अपडेटेड 13 April 2025 at 17:46 IST
नीले ड्रम वाले दौर में एक पत्नी ऐसी भी, मगरमच्छ के मुंह में फंसा था पति, मौत से टकराकर बचाई जान; दिलाई सती सावित्री की याद
राजस्थान के करौली जिले में चंबल नदी के किनारे बसे रोधई के कैमकच्छ गांव में एक पत्नी ने अपने पति की जान बचाने के लिए मौत से टकरा गई।
- भारत
- 6 min read

उत्तर प्रदेश के मेरठ हत्याकांड के बाद पूरे देश में नीले ड्रम और पत्नियों की चर्चा तेजी से बढ़ गई। पुलिस थानों में सिर्फ पत्नियों द्वारा नीले ड्रम की धमकी वाली FIR से फाइलें भर गईं हैं। पूरे प्रदेश में लगातार पत्नियों की धमकियों के बाद पतियों की एफआईआर दर्ज हो रही है। ऐसे दौर में भी राजस्थान के करौली जिले में एक पत्नी ने मौत के मुंह से अपनी जान पर खेलकर अपने पति को बचाया है और पूरे देश के लिए मिसाल दी है कि आज भी पत्नियां पतियों के लिए जान की बाजी लगाने से पीछे नहीं हटती हैं। वैसे तो भारतीय इतिहास में भी इस बात के कई उदाहरण हैं कि पत्नियों अपने जीते जी कभी भी पतियों पर किसी भी तरह की आंच नहीं आने देती हैं। ऐसे में सती सावित्री को कोई भला कैसे भूल सकता है।
राजस्थान के करौली जिले में चंबल नदी के किनारे बसे रोधई के कैमकच्छ गांव में एक पत्नी ने अपने पति की जान बचाने के लिए मौत से टकरा गई। दरअसल इस गांव में रहने वाले बन्ने सिंह चंबल नदी के किनारे अपनी बकरियां चरा रहे थे। कुछ देर बाद वो बकरियों को पानी पिलाने के लिए चंबल नदी के किनारे पर ले गए जहां पानी पिलाते समय बन्ने सिंह के पैर को एक मगरमच्छ ने अपने जबड़े में जकड़ लिया और उन्हें खींचकर पानी में ले जाने लगा। इसी दौरान बन्ने सिंह की पत्नी विमल भी वहां पहुंची और पति की जान जोखिम में देखकर वो लाठी लेकर नदी में उतर गईं। जब उन्होंने देखा कि एक मगरमच्छ उनके पति की टांग को अपने जबड़े में दबाए उन्हें नदी में खींच कर ले जा रहा है तो विमल ने पति की जान बचाने के लिए मगरमच्छ पर हमला बोल दिया। लाठी से हमले के दौरान एक वार मगरमच्छ की आंख पर जा लगा जिसकी वजह से उसका मुंह खुल गया और विमल अपने पति को लेकर नदी से बाहर निकल आई।
विमल के जज्बे को देखकर शर्मा जाएंगी पति को नीले ड्रम की धमकी देने वाली पत्नियां
जिस तरह से विमल ने मगरमच्छ के मुंह से अपने पति की जान बचाई उस जज्बे को देखकर मेरठ हत्याकांड वाली मुस्कान से प्रेरणा लेकर अपने पतियों को धमकी देने वाली पत्नियों को शर्मसार होना पड़ेगा। विमल ने बिना किसी भय के पति की जान बचाने के लिए नदी में छलांग लगा दी और लाठी के एक सटीक वार से उन्होंने अपने पति के प्राणों की रक्षा की। विमल ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि अगर पति की जान बचाने में मेरी जान भी चली जाती तो मैं दे देती पति को छुड़वाकर मैंने भी दूसरा जन्म लिया है। मगरमच्छ मेरे पति को जबड़े में लेकर गहरे पानी में ले जा रहा था, लेकिन मुझे इस बात का जरा भी भय नहीं लगा था कि यहां मेरी भी जान जा सकती है। मेरे पति घायल हुए हैं वो जल्दी ही ठीक हो जाएं बस भगवान से यही प्रार्थना है। वहीं बन्ने सिंह ने बताया कि मेरा एक पैर पानी में था और दूसरा मगरमच्छ के मुंह में मैंने बचने की आस छोड़ दी थी लेकिन मेरी पत्नी ने मुझे बचा लिया।
मगरमच्छ से पानी में 5 मिनट तक किया संघर्ष तब जाकर...
26 वर्षीय बन्ने सिंह की पत्नी विमल ने मीडिया से बातचीत में बताया कि जब उन्होंने पति को संकट में देखा तो वो बिना कुछ सोचे समझे ही लाठी लेकर नदी में उतर गईं। उन्होंने बताया कि मगरमच्छ उनके पति के पैरों को अपने जबड़े में जकड़े हुए लेकर गहरे पानी की ओर जा रहा था। जब उन्होंने लाठी से उस पर वार किया तो वो बेअसर रहा। उनकी समझ में नहीं आया कि वो क्या करें? लगभग 5 मिनट तक मगरमच्छ से पानी में संघर्ष करने के बाद उन्होंने अचानक से मगरमच्छ की आंख पर हमला बोल दिया। विमल ने लाठी मगरमच्छ की आंख में ही घुसा दी। आंख में हुए अचानक प्रहार से मगरमच्छ भी हड़बड़ा गया और वो बन्नें सिंह का पैर छोड़कर भाग गया। इस तरह से पत्नी के मजबूत हौसले से पति की जान बच गई। यहां मगरमच्छ पत्नी पर भी हमला बोल सकता था।
Advertisement
नीले ड्रम पर मीम बनाकर पत्नियों का मजाक उड़ाने वालों को संदेश
मेरठ के सौरभ हत्याकांड के बाद जिस तरह से सोशल मीडिया पर नीले ड्रम और पत्नी की धमकियों वाले मीम्स में पत्नियों के बारे में जो मजाक उड़ाए गए हैं ऐसे लोगों के लिए राजस्थान के कैमकच्छ गांव की इस घटना से सबक लेना चाहिए। पत्नियां ऐसी भी होती हैं जो पति के लिए मौत से भी टकरा जाती हैं। ये तो कुछ भी नहीं इतिहास की बात करें तो सावित्री अपने पति सत्यवान के लिए यमराज से ही टकरा गईं थीं। यहां पर विमल ने एक बार फिर से पूरे देश के लोगों में सती सावित्री की यादें जिंदा कर दीं हैं। सती सावित्री ने अपने पति को पाने के लिए यमराज का पीछा तब तक नहीं छोड़ा था जब तक कि उन्होंने उनके पति सत्यवान के प्राण नहीं लौटा दिए थे।
कौन थी सती सावित्री?
सावित्री राजा अश्वपति की इकलौती पुत्री थी और वह बहुत सुदर थीं। एक दिन अच्छे वर की खोज में वो राज्य में निकलीं तो उन्हें लकड़ियां काटने वाले सत्यवान मिले। सत्यवान के पिता घुमत्सेन किसी समय राजा हुआ करते थे लेकिन खराब परिस्थितियों के चलते उनका राज-पाट छिन गया और सत्यवान को अब जंगलों में लकड़ियां काटकर अपने भरण पोषण करना पड़ता था। ऐसे में जब सावित्री ने अपने पिता से सत्यवान से विवाह करने की इच्छा जताई पहले तो राजा नहीं माने लेकिन सावित्री की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा। अब सावित्री अपने पति सत्यवान के साथ वन में ही रहने लगीं। एक दिन महर्षि नारद उनके घर पहुंचे और सावित्री को बताया कि उनके पति अब एक साल तक ही जिंदा रहेंगे। इसके बाद धीरे-धीरे एक साल भी बीत गया और अचानक एक दिन यमराज सत्यवान को लेकर जाने लगे तो सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ीं। जब यमराज ने उन्हें देखा तो लौट जाने का आग्रह किया और कहा कि तुम चाहो तो कोई वरदान मांग लो लेकिन वापस लौट जाओ। इसके बाद सावित्री ने वरदान मांगा कि मेरे श्वसुर को उनका खोया हुआ राज्य मिल जाए और वो अपने पोतों के साथ खेलें। यमराज ने तथास्तु कहा और आगे बढ़ गए। थोड़ी दूर जाने पर उन्होंने देखा कि सावित्री नहीं लौटी फिर उन्होंने पूछा तुम वापस क्यों नहीं गई। इस पर सावित्री ने जवाब दिया कि मेरे पति को तो आप लिए जा रहे हैं और आपने वरदान दिया है कि 'मेरे श्वसुर पोतों के साथ खेलें' जब मेरे पति ही नहीं रहेंगे तो मेरे श्वसुर को पोते कैसे होंगे? इस सवाल पर यमराज निरुत्तर हो गए और उन्होंने सत्यवान के प्राण लौटा दिए।
Advertisement
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 13 April 2025 at 17:38 IST