Updated April 17th, 2024 at 17:34 IST
इश्क में नाकाम आशिक अगर कर ले खुदकुशी तो प्रेमिका पर नहीं बनता कोई केस: दिल्ली HC का अहम फैसला
यदि कोई पुरुष ‘‘प्रेम में विफलता’’ के कारण अपनी जीवनलीला समाप्त कर लेता है, तो उसकी महिला साथी को आत्महत्या के लिए उकसाने का जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में दो व्यक्तियों की अग्रिम जमानत मंजूर करते हुए कहा है कि यदि कोई पुरुष ‘‘प्रेम में विफलता’’ के कारण अपनी जीवनलीला समाप्त कर लेता है, तो उसकी महिला साथी को आत्महत्या के लिए उकसाने का जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि 'कमजोर और दुर्बल मानसिकता' वाले व्यक्ति द्वारा लिये गए गलत फैसले के लिए किसी अन्य व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। न्यायमूर्ति अमित महाजन ने कहा, ‘‘यदि कोई प्रेमी प्रेम में विफल रहने के कारण आत्महत्या करता है, यदि कोई छात्र परीक्षा में अपने खराब प्रदर्शन के कारण आत्महत्या करता है, यदि कोई मुवक्किल अपना मामला खारिज किये जाने के कारण आत्महत्या करता है तो क्रमश: प्रेमिका, परीक्षक और वकील को आत्महत्या के लिए उकसाने का जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।’’
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क्या था पूरा मामला
अदालत ने यह आदेश एक महिला और उसके दोस्त को अग्रिम जमानत देते हुए पारित किया था। वर्ष 2023 में एक व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में इन दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। मृतक के पिता की शिकायत के अनुसार, महिला और उनके बेटे के बीच प्रेम संबंध थे और दूसरा आरोपी उन दोनों का साझा मित्र था।
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सुसाइड नोट में किया था जिक्र
यह आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ताओं ने मृतक को यह कहकर उकसाया कि दोनों आरोपियों के बीच शारीरिक संबंध हैं और वे जल्द ही शादी करेंगे। मृतक का शव उसकी मां को उसके कमरे में मिला था। कमरे से ‘सुसाइड नोट’ भी मिला था, जिसमें मृतक ने लिखा था कि वह उन दोनों (महिला और उसके सामान्य दोस्त) के कारण आत्महत्या कर रहा है।
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उच्च न्यायालय ने कहा कि यह सही है कि मृतक ने अपने ‘सुसाइड नोट’ में याचिकाकर्ताओं के नामों का उल्लेख किया था, लेकिन उसकी (अदालत की) राय है कि उस ‘नोट’ में ऐसा कुछ भी नहीं था, जिससे पता चले कि आरोपियों की ओर से कही गयी बातें इतनी खतरनाक प्रकृति की थीं कि ‘सामान्य व्यक्ति’ को आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर दें।
अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर रखे गए ‘व्हाट्सऐप चैट’ से प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि मृतक संवेदनशील स्वभाव का था और जब भी महिला उससे बात करने से इनकार करती थी तो वह लगातार महिला को आत्महत्या की धमकी देता था।
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अदालत ने याचिकाकर्ताओं को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि हिरासत में पूछताछ का उद्देश्य जांच में सहायता करना है और यह दंडात्मक नहीं है। अदालत ने कहा कि अब दोनों याचिकाकर्ताओं से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को जांच में शामिल होने और सहयोग करने का निर्देश दिया।
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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published April 17th, 2024 at 17:34 IST
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