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Published 23:22 IST, September 6th 2024

Karnataka: तत्काल टिकट बुकिंग टूल के स्टार्टअप संस्थापक के खिलाफ आपराधिक केस खारिज, HC ने कही ये बात

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उस आईआईटी स्नातक और स्टार्टअप संस्थापक के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को खारिज कर दिया है।

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karnataka high court | Image: Shutterstock

karnataka High Court: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उस आईआईटी स्नातक और स्टार्टअप संस्थापक के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को खारिज कर दिया है जिन्होंने एक ऐसा ‘सॉफ्टवेयर टूल’ विकसित किया था, जिससे रेलवे तत्काल टिकट बुक करने में लगने वाले समय में काफी कमी आई थी।

गौरव ढाके पर रेलवे अधिनियम की धारा 143 के तहत कथित रूप से अवैध रूप से रेलवे टिकट खरीदने और वितरित करने का आरोप लगाया गया था। न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने उनके खिलाफ दर्ज मामला खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि ढाके द्वारा उस ‘ब्राउजर एक्सटेंशन’ बनाने से रेलवे अधिनियम का उल्लंघन नहीं हुआ, जिससे तत्काल बुकिंग का समय पांच-सात मिनट से घटकर सिर्फ 45 सेकंड रह गया था।

यह सॉफ्टवेयर टूल शुरू में निशुल्क उपलब्ध कराया गया था। फरवरी 2020 में, ढाके ने एजेंट द्वारा थोक में टिकट बुक कराने से रोकने के लिए इसके उपयोग को प्रतिदिन 10 बुकिंग तक सीमित कर दिया था और ‘‘प्रामाणिकता’’ के लिए प्रति बुकिंग 30 रुपये शुल्क लेना शुरू कर दिया। रेलवे ने सितंबर 2020 में ढाके को नोटिस जारी किया, जिसके बाद उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया।

रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने दलील दी कि ढाके ने सॉफ्टवेयर से 12 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा कमाया है, लेकिन अदालत को अवैध टिकट खरीद या आपूर्ति का कोई सबूत नहीं मिला, जो रेलवे अधिनियम की धारा 143 के तहत आरोपों को उचित ठहराने के लिए आवश्यक तथ्य हैं। अदालत ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता रेलवे टिकट खरीदने या वितरित करने के अनधिकृत कारोबार में शामिल नहीं है।’’

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Updated 23:22 IST, September 6th 2024