अपडेटेड 30 May 2024 at 17:05 IST
समंदर के 500 मी. अंदर, 130 साल पहले स्वामी ने लगाया ध्यान, क्या है विवेकानंद रॉक मेमोरियल का इतिहास?
Rock Memorial: 132 साल पहले स्वामी विवेकानंद ने रॉक मेमोरियल वाली जगह पर ध्यान लगाया था। उन्होंने 1892 में 24, 25 और 26 दिसंबर को 3 दिन तक तप किया था।
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Vivekanandar Rock Memorial: समुद्र की सुखद हवा और नाचती लहरों के बीच एक चट्टान है, जो बहुत ही रहस्यमय और सुंदर है। इसे मौजूदा वक्त में विवेकानंद रॉक मेमोरियल कहते हैं। विवेकानंद रॉक मेमोरियल जमीन से लगभग 500 मीटर की दूरी पर समंदर के बीच एक चट्टान पर बना है। इसकी चर्चा आजकल इसलिए है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां ध्यान साधना करने वाले हैं। अगले तीन दिन पीएम नरेंद्र मोदी सागर की लहरों के बीच एकांत में रहेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम की बात करें तो 30 मई की शाम से 1 जून की शाम तक कन्याकुमारी के ध्यान मंडपम में ध्यान करेंगे। 3 दिन का कन्याकुमारी में आध्यात्मिक प्रवास होगा। शुरुआत में पीएम मोदी कन्याकुमारी के भगवती अम्मन मंदिर में दर्शन और पूजा करेंगे। फिर विवेकानंद रॉक मेमोरियल जाएंगे, जहां वो 30 मई की शाम से 1 जून की शाम तक ध्यान मंडपम में दिन-रात 'ध्यान साधना' करेंगे।
कन्याकुमारी का विवेकानंद रॉक मेमोरियल
यहां विवेकानंद की एक प्रतिमा स्थित है। स्मारक में दो मुख्य संरचनाएं हैं, एक विवेकानंद मंडपम और दूसरा श्रीपद मंडपम। दोनों मंडप इस प्रकार डिजाइन किए गए हैं कि प्रतिमा में स्वामी विवेकानंद की दृष्टि सीधे श्रीपदम की ओर दिखाई देगी। यहां घूमने का समय- सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक है।
विवेकानंद रॉक मेमोरियल का इतिहास
जिस स्थान पर पीएम मोदी ध्यान साधना करेंगे, उसका अपना एक इतिहास है। 132 साल पहले 19वीं सदी के दार्शनिक और लेखक स्वामी विवेकानंद ने इसी जगह पर ध्यान लगाया था। उन्होंने 1892 में 24, 25 और 26 दिसंबर को 3 दिन तक तप किया था। माना जाता है कि कन्याकुमारी वो जगह है, जहां स्वामी विवेकानंद को भारत माता के दर्शन हुए थे। यहीं पर वो देशभर में घूमने के बाद पहुंचे थे और 3 दिनों तक ध्यान किया। यहां विकसित भारत का सपना देखा था। ध्यान साधना के अगले साल स्वामी विवेकानंद ने 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में भारत की आध्यात्मिक ख्याति को दुनिया के सामने रखा। महान स्वामी विवेकानंद के सम्मान में 1970 में इसी जगह स्मारक बनाया गया था।
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सबसे महान आध्यात्मिक नेताओं में से एक स्वामी विवेकानंद ने कहा था- 'दिल और दिमाग के बीच संघर्ष में अपने दिल की सुनो'। कहा जाता है कि जब कोई कन्याकुमारी पहुंचता है, तो अपने दिल और दिमाग की बात सुनने से खुद को रोक नहीं पाता, क्योंकि यहां का विवेकानंद रॉक मेमोरियल अपनी शानदार भव्यता के साथ हर किसी को आमंत्रित करता है। इसके अलावा ये भारत का सबसे दक्षिणी छोर है। ये वो जगह है, जहां भारत की पूर्वी और पश्चिमी तटरेखाएं मिलती हैं। यहां हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर आकर मिलते हैं।
इसी जगह का एक धार्मिक महत्व भी माना जाता है। कहा जाता है कि यहां देवी पार्वती ने भगवान शिव के लिए ध्यान किया था। चट्टान का एक विशेष हिस्सा है, जिसके बारे में माना जाता है कि ये देवी के पैरों की छाप है। पौराणिक परंपरा में इसे 'श्रीपद पराई' के नाम से जाना जाता है।
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Published By : Amit Bajpayee
पब्लिश्ड 30 May 2024 at 17:05 IST