Updated April 18th, 2024 at 09:38 IST

'दिन में भी हिसाब से पिएं शराब तो अपराध नहीं...'हाईकोर्ट जस्‍ट‍िस ने राज्‍य सरकार को द‍िया ये निर्दश

न्यायमूर्ति आनंद वेंकटेश ने तमिलनाडु सरकार को सड़क दुर्घटना पीड़ितों की जांच करने को लेकर डॉक्टरों को निर्देश जारी करने को कहा है।

Reported by: Kiran Rai
मद्रास हाईकोर्ट | Image:PTI
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Day Alcohol Consumption Not Offence: मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि दिन के दौरान शराब पीना कोई अपराध नहीं है और मोटर दुर्घटना में शामिल व्यक्ति को उसके रक्त में अल्कोहल के प्रतिशत का आकलन किए बिना दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

मद्रास हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि वो सभी अस्पतालों को दुर्घटनाओं में मृतकों/घायलों के रक्त में अल्कोहल के स्तर का आकलन करने को कहे, ताकि ऐसे मामलों में दावेदार के खिलाफ लापरवाही का निर्धारण किया जा सके।

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तो मामला ये?

न्यायमूर्ति एन. आनंद वेंकटेश ने हाल ही में एक दावेदार रमेश को 1.53 लाख रुपए का मुआवजा देने के आदेश को बदलते हुए मुआवजा राशि बढ़ाकर 3.53 लाख रुपये देने का निर्देश दिया। रमेश निचली अदालत के आदेश से संतुष्ट नहीं था। जिसमें एक्सिडेंट के बाद डॉक्टर ने दावा किया था कि शिकायतकर्ता के पास से शराब की गंध आ रही थी शायद इसी वजह से वो लॉरी से डिस्टेंस नहीं रख पाया और हादसे का शिकार हो गया। इसी को आधार बनाकर पिछला आदेश सुनाया गया।

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50 फीसदी लापरवाही का आरोप

मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, पेरम्बलूर ने 2022 में दावेदार रमेश को 3.07 लाख रुपये के मुआवजे का आदेश दिया था, लेकिन न्यायाधिकरण ने उनके खिलाफ 50 प्रतिशत लापरवाही का आरोप लगाते हुए मुआवजे से आनुपातिक राशि काट ली। इससे दुखी हो, दावेदार ने वर्तमान याचिका दायर की थी।

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जस्टिस ने कहा कि दुर्घटना रजिस्टर और डॉक्टर के साक्ष्य में यह उल्लेख किया गया था कि दावेदार से शराब की गंध आ रही थी। न्यायाधिकरण ने यह भी माना कि शराब के प्रभाव के कारण और लॉरी से सुरक्षित दूरी नहीं रख पाने के कारण दोपहिया वाहन की उसके पिछले हिस्से से टक्कर हो गई थी।

शराब पीना अपराध नहीं...स्टेट गर्वमेंट रखे नजर

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि उसके हिसाब से शराब पीना कोई अपराध नहीं है। ये भी कि वास्तव में, राज्य खुद से संचालित आईएमएफएल की दुकानों के माध्यम से नागरिकों को शराब का एकमात्र प्रदाता है। इसके मद्देनजर यह एकमात्र राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह शराब की खपत से होने वाले नतीजों का भी ध्यान रखे। साथ ही अदालत ने तमिलनाडु सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रधान सचिव को रक्त में अल्कोहल के स्तर का आकलन करने के संबंध में सभी अस्पतालों को एक परिपत्र जारी करने का निर्देश दिया।

स्टेट को निर्देश

साथ में कहा- इस प्रक्रिया को अनिवार्य बनाया जाए ताकि ऐसे मामलों की संख्या में वृद्धि न हो जहां चालक शराब पीकर वाहन चलाते हैं...राज्य सरकार औचक निरीक्षण करने के लिए कदम उठा रही है, लेकिन यह समस्या इतने से ही ठीक नहीं होगी। बल्कि कम से कम ऐसे मामलों में जहां दुर्घटनाएं होती हैं, रक्त में अल्कोहल के स्तर का आकलन करना अनिवार्य बनाना होगा। कोर्ट ने अपने आदेश में बेतरतीब ट्रैफिक व्यवस्था का भी जिक्र किया।  

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Published April 18th, 2024 at 08:29 IST

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