अपडेटेड 14 June 2024 at 15:34 IST

कश्मीर में आज मनाया जा रहा खीर भवानी मेला, भक्त हैं कश्मीरी पंडित… पूरी कहानी है बेहद खास

Kheer Bhawani Mela: कश्मीर में गांदरबल के तुलमुला में आज खास खीर भवानी मेले की धूम देखने को मिल रही है, वहीं घाटी में इसको लेकर खास इंतजाम भी किए गए हैं।

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Kheer Bhawani Temple
खीर भवानी मंदिर | Image: ANI

Kheer Bhawani Mela: कश्मीर में गांदरबल के तुलमुला में आज खास खीर भवानी मेले की धूम देखने को मिल रही है, वहीं घाटी में इसको लेकर खास इंतजाम भी किए गए हैं। यहां के खीर भवानी मंदिर को कश्मीरी पंडितों के लिए आस्था का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। इसलिए आज के दिन देश-विदेशों से खासकर कश्मीरी पंडित यहां माता रागन्या के दर्शन करने पहुंचे हैं।

मंदिर में माता रागन्या यहां की देवी हैं। बताया जाता है कि साल 1989 में आतंकी घटनाओं से परेशान होकर कश्मीरी पंडित यहां से विस्थापित हो गए थे। वहीं खीर भवानी मंदिर वाले रास्तों पर सुरक्षा बलों की तैनाती भी आज बढ़ाई गई है। साथ ही जिला प्रशासन द्वारा पहले ही मंदिर में पहुंचने वाले भक्तों की सुरक्षा के लिए सभी खास तैयारियां कर ली गई थी।

कश्मीरी पंडितों के जत्थे ने टेका मत्था

सुबह सवेरे जम्मू से तुलमुला पहुंचे कश्मीरी पंडितों के पहले जत्थे ने मंदिर में मत्था टेककर माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त कर सुख-समृद्धि की कामना की। साथ ही, नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारुख़ अब्दुल्ला भी खीर भवानी मेले में शामिल हुए।

उम्मीद करते हैं दोबारा अपने घर आएं भाई-बहन- अब्दुल्ला

नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारुख़ अब्दुल्ला ने कहा कि, "सबसे अच्छी बात ये है कि हमारे भाई-बहन यहां तशरीफ़ लाए हैं... हम उम्मीद करते हैं कि वो दिन जल्द ही आएगा जब ये दोबारा अपने घर आएंगे और अमन से हम सबके साथ रहेंगे। इसलिए भाईचारा जरूरी है।"

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मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा आप भी जाने 

देश में जितने भी मंदिर हैं, उन सभी के पीछे कोई न कोई मान्यता है। आमतौर पर हर मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। ऐसा ही कश्मीर के खीर भवानी मंदिर को भी कहानी है। यह मंदिर श्रीनगर से तकरीबन 27 किलोमीटर की दूरी पर तुलमुल गांव में है। बताया जाता है कि,  इस मंदिर में माता को प्रसाद के रूप में खीर चढ़ाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक सीता हरण से दुखी होकर यह देवी लंका से कश्मीर आ गई थीं। इसी तरह खीर भवानी मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के बारे में लोग बताते हैं।

मंदिर के कुंड से मिलते हैं घटित होने वाले संकेत

कहा जाता है कि घाटी में जब भी कोई दिक्कत आने वाली होती है तो इस मंदिर से कुछ संकेत मिलते हैं। इसी तरह जब साल 2014 में कश्मीर में बाढ़ आई थी, तब भी आपदा आने से पहले इस मंदिर के कुंड का पानी गहरा काला हो गया था। काले रंग के इस पानी को देखकर सभी पंडित ये जान गए थे कि कोई बड़ी आपदा आने वाली है।

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मंदिर की खास बात 

आस्था के साथ-साथ खीर भवानी के मंदिर की खास बात हिंदू-मुस्लिम एकता है। यहां पर पूजा के लिए सारी सामग्री मुसलमान बेचते हैं। यहां तक कि चढ़ावे का दूध भी मुसलमानों के यहां से उपलब्ध होता हैं।  

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साल भर दर्शन के लिए आते हैं श्रद्धालु

खीर भवानी मंदिर साल भर खुला रहता है, लेकिन जून से लेकर अगस्त तक यहां कुछ ज्यादा ही रौनक देखने को मिलती है। हर साल देश-विदेश में बसे तमाम कश्मीरी पंडित साल में एक बार माता खीर भवानी के दर्शन करने के लिए जरूर आते हैं। यहां घूमने आने वाले सैलानी भी इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता है।

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 14 June 2024 at 13:22 IST