अपडेटेड 10 August 2021 at 18:43 IST

Kareena Kapoor Khan ने दूसरे बेटे का नाम रखा 'जहांगीर', जानें कितने 'क्रूर' या 'दरियादिल' था ये मुगल शासक

मुगल वंश के चौथे सम्राट जहांगीर का जन्म 1569 में फतेहपुर सीकरी में मुगल सम्राट अकबर और उनकी पहली पत्नी मरियम-उज़-ज़मानी, अंबर के राजा भारमल की बेटी के यहां हुआ था।

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pc : jajafari/twitter | Image: self

जब से करीना कपूर खान और सैफ अली खान के दूसरे बेटे का नाम 'जहांगीर' रखने की रिपोर्ट सोशल मीडिया पर साझा की गई हैं, तब से कई लोग इतिहास के पन्ने पलटने में रुचि दिखा रहे हैं। लोग यह जानना चाहते हैं कि यह 'जहांगीर' कौन थे, जिसके नाम को सोच कर इन सितारों ने अपने बच्चे को नाम दिया हैं। दरअसल, जहांगीर मुगल सम्राट अकबर के बेटे थे।

जहांगीर का जन्म

मुगल वंश के चौथे सम्राट जहांगीर का जन्म 1569 में फतेहपुर सीकरी में मुगल सम्राट अकबर और उनकी पहली पत्नी मरियम-उज़-ज़मानी, अंबर के राजा भारमल की बेटी के यहां हुआ था। बता दें कि अकबर के बाद, जहांगीर चौथे मुगल सम्राट बने थे, जिन्होंने 1605 से 1627 में अपनी मृत्यु तक शासन किया था। अपने पिता की तरह उन्होंने भी मुगल सम्राट के विस्तार के उद्देश्य से सैन्य अभियानों की एक श्रृंखला शुरू की थी।

जहांगीर को कैसे मिला सलीम का नाम?

अकबर ने फतेहपुर सीकरी में रहने वाले एक मौलाना शेख सलीम चिश्ती से दुआ मांगी थी। इस बात पर मौलाना ने भविष्यवाणी कर ये कहा कि अकबर के तीन बेटे होंगे और वे कम उम्र में नहीं मरेंगे। इसके बाद जब 1569 में अकबर ने अपनी पहली पत्नी के गर्भवती होने की खबर सुनी, तो उसने बच्चे के जन्म तक उसे शेख के घर भेज दिया। वहीं शेख की भविष्यवाणी सच होने के बाद अकबर ने अपने बेटे का नाम उनके नाम पर सलीम रख दिया।

36 साल की उम्र में सत्ता पर विराजमान हुए और इसे आगे बढ़ाया

अकबर की मृत्यु के एक हफ्ते बाद, सलीम को गद्दी पर बैठा दिया गया था। उन्हें नूर-उद-दीन मुहम्मद जहांगीर बादशाह गाज़ी कहा जाता था। जहांगीर का सबसे प्रिय पुत्र खुर्रम था, जो बाद में शाहजहां के नाम से जाना जाने लगा।

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उस समय जहांगीर  की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक उपलब्धि को 1613 में मुगल-मेवाड़ संघर्ष की समाप्ति कहा जाता है। राजकुमार खुर्रम ने उस समय सर्वोच्च कमान संभाली और जहांगीर कार्रवाई के केंद्र में थे। जानकारी के अनुसार, राणा अमर सिंह ने मुगल सम्राट को अपने अधिपति के रूप में मान्यता दी थी, और मुगल कब्जे में उनके सभी क्षेत्र को चित्तोड़ सहित बहाल कर दिया गया था - हालांकि इसे मजबूत नहीं किया जा सकता था।

वहीं जहांगीर ने इसके अलावा, कांगड़ा, किश्तवाड़ (कश्मीर में), नवानगर और कच्छ (पश्चिमी भारत में कच्छ) के राजपूत शासकों ने मुगल वर्चस्व को स्वीकार किया था। 

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मुगल सम्राट जहांगीर ने मारा था सिखों के 5वें गुरु अर्जुन देव को 

बता दें कि गुरु अर्जुनदेव सिखों के पांचवें गुरु थे। उनकी मृत्यु लाहौर में हुई थी। बताया जाता है कि सिखों के 5वें गुरु अर्जुन देव, जो ख़ुसरो की मदद कर रहे थे, उन्हें मारने से पहले काफी शारीरिक यातनाए दी गई थी, जिसके बाद उन्हें सन 1614 में  फांसी दे दी गयी। जानकारी के मुताबिक, शहजादा खुसरो ने अपने पिता जहांगीर के खिलाफ बगावत कर दी थी। इस दौरान वो अपने पिता से बचने के लिए भागकर पंजाब चले गए। उस समय गुरु अर्जन देव जी ने उनका स्वागत किया और आशीर्वाद दिया। जब इस बात की जानकारी जहांगीर को हुई तो उन्होंने गुरु सिख गुरु को गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया। उन पर मुगल बादशाह जहांगीर से बगावत करने का आरोप लगा। जहांगीर ने गुरु अर्जन देव जी को यातना देकर मारने का आदेश दिया।

लाहौर के रास्ते में हुई थी जहांगीर की मौत

1620 के दशक में, जहांगीर ने अपने स्वास्थ्य के साथ संघर्ष करना शुरू कर दिया था। उन्होंने कथित तौर पर अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कश्मीर और काबुल के बीच यात्रा की। उन्होंने कश्मीर को बेहद ठंडा पाया और लाहौर जाने का फैसला किया। हालांकि, वह अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच सके और 1627 में भीम्बर में सराय सादाबाद के पास ठहर गए। जहांगीर के शरीर को उस शहर के उपनगर शाहदरा बाग में दफनाया गया था। उनकी समाधि आज एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण स्थल है।

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Published By : Priya Gandhi

पब्लिश्ड 10 August 2021 at 18:43 IST