अपडेटेड 1 November 2023 at 09:40 IST
Karwa Chauth Katha: गणेश जी से जुड़ी है करवा चौथ व्रत की कथा, पढ़ने से मिलता है अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद
Karwa Chauth का पर्व देशभर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन पूजा के साथ कथा भी जरूर पढ़नी चाहिए। यह कथा भगवान गणेश से जुड़ी हुई है।
- भारत
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Karwa Chauth Vrat Katha 2023: देशभर में आज बड़ी ही धूम-धाम से करवा चौथ का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दिन सुहागिनें पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और विधि विधान से पूजा करती हैं, लेकिन इस दिन पूजा के साथ ही कथा का भी विशेष प्रावधान है। मान्यता है कि अगर करवा चौथ पर व्रत कथा न पढ़ी जाए तो यह पूजा सफल नहीं मानी जाती है। आइए जानते हैं इस दिन कौन-कौन सी कथा पढ़नी चाहिए।
स्टोरी में आगे ये पढ़ें...
- करवा चौथ पर कितनी कथा पढ़ने का विधान है?
- करवा चौथ पर पढ़ें गणेश जी से जुड़ी यह कथा
करवा चौथ पर कितनी कथा पढ़ने का विधान है?
हिंदू धर्म में कोई भी पूजा-पाठ बिना कथा के पूरा नहीं होती है। ऐसे ही Karwa Chauth का व्रत भी है। इस दिन 2 कथा पढ़ने का विधान है पहली साहूकार और उसके 7 बेटे की और दूसरी कथा गणेश जी और बुढ़िया से जुड़ी हुई है। इस आर्टिकल में हम आपको गणेश जी और बुढ़िया से जुड़ी कथा के बारे में बताएंगे, क्योंकि इसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं।
करवा चौथ गणेश जी की कथा
एक बार गणेश जी अपने दोनों हाथों में 2 कटोरी लिए पृथ्वी पर भ्रमण कर रहे थे। एक कटोरी में थोड़ा सा दूध था तो वहीं, दूसरी कटोरी में एक मुट्ठी कच्चे चावल थे। दोनों चीजों को लेकर गणेश जी ने पृथ्वी पर घुमते हुए कई लोगों से खीर बनाने का निवेदन किया लेकिन सभी ने मना कर दिया, क्योंकि मात्र एक मुट्ठी चावल और जरा से दूध से खीर बनाना संभव नहीं था। तभी श्री गणेश एक बूढ़ी अम्मा के दरवाजे पर जा पहुंचे और उनसे प्रार्थना करने लगे कि वह खीर बना लें।
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गणपति जी ने मुट्ठीभर चावल के लिए क्यों मंगवाया बोरा?
गणेश जी के आग्रह करने पर बूढ़ी अम्मा मान गईं और गणेश जी से दोनों कटोरी मांगने लगीं। तब गणेश जी ने अम्मा से एक 2 बोरा लाने को कहा। जब अम्मा ने कारण पूछा तो उन्होंने बोला कि इन दोनों कटोरी में मौजूद दूध और चावल को बोरे में खाली करना है ताकि बोरा भरकर खीर बन सके और गांव में बंट सके।
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गणेश जी की इस बात पर चौंक गई बूढ़ी अम्मा
गणपति महाराज की यह बात सुनकर अम्मा चौंक गईं और बोलीं कि यह तो संभव ही नहीं कि जरा से दूध और चावल से बोरा भर जाए, लेकिन गणेश जी के कहने पर वह 2 बोरे ले आईं और उनमें चावल और दूध डाल दिया। इसके बाद बोरे चावल और दूध से भर गए जिसे देख बूढ़ी अम्मा चौंक गईं। हालांकि इसके बाद उन्होंने खीर बनाना शुरू किया।
बूढ़ी अम्मा की बहू ने कर दी ये गलती
जब खीर बनकर तैयार हो गई तो बूढ़ी अम्मा बाहर गांव वालों को बुलाने के लिए जाने लगीं और गणेश जी से बोलीं कि आप स्नान कर लीजिए। इसके बाद आपको भोग लगाकर ही गांव में खीर बाटूंगी। गणेश जी स्नान के लिए चले गए और बूढ़ी अम्मा गांव वालों को बुलाने के लिए बाहर चली गईं कि तभी उनकी बहू आई।
गणेश जी ने जब कर दिया खीर खाने से मना...
अम्मा की बहू गर्भवती थी। खीर देखकर उसका मन ललचा गया और उसने थोड़ी सी खीर खा ली। इसके बाद जब गणेश जी स्नान करके आए तब तक अम्मा भी आ चुकी थीं और उन्होंने गणेश जी को भोग लगाने के लिए खीर निकालना शुरू किया। तब गणेश जी ने भोग खाने से मना कर दिया। इस पर अम्मा ने इसका कारण पूछा, तो उन्होंने बताया कि माई खीर का भोग तो पहले से ही लग चुका है। गणेश जी ने बताया कि खीर किसी और ने नहीं बल्कि उनकी बहू ने ही खाई है। यह जान अम्मा दुखी हो गईं और बहू को उदास मन से देखने लगीं तब श्री गणेश ने उन्हें समझाया कि खीर नवजात बालक ने खाई है।
करवाचौथ में गर्भवती महिलाओं को क्यों होती है खाने की छूट?
गणपति जी ने कहा कि गर्भ में पल रहे बालक या गर्भवती मां द्वारा खीर खा लेने से एक प्रकार से भोग उन्हें ही लगा है, क्योंकि गर्भवती महिला या गर्भ में पल रहा बालक सबसे शुद्ध और पवित्र माना जाता हैं। तब कहीं जाकर बूढ़ी अम्मा संतुष्ट हुईं और गांव के सभी लोगों को खीर खिलाई। साथ ही, गणेश जी ने भी खाई। कहा जाता है कि जिस दिन यह घटना हुई थी उस दिन करवा चौथ था। इसलिए यह कथा करवा चौथ के पावन व्रत से जुड़ गई। यही कारण है कि करवा चौथ के दिन गर्भवती महिला द्वारा भोजन करना वर्जित नहीं माना गया है बल्कि इसे एक प्रकार से भगवान का भोग लगाने के समान माना गया है।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 1 November 2023 at 09:06 IST