अपडेटेड 5 October 2023 at 10:17 IST

कलाईकुंडा एयर शो में लोगों ने देखा इतिहास! 1965 युद्ध के हीरो फ्लाइट लेफ्टिनेंट कुक को दिया गया सम्मान

वायुसेना 8 अक्टूबर को 91वां स्थापना दिवस मान रहा है। इससे पहले पूरे देश में सेलिब्रेशन्स का दौर जारी है। कलाईकुंडा में भी ऐसा ही कुछ हुआ। यहां भारत के सुनहरे इतिहास को भी रीक्रिएट किया गया।

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PC: Ani/airforceexhibition/kalaikunda
PC: Ani/airforceexhibition/kalaikunda | Image: self

Kalaikunda Air Show: 1965 में कैसे पाकिस्तानी विमान को लेफ्टिनेंट अलफ्रेड कुक ने खदेड़ दिया था, कैसे अपनी समझदारी के बूते पूरे एयरबेस को बचा लिया था और कैसे 7 सितंबर की उस तारीख ने हमें गौरवान्वित होने का मौका दिया । क्लाईकुंडा एयरफोर्स स्टेशन ने उस जज्बे को सलाम करने के लिए इस एयरशो को प्लान किया। फ्लाइट लेफ्टिनेंट कुक भी पहुंचे और मॉक एयर कॉम्बैट का गवाह बनें। यहां विमानों की प्रदर्शनी भी लगाई गई है जिसमें विभिन्न फाइटर प्लेन्स को डिस्प्ले किया गया है।

खबर में आगे पढ़ें-

  • पश्चिम बंगाल स्थित कलाईकुंडा से क्या है कुक का कनेक्शन?
  • 1965 की वो डॉग फाइट क्यों है ऐतिहासिक
  • एयर शो में गरजे विमान तो क्या आया लेफ्टिनेंट को याद!

कलाईकुंडा एयर बेस पर आसमान में गरजे विमान

कलाईकुंडा एयर फोर्स स्टेशन में 4 अक्टूबर को एयर शो कुछ अलग रहा। वो इसलिए क्योंकि आसमान में भारत के सुनहरे इतिहास को री क्रिएट किया गया। उस शख्स के सामने जिसने इतिहास अपनी समझबूझ और मजबूत इच्छाशक्ति के बूते गढ़ा था। नाम था फ्लाइट लेफ्टिनेंट अलफ्रेड कुक। जिन्होंने अपने विंगमैन एससी ममगईं संग मिलकर पाकिस्तानी एयर फाइटर्स को खदेड़ दिया था और एक को तो मार भी गिराया था। कुछ वैसा ही माहौल एयर बेस पर फिर से जिंदा हुआ और ऐसा अपने सामने होता देख कुक की आंखें भर आईं।

भावुक हुए कुक

डिफेंस मिनिस्ट्री के पीआरओ विंग कमांडर हिमांशु तिवारी ने बताया कि फ्लाइट लेफ्टिनेंट कुक (रिटायर्ड) को सम्मानित करने के लिए ही हम यहां एकत्रित हुए। कुक अपने Alma Mater में आए थे। 1965 में उन्होंने कलाईकुंडा एयरबेस को बचाया था इसलिए उन्हें रक्षक भी कहते हैं। 

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फ्लाई पास्ट देखने के बाद कलाईकुंडा एयरबेस के 'रक्षक' मीडिया से रूबरू हुए तो उन क्षणों को याद किया और कहा आज वो आंखों के सामने होते देख मेरी आंखें भर आई थीं। कहा-
पुराने हंटर एयरक्राफ्ट से मिल अच्छा लगा। मैं इमोश्नल हो गया, 1968 में मैं आखिरी बार इसमें बैठा था। हमने कर्व्स लिए थे अब भी याद है फ्लाइंग पास्ट शानदार रही। मेरी आंखों में आंसू थे और गला रूंध गया था। मैंने इस एयरबेस पर सात साल गुजारे अब यहां आकर अच्छा लग रहा है। मुझे लग रहा है जैसे मैं अपने घर आ गया हूं।


ऐतिहासिक डॉग फाइट थी वो!

जेट युग इतिहास की बेहतरीन डॉगफाइटों में उस एयर फाइट को शामिल किया गया है। आकाश में चली उस लड़ाई में दो विमानों में सवार हमारे दोनों जांबाज़ों का मुकाबला पाकिस्तानी वायुसेना के अमेरिका में बने चार सेबर लड़ाकू विमानों से था। जी-जान से लड़े थे, हमारे जांबाज और 12 मिनट में ही पाकिस्तानियों को उनकी औकात दिखा दी थी।

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एक विमान को मार गिराया था और बाकी तीन वहां से भाग खड़े हुए थे। ये सभी कुछ कलाईकुंडा में ही हुआ था। तब दो विमानों के फॉरमेशन (two aircraft formation) के लीड पायलट थे,  14 स्क्वाड्रन के एंग्लो-इंडियन फ्लाइट लेफ्टिनेंट अल्फ्रेड कुक।

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Published By : Kiran Rai

पब्लिश्ड 5 October 2023 at 10:14 IST