अपडेटेड 21 August 2024 at 21:02 IST
Jharkhand: टांय-टांय फिस्स... चंपई तेवर के साथ गए दिल्ली, फिर BJP का दामन थामने में कहां फंसा पेंच?
झारखंड में बीते 4-5 दिनों से जारी सियासी उहापोह के बीच पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के राहें जुदा करने का फैसला लिया है।
- भारत
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Champai Soren: झारखंड में बीते 4-5 दिनों से जारी सियासी उहापोह के बीच पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के राहें जुदा करने का फैसला लिया है। कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के बाद चंपाई ने कहा कि हम नया संगठन बनाने जा रहे हैं, जिसका एक हफ्ते में ऐलान होगा।
चंपाई सोरेन ने कहा कि हमारे पास तीन विकल्प थे, एक राजनीति से संन्यास ले लेते, दूसरा, नया संगठन बना लें या फिर तीसरी किसी को दोस्त बना लें। हम राजनीति ने संन्यास नहीं लेंगे। कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के बाद हमने नया संगठन बनाने का फैसला किया है। अगर रास्ते में कोई अच्छा दोस्त मिला तो मिलकर राज्य और समाज की सेवा करूंगा।
हमें नया संगठन बनाने में कोई परेशानी नहीं- चंपाई सोरेन
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरे यहां आते ही 30 से 40 हजार कार्यकर्ता इकठ्ठा हो गए। हमारे कार्यकर्ताओं ने हौसला दिया है कि आप आगे बढ़ो, इसलिए हमें नया संगठन बनाने में कोई परेशानी नहीं है। अगर अच्छा दोस्त मिलता है तो दोस्त के साथ भी आगे बढ़ सकते हैं। हफ्ता भर में इस पर से स्थिति साफ हो जाएगी।
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चंपई सोरेन ने बताई दिल्ली जाने की वजह
सियासी उठा-पठक के बीच चंपई ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर यह जरूर बता दिया कि वो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से नाराज है। वैसे तो वो बीजेपी में शामिल होने की अटकलों को उन्होंने हमेशा ही खारिज किया और कहा कि वो निजी काम से दिल्ली आए हैं। अब चंपई ने दिल्ली जाने पीछे एक ऐसी वजह बताई है जो लोगों के गले से उतर नहीं रही है।
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तो इस काम से दिल्ली गए थे चंपई सोरेन
सरायकेला पहुंचने पर चंपई ने कहा कि वो निजी काम से दिल्ली गए थे। उन्होंने स्थानीय पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि मेरी बेटी और पोता दिल्ली में रहता हैं। मेरा चश्मा टूट गया था और पोते ने कहा कि दादू दिल्ली आइए मैं यहीं ठीक करवा दूंगा। तो मैं दिल्ली अपना टूटा चश्मा ठीक कराने गया था। मैं जब दिल्ली पहुंचा तो भी मैंने कहा था कि मैं अपने बच्चों से मिलने आया हूं।
मुख्यमंत्री रहते मेरा अपमान किया गया- चंपाई सोरेन
बीते दिनों चंपाई सोरेने ने अपने अपमान का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि कहने को तो विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है, लेकिन मुझे बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया था। बैठक के दौरान मुझ से इस्तीफा मांगा गया। मैं आश्चर्यचकित था, लेकिन मुझे सत्ता का मोह नहीं था, इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था।
अपमानजनक व्यवहार से भावुक होकर मैं आंसुओं को संभालने में लगा था, लेकिन उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था। मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है, कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिस पार्टी के लिए हम ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। इस बीच कई ऐसी अपमानजनक घटनाएं हुईं, जिसका जिक्र फिलहाल नहीं करना चाहता। इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने हेतु मजबूर हो गया।
Published By : Sujeet Kumar
पब्लिश्ड 21 August 2024 at 20:25 IST