अपडेटेड 25 March 2025 at 22:01 IST

'नाबालिग का ब्रेस्ट पकड़ना और पजामे का नाड़ा तोड़ना रेप की कोशिश नहीं', इलाहाबाद HC के विवादित फैसले पर SC ने लिया संज्ञान

इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस विवादित फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ 26 मार्च बुधवार को इस मामले पर सुनवाई करेगी।

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Supreme Court strict on disposal of solid waste in Delhi
'पीड़िता का ब्रेस्ट पकड़ना और पजामे का नाड़ा तोड़ना रेप की कोशिश नहीं', इलाहाबाद HC के विवादित फैसले पर SC ने लिया संज्ञान | Image: PTI

नाबालिग लड़की के साथ रेप की कोशिश से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 17 मार्च को दिए विवादित फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया। कल जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच इस मसले पर कल सुनवाई करेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने अपने फैसले में कहा था कि  'पीड़ित के ब्रेस्ट को पकड़ना,और पजामे के नाड़े को तोड़ने के आरोप के चलते ही आरोपी के खिलाफ रेप की कोशिश का मामला नहीं बन जाता'

फैसला देने वाले जज जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने 11 साल की लड़की के साथ हुई इस घटना के तथ्यों को रिकॉर्ड करने के बाद यह कहा था कि इन आरोप के चलते यह महिला की गरिमा पर आघात का मामला तो बनता है लेकिन इसे रेप का प्रयास नहीं कह सकते। इस विवादित फैसले को लेकर विरोध हुआ। कई कानूनविदों ने SC से इस फैसले पर स्वत: संज्ञान लेने की मांग की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को स्वतः संज्ञान में लिया है और बुधवार को इस पर सुनवाई भी होगी।


SC के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज की पीठ करेगी सुनवाई

अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस विवादित फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ 26 मार्च बुधवार को इस मामले पर सुनवाई करेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नाबालिग के ब्रेस्ट को पकड़ना और पायजामा के नाड़े को तोड़ने के मामले में आरोपी के खिलाफ रेप की कोशिश का मामला नहीं बनता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने इस मामले में 11 साल की नाबालिग के साथ हुई इस घटना के तथ्यों को रिकॉर्ड करने के बाद यह कहा था कि इन आरोप के चलते यह महिला की गरिमा पर आघात का मामला तो बनता है, लेकिन इसे रेप का प्रयास नहीं कह सकते हैं। इसके बाद पूरे देश में हाईकोर्ट के इस फैसले का विरोध हुआ। देश के कई कानूनविदों ने इस फैसले की आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले पर स्वत: संज्ञान लेने की मांग की थी।


सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था मामला फिर स्वतः संज्ञान लिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस विवादित फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की वकील अंजलि पटेल ने याचिका दायर कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में दर्ज कुछ टिप्पणियों को हटाने और उसे रद्द करने की मांग की थी। इस याचिका में याचिकाकर्ता का कहना था कि हाल के कुछ मामलों में हाईकोर्ट के जजों ने अनुचित टिप्पणियां की हैं, इसलिए जजों के लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए। इस पर फिर सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा कि याचिकाकर्ता कहां है? वकील ने बताया कि वह शहर से बाहर हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया। हालांकि अब एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई का आदेश दिया है। बुधवार को अब इस मामले में सुनवाई की जाएगी।

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 25 March 2025 at 21:24 IST