अपडेटेड 2 January 2025 at 14:59 IST

1991 के वर्शिप एक्ट पर होगी सुनवाई, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट तैयार

चीफ जस्टिस ने कहा, 'हम इस मामले को संबंधित अन्य मामलों के साथ संलग्न कर रहे हैं।' ओवैसी ने 17 दिसंबर, 2024 को वकील फुजैल अहमद अय्यूबी ने याचिका दायर की थी।'

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AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट तैयार | Image: x/@asadowaisi

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बृहस्पतिवार को 1991 के पूजा स्थल कानून (Worship Act) को लागू करने के अनुरोध वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM ) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की याचिका पर विचार करने को लेकर सहमति जताई। वर्ष 1991 के पूजा स्थल कानून में किसी स्थान के धार्मिक चरित्र (Religious Charrecter) को 15 अगस्त 1947 के अनुसार बनाए रखने की बात कही गई है।

सुप्रीम कोर्ट प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना (Chief Justice Sanjeev Khanna) और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने आदेश दिया कि ओवैसी की नयी याचिका को इस मामले में लंबित मामलों के साथ संलग्न किया जाए और कहा कि मामले में 17 फरवरी को सुनवाई की जाएगी। सुनवाई शुरू होने पर एआईएमआईएम के अध्यक्ष ओवैसी की ओर से पेश हुए वकील निजाम पाशा ने कहा कि अदालत इस मुद्दे पर विभिन्न याचिकाओं पर विचार कर रही है और नयी याचिका को भी उनके साथ संलग्न किया जा सकता है।


चीफ जस्टिस ने कहा ओवैसी की याचिका पर करेंगे सुनवाई

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, 'हम इस मामले को संबंधित अन्य मामलों के साथ संलग्न कर रहे हैं।' ओवैसी ने 17 दिसंबर, 2024 को वकील फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से याचिका दायर की थी। हालांकि, 12 दिसंबर को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने 1991 के कानून के खिलाफ दायर इसी तरह की कई अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सभी अदालतों को नए मुकदमों पर विचार करने और धार्मिक स्थलों, विशेषकर मस्जिदों एवं दरगाहों पर अन्य समुदाय द्वारा पुनः दावा करने के लंबित मामलों में कोई भी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने से रोक दिया था।


1991 वर्शिप एक्ट को दी गई चुनौती

विशेष पीठ छह याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर मुख्य याचिका भी शामिल थी, जिसमें पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी गई थी। वर्ष 1991 का कानून किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक स्वरूप में परिवर्तन पर रोक लगाता है तथा किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक स्वरूप को उसी रूप में बनाए रखने का प्रावधान करता है जैसा वह 15 अगस्त 1947 को था।ओवैसी के वकील ने बताया कि उन्होंने अपनी याचिका में केंद्र को कानून का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। ओवैसी ने उन मामलों का भी जिक्र किया जहां कई अदालतों ने हिंदू वादियों की याचिकाओं पर मस्जिदों के सर्वेक्षण का आदेश दिया था।

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 2 January 2025 at 14:59 IST