अपडेटेड 17 November 2024 at 12:01 IST
Jamia News: पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद जामिया में बवाल, आरोपी अरेस्ट; थाने का घेराव
एक मुस्लिम युवक द्वारा सोशल मीडिया पर पैगम्बर मोहम्मद साहब को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी का वीडियो वायरल हो गया।
- भारत
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Jamia News: जामिया में शनिवार की रात उस वक्त तनाव फैल गया जब एक मुस्लिम युवक द्वारा सोशल मीडिया पर पैगम्बर मोहम्मद साहब को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी का वीडियो वायरल हो गया। इस घटना के बाद लोग भड़क उठे और बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर जामिया थाने का घेराव कर दिया।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, आरोपी की पहचान अरमान (28) के रूप में हुई है, जो जामिया नगर का ही निवासी है। अरमान पर इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और वीडियो पोस्ट करने का आरोप है, जिसके चलते इलाके में आक्रोश फैल गया।
आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होते ही, जामिया नगर के सैकड़ों लोग थाने के बाहर जमा होकर आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करने लगे। पुलिस ने हालात को संभालते हुए तुरंत मामला दर्ज कर अरमान को गिरफ्तार कर लिया है। फिलहाल पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है और इलाके में शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं। अधिकारियों ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है और किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न देने की सलाह दी है।
जामिया में गैर-मुस्लिमों के साथ भेदभाव !
वहीं हाल ही में दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया में गैर-मुसलमानों के साथ होने वाले भेदभाव और उनपर डाले जाने वाले धर्मांतरण के दबाव को लेकर एक 65 पेज की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट सामने आई है। ये रिपोर्ट ‘कॉल फॉर जस्टिस’ ट्रस्ट की छह सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम द्वारा तैयार की गई है जिसमें गैर मुस्लिम फैकल्टी, छात्र, पूर्व छात्र और कर्मचारी से बात करके निष्कर्ष दिए गए हैं।
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इस रिपोर्ट के अनुसार एक गैर मुस्लिम महिला सहायक प्रोफेसर ने बताया कि उन्होंने यूनिवर्सिटी में शुरू से ही भेदभाव महसूस किया जहाँ मुस्लिम कर्मचारी गैर मुसलमानों के साथ दुर्व्यवहार और भेदभाव करते थे। उन्होंने बताया कि पीएचडी थीसिस प्रस्तुत करते समय मुस्लिम क्लर्क ने उन पर अपमानजनक टिप्पणियाँ कीं और कहा कि वह कुछ भी हासिल नहीं कर पाएँगी।
मुस्लिम शिक्षक ने क्या कहा ?
इसी तरह दलित समुदाय से संबंध रखने वाले फैकल्टी सदस्य ने बताया कि जब उनको कॉलेज में अपना केबिन अलॉट हुआ तो उन्हें मुस्लिम कर्मचारियों ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि प्रशासन ने एक काफिर को केबिन दे दिया। अगले मामले में एक अनुसूचित जनजाति के एक पूर्व छात्र ने बताया था कि कैसे Med पूरा करने के दौरान एक मुस्लिम शिक्षक ने उनसे क्लास में कहा था कि जब तक वह इस्लाम का पालन नहीं करते, उसकी MED पूरी नहीं होगी। बता दें कि कॉल ऑफ जस्टिस ट्रस्ट की फैक्ट फाइंडिंग टीम द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट को निष्कर्ष तक पहुँचने में 3 महीने से ज्यादा का समय लगा। वहीं इसे तैयार दिल्ली हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एसएन ढींगरा के नेतृत्व में किया गया। छह सदस्यीय इस फैक्ट फाइंडिंग टीम में दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त एसएन श्रीवास्तव भी शामिल थे। रिपोर्ट तैयार होने के बाद टीम सदस्यों ने इसकी सूचना गृह मंत्री (राज्य) नित्यानंद राय को दी।
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Published By : Nidhi Mudgill
पब्लिश्ड 17 November 2024 at 12:01 IST