 5 बच्चों को जन्म देकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। यह प्रोजेक्ट चीता के लिए बड़ी कामयाबी है।' वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शावकों की निगरानी के लिए खास टीम तैनात की गई है और उन्हें प्राकृतिक आवास में धीरे‑धीरे स्वतंत्र रूप से रहने के लिए तैयार किया जाएगा।

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भारत में चीता आबादी अब 32 हो गई 

पार्क प्रबंधन ने बताया कि शावकों की संख्या के साथ कुनो में कुल चीता आबादी अब 32 हो गई है, जिसमें 29 चीते कुनो में और तीन गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में हैं। पर्यावरण मंत्रालय ने इस सफलता को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की योजना बनाई है और आगे के संरक्षण कार्यों के लिए अतिरिक्त बजट आवंटित करने की घोषणा की है।

यह उपलब्धि न सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि पूरे भारत के वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है। एक समय विलुप्त हो चुके चीते अब भारतीय धरती पर फिर से अपनी जगह बना रहे हैं और मुखी की यह पहली मां बनने की कहानी इस पुनरागमन को और भी मजबूती देती है।

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Published By : Sujeet Kumar

पब्लिश्ड 20 November 2025 at 18:01 IST