Published 21:10 IST, September 8th 2024
केरल: आरएसएस नेता के साथ एडीजीपी की भेंट पर माकपा व कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध जारी
पिछले साल वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अजीत कुमार की RSS के वरिष्ठ नेता के साथ मुलाकात को लेकर केरल में सत्तारूढ़ CPI (M) और विपक्षी दल कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध जारी है।
पिछले साल वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अजीत कुमार की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक वरिष्ठ नेता के साथ मुलाकात को लेकर केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और विपक्षी दल कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध जारी है।
माकपा, कांग्रेस के इस आरोप को खारिज कर चुकी है कि कुमार मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का संदेशवाहक बनकर आरएसएस नेता के पास गये थे।
कुमार ने दावा किया था कि आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के साथ उनकी भेंट व्यक्तिगत थी। उसके एक दिन बाद माकपा के प्रदेश सचिव एम वी गोविंदन ने रविवार को कहा कि किसी के भी साथ अधिकारी की भेंट से माकपा का कोई सरोकार नहीं है।
मीडिया पर इस विषय पर विवाद खड़ा करने का आरोप लगाते हुए गोविंदन ने कहा कि माकपा की इसमें कोई भूमिका नहीं है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘एडीजीपी (कुमार) की किसी से भी भेंट से हमारा कोई सरोकार नहीं है। विपक्ष के नेता का यह आरोप कि वह मुख्यमंत्री की तरफ से आरएसएस नेता से मिलने गये थे, बिल्कुल बकवास है.... और मैं यह पहले ही स्पष्ट कर चुका हूं।’’
उन्होंने कहा कि अधिकारी की इस भेंट को माकपा से जोड़ने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि राज्य में हर व्यक्ति भाजपा के प्रति इस वामदल के रूख से अच्छी तरह परिचित है।
हालांकि, कांग्रेस पार्टी पिछले साल त्रिशूर में आरएसएस सरकार्यवाह से एडीजीपी की भेंट से अपने आप को अलग करने की माकपा की कोशिश से संतुष्ट नहीं लग रही है।
पथनमथिट्टा के रन्नी में संवाददाताओं से बातचीत में विपक्ष के नेता (कांग्रेस) वी डी सतीशन ने आरोप लगाया कि अजीत कुमार ने मुख्यमंत्री के ‘राजनीतिक संदेश’ के साथ होसबाले से भेंट की थी।
उन्होंने कहा कि उन्होंने कई बार जानकारी की पुष्टि कर लेने के बाद पिछले सप्ताह इस विवादास्पद बैठक के विवरण को पहली बार उजागर किया था।
सतीशन ने माकपा के इस रुख को खारिज किया कि उसका शीर्ष अधिकारी के इस कृत्य से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने सवाल किया, ‘‘ अब माकपा कह रही है कि एडीजीपी ने अपनी मर्जी से आरएसएस नेता से मुलाकात की थी। राज्य के कानून व्यवस्था के प्रभारी एडीजीपी ने किस व्यक्तिगत मामले को लेकर आरएसएस नेता से भेंट की थी?’’
उन्होंने आरोप लगाया कि होसबाले वह नेता हैं, जिन्होंने मांग की थी कि देश में कोई अल्पसंख्यक अधिकार नहीं होने चाहिए तथा मुख्यमंत्री ने अपने करीबी अधिकारी को ऐसे व्यक्ति से मिलने भेजा।
कांग्रेस नेता सतीशन ने कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि मार्क्सवादी पार्टी के धर्मनिरपेक्षता समर्थक अभियान का कोई मतलब नहीं है।
सतीशन ने यह भी कहा कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि एडीजीपी ने त्रिशूर पुरम को बाधित करने के लिए आरएसएस नेता से मुलाकात की थी।
विपक्ष के नेता ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने एडीजीपी के माध्यम से यह संदेश भेजा कि माकपा केरल में भाजपा को खाता खोलने में मदद कर सकती है, लेकिन बदले में उसे केंद्रीय एजेंसियों की जांच की आड़ में परेशान नहीं किया जाना चाहिए।
इस बीच विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) के अन्य घटक इंडियन मुस्लिम यूनियन लीग ने मुख्यमंत्री विजयन से इस मुद्दे पर चुप्पी तोड़ने की अपील की।
यूडीएफ संयोजक एम एम हसन ने इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देने में मुख्यमंत्री और माकपा की अनिच्छा को ‘हास्यास्पद’ बताया।
आईयूएमएल के वरिष्ठ नेता पी के कुन्हलिकुट्टी ने कहा, ‘‘...मुख्यमंत्री के लिए यह बेहतर है कि वह इस मामले पर चुप्पी तोड़कर राज्य के लोगों के सामने तथ्यों पर सफाई दें।’’
कुमार को लगातार निशाना बना रहे सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के विधायक पी वी अनवर ने मलप्पुरम में मीडिया से कहा, ‘‘मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं कि वह एक कुख्यात अपराधी हैं। अगर जांच अधिकारी (जो उसके खिलाफ आरोपों की जांच कर रहे हैं) ईमानदारी से जांच करें तो केरल को निश्चित रूप से पता चल जाएगा कि वह एक कुख्यात अपराधी हैं। ’’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन आईपीएस अधिकारी ने अपने विरूद्ध सबूतों को नष्ट करने के लिए अब छुट्टी के लिए आवेदन दिया है।
खबरों के अनुसार, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के विश्वासपात्र कुमार ने मुख्यमंत्री कार्यालय को बताया था कि उन्होंने पिछले साल मई में त्रिशूर में आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले से भेंट की थी, लेकिन स्पष्ट किया था कि यह उनकी ‘निजी मुलाकात’ थी।
Updated 21:10 IST, September 8th 2024