अपडेटेड 21 February 2025 at 19:19 IST
तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जम्मू अदालत में होगी यासीन मलिक की पेशी, सुप्रीम कोर्ट ने दिए आदेश
CBI ने मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण के मामले और 1990 के श्रीनगर गोलीबारी मामले की सुनवाई जम्मू से नई दिल्ली स्थानांतरित करने का अनुरोध किया।
- भारत
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (21 फरवरी) को जेल में बंद जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को सात मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए तिहाड़ जेल से जम्मू की एक अदालत में पेश होने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि जम्मू सत्र न्यायालय वीडियो कॉन्फ्रेंस प्रणाली से ‘अच्छी तरह सुसज्जित’ है और वर्चुअल तरीके से पूछताछ हो सकती है। सीबीआई ने 1989 में पूर्व केंद्रीय मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण के मामले और 1990 के श्रीनगर गोलीबारी मामले की सुनवाई जम्मू से नई दिल्ली स्थानांतरित करने का अनुरोध किया।
सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा दायर रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंस प्रणाली ठीक से काम कर रही है। मेहता ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सभी आरोपी मुकदमे में देरी करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने मलिक के वकील की सेवाएं लेने से इनकार करने और अन्य लोगों के मुकदमे के स्थानांतरण का विरोध करने की ओर इशारा किया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को मलिक और अन्य के खिलाफ दो मामलों की सुनवाई के दौरान जम्मू विशेष अदालत में उचित वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधाएं सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।
बैन किए गए JKLF चीफ की दो मामलों में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 18 दिसंबर को छह आरोपियों को मामलों की सुनवाई स्थानांतरित करने की सीबीआई की याचिका पर जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था। याचिका उन दो मामलों को लेकर है जिसमें 25 जनवरी, 1990 को श्रीनगर में भारतीय वायु सेना के चार कर्मियों की हत्या कर दी गई थी और 8 दिसंबर, 1989 को रुबैया का अपहरण किया गया था। प्रतिबंधित जेकेएलएफ प्रमुख मलिक दोनों मामलों में मुकदमे का सामना कर रहा है।
यासीन मलिक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा
सुप्रीम कोर्ट जम्मू की एक निचली अदालत के 20 सितंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अपहरण मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करने के लिए तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मलिक को व्यक्तिगत रूप से पेश करने का निर्देश दिया गया था। सीबीआई ने कहा कि मलिक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है और उसे तिहाड़ जेल परिसर से बाहर ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
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रुबैया के अपहरण के 5 दिन बाद यासीन मलिक रिहा हो गया था
रुबैया को उनके अपहरण के पांच दिन बाद रिहा कर दिया गया था। उसके बदले केंद्र की बीजेपी समर्थित तत्कालीन वी पी सिंह सरकार ने पांच आतंकवादियों को रिहा किया था। रुबैया अब तमिलनाडु में रहती हैं। वह सीबीआई के लिए अभियोजन पक्ष की गवाह हैं, जिसने 1990 के दशक की शुरुआत में इस मामले को अपने हाथ में लिया था। मई 2023 में एक विशेष एनआईए अदालत द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद से मलिक तिहाड़ जेल में बंद है।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 21 February 2025 at 19:19 IST