अपडेटेड 8 May 2023 at 22:56 IST
उत्तर से दक्षिण तक देश में जहां-जहां पड़े Adipurush भगवान श्रीराम के कदम, वहां आज भी मौजूद हैं निशानियां!
'Adipurush' फिल्म में भगवान राम के जीवंत (Adipurush) सफर को दिखाया गया है। आज हम आपको भगवान राम से जुड़ी कुछ निशानियां बताएंगे जिनका प्रमाण आज भी इन प्रसिद्ध मंदिरों से मिलता है।
- भारत
- 2 min read

Prabhas Adipurush Movie Trailer Release: प्रभास और कृति सेनन स्टारर ‘आदिपुरुष’ रिलीज से पहले ही सुर्खियों में बनी हुई है। भगवान राम की महागाथा पर बनी फिल्म के ट्रेलर का इंतजार दुनियाभर के दर्शक ऐसे कर रहे हैं जैसे कोई फिल्म रिलीज होने वाली है। मंगलवार यानी 9 मई को श्रीराम की महागाथा का ट्रेलर रिलीज किया जाएगा। ट्रेलर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के 70 देशों में एक साथ रिलीज किया जा रहा है।
आदिपुरुष नए जमाने और ग्लोबल दर्शकों की रुचियों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। फिल्म में भगवान राम के जीवंत (Adipurush) सफर को दिखाया गया है। भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और 14 वर्षों के वनवास, सनातन राम राज्य की स्थापना की वजह से उनकी प्रजा ने उन्हें ये सम्मान दिया। करीब सात हजार साल पहले भगवान श्रीराम का अवतार हुआ। हजारों साल बीतने के बावजूद भगवान के जीवन और वनगमन की तमाम निशानियां आज भी मौजूद हैं।
आइए देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में जानते हैं।
#1. अयोध्या, उत्तर प्रदेश
Advertisement
अयोध्या के बारे में किसी को बताने की जरूरत नहीं है। भगवान श्रीराम ने मनुष्य के रूप में अयोध्या में ही जन्म लिया था। अयोध्या उत्तर प्रदेश के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है जो सरयू नदी के किनारे बसा है। दुनियाभर के राम भक्तों के लिए सबसे बड़ी आस्था का केंद्र है। यहां सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है। श्रीराम जन्मभूमि में लंबे संघर्ष के बाद रामलला के भव्य मंदिर का पुनर्निर्माण हो रहा है।
#2. श्रृंगवेरपुर तीर्थ, प्रयागराज
Advertisement
प्रयागराज से करीब 20 किलोमीटर दूर श्रृंगवेरपुर आज भी मौजूद है। यह निषादराज गुह्य का राज्य था। यहीं पर भगवान ने नाव से गंगा को पार किया था। भगवान श्रीराम और निषादराज के मिलन और वियोग का मार्मिक वर्णन किसी को भी रुला देगा। श्रृंगवेरपुर वर्तमान में सिंगरौर के रूप में जाना जाता है।
#3. राम गया घाट विन्ध्याचल, उत्तर प्रदेश
विंध्याचल धाम सिद्धपीठ के लिए मशहूर है। बहुत का लोगों की ऐसी मान्यता है कि यहां पितृपक्ष में पूर्वजों का तर्पण भी किया जाता है। इसे ‘छोटा गया’ की मान्यता भी दी गई है। भगवान श्रीराम ने माता जानकी और लक्षमण के साथ अपने दूसरे पुरखों का तर्पण विन्ध्याचल के राम घाट पर किया था।
#4. सीता कोहबर, मिर्जापुर
मिर्जापुर जिले में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर मौजूद यह जगह बहुत मशहूर तो नहीं है मगर यहां की स्थानीय जनता इसे भगवान श्रीराम से जोड़कर देखती है। ड्रमंडगंज में कुछ गुफाचित्र बहुत मशहूर हैं। इसे सीता का कोहबर कहते हैं। मान्यता है कि वनगमन के दौरान यहां भगवान श्रीराम रुके थे और जानकी माता ने अपने हाथों से पत्थरों पर चित्र उकेरे थे।
#5. चित्रकूट, मध्य प्रदेश
चित्रकूट धाम प्राचीन तीर्थस्थलों में से एक है। यहीं पर भगवान श्रीराम ने माता सीता और अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल के वनवास के दौरान एक लंबा समय बिताया था। यहीं भगवान को मनाने के लिए अयोध्या से उनके भाई भरत पहुंचे थे। यहीं भगवान को पिता दशरथ के निधन की सूचना मिली थी।
#6. सतना, मध्य प्रदेश
चित्रकूट के नजदीक सतना में अत्रि ऋषि का आश्रम था। यहीं अनुसूइया का उद्धार भगवान ने किया था। सतना में 'रामवन' नाम की भी एक जगह है जहां भगवान रुके थे।
#7. दंडकारण्य (छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र)
छत्तीसगढ़ भगवान राम के करीब से जुड़ा है। यहां उनका ननिहाल यानी उनकी माता कौशल्या का मायका था। मान्यता है कि वन गमन के दौरान भगवान ने कुछ समय मौजूदा छत्तीसगढ़ में भी बिताए थे। दंडकारण्य छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र के इलाके आते हैं। भगवान से जुड़ी कई जगहें यहां आज भी तीर्थ की तरह हैं।
#8. पंचवटी (महाराष्ट्र)
वन गमन के दौरान भगवान श्रीराम अगस्त्य मुनि के आश्रम भी गए थे। यह आश्रम नासिक के पंचवटी क्षेत्र में है। लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक यहीं पर काटी थी। यहीं पर भगवान श्रीराम ने खर और दूषण के का वध किया था। रामकथा में पंचवटी सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव है।
#9. सर्वतीर्थ (महाराष्ट्र)
सर्वतीर्थ महाराष्ट्र में स्थित है। यह नासिक से 56 किमी दूर ताकेड गांव में है। मान्यता है कि इसी इलाके के आसपास रावण ने छल से माता जानकी का अपहरण किया था।
#10. पर्णशाला
पर्णशाला आज के आंध्रप्रदेश में खम्माम जिले में मौजूद है। कुछ की मान्यता है कि जानकी का हरण यहीं हुआ था।
#11. किष्किंधा, कर्नाटक
मान्यताओं के मुताबिक, कर्नाटक के अनागुन्डी गांव में पहली बार श्रीराम का भगवान हनुमान से मिलन हुआ था। वहीं पास ही एक पर्वत पर हनुमान की माता अंजना देवी का एक सुंदर मंदिर भी स्थित है। अनागुन्डी गांव को प्राचीन समय में किष्किंधा कहा जाता था है। यहां वाल्मीकि रामायण में वर्णित दृश्य देखने को मिलते हैं। साथी ही यहां बालि का भंडार, अंजना पर्वत, वीरूपाक्ष मंदिर, कोदण्डराम मंदिर, मतंग पहाड़ी दर्शनीय स्थल हैं।
#12. शबरी का आश्रम (केरल)
सीता हरण के बाद भगवान श्रीराम ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे थे। वह शबरी आश्रम भी रुके जो आज के केरल में मौजूद है। शबरी जाति से भीलनी थीं। केरल में यह जबाग 'सबरिमलय मंदिर' तीर्थ के रूप में मशहूर है।
#13.कोडीकरई (तमिलनाडु)
यह जगह तमिलनाडु में है। सीता की खोज में हनुमान और सुग्रीव के साथ अपनी सेना लेकर भगवान श्रीराम यहां पहुंचे थे, लेकिन यहां समुद्र का पाट इतना बड़ा था कि उसे पार करना मुश्किल था। कुछ दिन रुकने के बाद राम यहां से रामेश्वरम के लिए निकले थे।
#13. रामेश्वरम (तमिलनाडु)
रामेश्वरम तमिलनाडु में है। भगवान ने यहां शिव की स्तुति की कर उनका लिंगं स्थापित किया था जो 12 ज्योतिर्लिंग में से एक माना जाता है।
#14. धनुषकोडी (तमिलनाडु)
रामेश्वरम में रुकने के बाद भगवान ने धनुषकोडी के रूप में वह स्थान खोज लिया था जो लंका में घुसने के लिए सबसे बेहतर था। यह भारत और लंका के बीच सबसे कम समुद्री सीमा वाली जगह है। यहीं पर नल और नील की मदद से समुद्र पर पुल बनाया गया जो रामसेतु के रूप में मशहूर है। रामसेतु के साक्ष्य को अब किसी प्रमाण की जरूरत नहीं।
यह भी पढ़ें- यूं ही Adipurush नहीं हैं भगवान श्रीराम, आज भी अयोध्या से कुर्दिस्तान तक नजर आती है मर्यादा पुरुषोत्तम की मौजूदगी!
Published By : Priya Gandhi
पब्लिश्ड 8 May 2023 at 22:41 IST