अपडेटेड 12 February 2025 at 14:47 IST

नए कानून के तहत सीईसी और ईसी की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 19 फरवरी को सुनवाई

पीठ ने कहा, “हम मामले की सुनवाई के लिए 19 फरवरी की तारीख तय रहे हैं। यदि इस बीच कुछ भी होता है, तो उसके परिणामों का सामना करना होगा।”

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supreme court | Image: PTI

उच्चतम न्यायालय ने 2023 के कानून के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए बुधवार को 19 फरवरी की तारीख तय की और कहा कि यदि इस बीच कुछ भी घटित होता है, तो उसके परिणाम अवश्य भुगतने होंगे।

एक गैर सरकारी संगठन की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ को बताया कि पहले इन याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन अब इन्हें 19 फरवरी के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

भूषण ने कहा कि मामले पर तत्काल सुनवाई होनी चाहिए क्योंकि मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाले हैं और सरकार 2023 के कानून के तहत नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कर सकती है।

पीठ ने कहा, “हम मामले की सुनवाई के लिए 19 फरवरी की तारीख तय रहे हैं। यदि इस बीच कुछ भी होता है, तो उसके परिणामों का सामना करना होगा।” एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की ओर से पेश हुए भूषण ने कहा कि शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री ने उन्हें सूचित किया था कि न्यायमूर्ति कांत के अस्वस्थ होने के कारण मामले की सुनवाई 19 फरवरी को तय की गई है। न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि अब सभी याचिकाओं की सुनवाई 19 फरवरी को होगी।

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शीर्ष अदालत ने तीन फरवरी को मामले की सुनवाई के लिए 12 फरवरी की तारीख तय करते हुए कहा था कि वह इस मुद्दे पर गुण-दोष के आधार पर अंतिम निर्णय करेगी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर गुण-दोष के आधार पर और अंतिम फैसला करेगी।

भूषण ने कहा था कि 2023 के फैसले में कहा गया है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति केवल सरकार द्वारा नहीं बल्कि प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश वाली एक स्वतंत्र समिति द्वारा की जाए, अन्यथा यह चुनावी लोकतंत्र के लिए खतरा होगा।

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भूषण ने कहा था, "वे एक अधिनियम लेकर आए हैं जिसके तहत उन्होंने प्रधान न्यायाधीश को समिति से हटा दिया है और दूसरे मंत्री को ले आए हैं, जिससे प्रभावी रूप से आयुक्तों की नियुक्ति केवल सरकार की इच्छा पर निर्भर हो गई है। संविधान पीठ ने ठीक यही कहा है कि यह समान अवसर और हमारे चुनावी लोकतंत्र के खिलाफ है। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए आपको एक स्वतंत्र समिति की आवश्यकता है।"

याचिकाकर्ता कांग्रेस की जया ठाकुर की ओर से पेश हुए अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने कहा था कि उन्होंने केंद्र को यह निर्देश देने के लिए याचिका दायर की है कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति संविधान पीठ के दो मार्च, 2023 के फैसले के अनुसार की जानी चाहिए।

उच्चतम न्यायालय के दो मार्च, 2023 के फैसले में कहा गया था कि चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कार्यपालिका के हाथों में छोड़ना देश के लोकतंत्र के स्वास्थ्य, और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए हानिकारक होगा।

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भूषण की दलील और अंतरिम आदेश के उनके अनुरोध का विरोध किया था।

Published By : Ritesh Kumar

पब्लिश्ड 12 February 2025 at 14:47 IST