Updated September 21st, 2018 at 22:07 IST
कश्मीर में तीन पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद छह पुलिसकर्मियों ने इस्तीफे की घोषणा की
महबूबा ने ट्वीट किया, ‘‘इसके लिये बातचीत ही एकमात्र रास्ता है, जो अब सपना प्रतीत हो रहा है.
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हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने शुक्रवार को दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में तीन पुलिसकर्मियों को उनके घरों से अगवा करने के बाद गोली मारकर उनकी हत्या कर दी.. पुलिस ने इस जघन्य कृत्य को जम्मू-कश्मीर में तीन दशक से चले आ रहे आतकंवाद का एक नया चेहरा बताया है.
शुरुआती जांच के आधार पर पुलिस ने कहा है कि यह कायरना हरकत प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों -हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा ने विशेष पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) के खिलाफ की.
अधिकारियों ने बताया कि इस आतंकवादी हमले ने 1.2 लाख कर्मियों वाले बेहद मजबूत जम्मू कश्मीर पुलिस बल को भी हिला कर रख दिया है और इसके चलते कम से कम छह पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) ने सोशल मीडिया पर अपने इस्तीफे की घोषणा की है.
घटना के कुछ घंटो बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नयी दिल्ली में कहा कि तीन पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद किसी भी पुलिसकर्मी ने जम्मू-कश्मीर में इस्तीफा नहीं दिया है और ऐसी खबरों को “शरारती” तत्वों का ‘‘गलत प्रचार” बताया.
उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मियों के शव एक नदी के पार बाग में मिले थे। मारे गये पुलिसकर्मियों की पहचान कांस्टेबल निसार अहमद, दो विशेष पुलिस अधिकारियों - फिरदौस अहमद और कुलवंत सिंह के तौर पर हुई है .
हिज्बुल मुजाहिदीन के एक कथित वीडियो में एसपीओ के तौर पर कार्यरत सभी कश्मीरी निवासियों को इस्तीफा देने की चेतावनी दी गयी है . जम्मू-कश्मीर में 30,000 से ज्यादा एसपीओ हैं .
पुलिस महानिरीक्षक (कश्मीर रेंज) स्वयं प्रकाश पाणि ने इस घटना को कायराना बताते हुए कहा, ‘‘आतंकवादी हताश हो गये हैं क्योंकि वे सुरक्षा बलों से दबाव महसूस कर रहे हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने एक नृशंस आतंकवादी हमले में अपने तीन बहादुर साथियों को खो दिया . इन तीनों शहीद जवानों को हमारी श्रद्धांजलि . हमलोग जल्द सभी दोषियों को न्याय के कटघरे में लेकर आयेंगे.’’
पुलिस ने बताया कि तीनों पुलिसकर्मियों को शुक्रवार सुबह बाटागुंड और कापरान गांव स्थित उनके घरों से अगवा किया गया था.
अधिकारियों ने बताया कि बाटागुंड गांव के निवासियों ने आतंकवादियों का पीछा किया और अपहृत पुलिसकर्मियों को छोड़ने की गुहार लगाई . अपहरणकर्ताओं ने हवा में गोली चलायी और ग्रामीणों को धमकी दी .
उन्होंने बताया कि आतंकवादियों ने इलाके में एक नदी को पार किया और वहीं गोली मार कर पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी .
हिज्बुल मुजाहिदीन संगठन से कथित रूप से संबद्ध एक ट्विटर हैंडल पर किये गये पोस्ट में घटना की जिम्मेदारी ली गयी है. सुरक्षा एजेंसियों का भी मानना है कि इस हत्या के पीछे हिज्बुल के आतंकवादियों का हाथ है .
आतंकवाद से तीन दशक से जूझ रहे राज्य में पुलिसकर्मियों को उनके घरों से अगवा कर उनकी हत्या करने का यह पहला मामला है। इससे पहले सड़क पर या ड्यूटी के दौरान पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया जाता था .
समझा जाता है कि हत्या की इस घटना से पुलिस विभाग के निचले रैंक में खलबली मच गयी है और कम से कम दो पुलिसकर्मियों ने वीडियो संदेश भेजकर बल से खुद को अलग करने की बात कही है .
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो संदेश में इनमें से एक पुलिसकर्मी कह रहा है, ‘‘मेरा नाम इरशाद अहमद बाबा है और मैं पुलिस में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत था. मैंने अपना इस्तीफा दे दिया है....
एसपीओ तजाल्ला हुसैन लोन ने कहा कि उन्होंने 17 सितंबर को पुलिस विभाग से इस्तीफा दे दिया और वह यह वीडियो इसलिए जारी कर रहे हैं ताकि उनके इस कदम को लेकर किसी तरह का कोई शक नहीं बना रहे.
बहरहाल, इन इस्तीफों पर पुलिस ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि वह सूचना की पुष्टि करेंगे.
हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नाइकू ने कई बार स्थानीय पुलिसकर्मियों खासकर कई एसपीओ को यह कहकर बल से इस्तीफा देने की धमकी दी थी कि सरकार उनका इस्तेमाल कर रही है.
गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मीडिया में ऐसी खबरें हैं कि जम्मू कश्मीर में कुछ विशेष पुलिस अधिकारियों ने इस्तीफे दिए हैं लेकिन राज्य पुलिस बल ने पुष्टि की है कि ये रिपोर्टें “गलत और प्रेरित” हैं. बयान में कहा गया, ‘‘ये रिपोर्ट शरारती तत्वों के गलत प्रचार पर आधारित हैं.’’
गृह मंत्रालय ने कहा कि जम्मू कश्मीर में पेशेवर और प्रतिबद्ध पुलिस बल है जो आने वाले पंचायत और शहरी निकाय चुनावों से जुड़ी चुनौतियों सहित सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.
मंत्रालय ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आंतकवादी बैकफुट पर हैं और इस वर्ष अकेले शोपियां जिले में 28 आतंकवादियों का खात्मा किया गया है जहां शुक्रवार को यह घटना हुई है.
बयान में कहा गया, ‘‘राज्य पुलिस की सक्रिय कार्रवाई से आंतकवादी एक क्षेत्र में सीमित कर दिए गए है जिससे वे निराश हैं.’’
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने इस घटना को लेकर ट्विटर पर अपनी नाराजगी जतायी है.
उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवादियों की गोलियों ने तीन और पुलिसकर्मियों की जान ले ली... सभी लोग इस घटना की निंदा, आलोचना करेंगे और आक्रोश जतायेंगे। दुर्भाग्य से यह पीड़ितों के परिवारों को कोई दिलासा नहीं दे पायेगा. ’’
उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों के अपहरण की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए केन्द्र की बल प्रयोग की नीति बिल्कुल काम नहीं कर रही है.
महबूबा ने ट्वीट किया, ‘‘इसके लिये बातचीत ही एकमात्र रास्ता है, जो अब सपना प्रतीत हो रहा है.’’
पंचायत और स्थानीय शहरी निकाय चुनावों की घोषणा के बाद आतंकवादियों की गतिविधयां कुछ बढ गयी हैं .
( इनपुट - भाषा से )
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Published September 21st, 2018 at 22:07 IST