अपडेटेड 3 August 2024 at 13:33 IST

'दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो...' कानून मंत्री ने याद दिलाई कृष्ण की चेतावनी

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि 29 जुलाई से तीन अगस्त तक चले लोक अदालत में सभी प्रकार के मेटर सेटल किए गए हैं।

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'दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो...' कानून मंत्री ने याद दिलाई कृष्ण की चेतावनी
कानून मंत्री का बयान | Image: कानून मंत्री का बयान

Law Minister Arjun Ram News: सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के 75वें साल पूरे होने पर एक समारोह आयोजित किया गया, जिसमें कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि 29 जुलाई से तीन अगस्त तक चले लोक अदालत में सभी प्रकार के मेटर सेटल किए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट की पहल की तारीफ करते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि, 'इस देश मे पहली लोक अदालत भगवान कृष्ण ने लगाई थी। भगवान कृष्ण के प्रस्ताव को दुर्योधन ने नहीं माना तो समस्या हुई। तब दिनकर साहब ने लिखा कि, 'दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पांच ग्राम।'

1000 से ज्यादा मामले सेटल किए गए

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि, 'दिनकर साहब ने कहा कि जब नाश मनुष्य पर छाता है तो पहले विवेक मर जाता है, जिसके बाद विवेक को जगाने का काम लोक अदालतें करती हैं। 1000 से ज्यादा मामले सेटल हुए ऐसा सीजेआई ने मुझे बताया है। कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी कुछ बात तो है सुप्रीम कोर्ट में क्योंकि ऐसा काम करने के लिए  अलग बिहेवियर होने की जरूरत है।'

सुप्रीम कोर्ट पूरे देश का सुप्रीम कोर्ट है- चंद्रचूड़ 

कार्यक्रम में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, '29 जुलाई से 3 अगस्त तक सुप्रीम कोर्ट में लोक अदालत लगी थी, एक टीम लीडर उतना ही बेहतर हो सकता है, जितनी उनकी टीम। पूरी टीम के सहयोग के बिना ये संभव नहीं था। सुप्रीन कोर्ट भले ही दिल्ली में हो, लेकिन ये सिर्फ दिल्ली का सुप्रीम कोर्ट नहीं है, ये पूरे देश का सुप्रीम कोर्ट है।

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 चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि, 'लोक अदालत के मामलों के निपटारे कर लिए हमने पैनल में दो जज और दो मेंबर बार के रखें थे। मकसद था कि वकीलों को भी उचित प्रतिनिधित्व रहे, इस दरम्यान जजों और वकीलों को एक दूसरे से समझने का मौका भी मिला।'

सुप्रीम कोर्ट का मकसद न्याय तक पहुंच- चंद्रचूड़

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, कई बार मुझसे पूछा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट इतने छोटे केस को इतनी अहमियत क्यों दे रहा है। इसका मकसद क्या है? तब मैं इस बात का जवाब देता हूं कि डॉक्टर अंबेडकर जैसे संविधान निर्माताओं ने संविधान के आर्टिकल 136 का प्रावधान किया। इस गरीब समाज में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना का मकसद था कि वो जनता तक न्याय सुलभ हो सके।

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सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के पीछे आईडिया नहीं था कि US सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर 180 संवैधानिक मामलों का ही निपटारा करें, बल्कि इसका मकसद लोगों तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित करना और न्याय सबके द्वार ही इसका मकसद है।

हम लोगों की जिंदगी से जुड़े हैं- चंद्रचूड़

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, ‘कई बार लोग कानूनी प्रकिया से इतने परेशान हो जाते है कि वो किसी भी तरह का सेटलमेंट करके बस कोर्ट से दूर जाना चाहते है। ये चिंता का विषय है। लोकअदालत का मकसद है कि, लोगों को इस बात का आभास हो कि जज उनकी जिंदगी से जुड़े है, हम भले ही न्यायपालिका के शीर्ष पर हो, लेकिन हम लोगों की जिंदगी से जुड़े हैं। लोगों को लगता होगा कि जज शाम 4 बजे के बाद काम बंद कर देते है, पर ऐसा नहीं है। वो अगले दिन की फाइल पढ़ते है। वीकेंड पर जज आराम न करके यात्रा कर रहे होते हैं ताकि समाज तक पहुंच सके।’

सफल इंसान वही जो मनाना जानता हो- अर्जुन राम 

अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि, दुनिया में सबसे सफल इंसान वही होता है, जो टूटे को बनाना और रूठे को मनाना जानता हो। सीजेआई साहब ने बड़ा काम किया है। उन्होंने आगे कहा कि, आनंद वहां नहीं है जहां धन मिले आनंद तो वहां है जहां मन मिले। सभी को बधाई देता हूं सभी को जिन्होंने लोक अदालत के जरिए लोगों को न्याय दिलाने में भाग लिया है।

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 3 August 2024 at 13:33 IST