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Published 09:58 IST, August 30th 2024

आज भगवा का दामन थामेंगे कोल्हान टाइगर चंपई सोरेन, जानें चुनाव से पहले BJP को कितना होगा फायदा

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी नेता चंपई सोरेन आज अपने बेटे के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे।

Reported by: Rupam Kumari
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Champai Soren
Champai Soren | Image: ANI

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी नेता चंपई सोरेन आज अपने बेटे के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे। साल के अंत तक होने वाला विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति नई करवट ले रही है। तमाम-कयासों और अटकलों पर विराम लगाते हुए चंपई ने दिल्ली में बीजेपी नेताओं से मुलाकात के बाद JMM के साथ छोड़ने का फैसला किया था। रांची में उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाई जाएगी।

चंपई सोरेन को रांची में विधानसभा के पास शहीद मैदान में बीजेपी की सदस्यता दिलाई जाएगी। इस दौरान बीजेपी प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी, केंद्रीय कृषि मंत्री सह भाजपा के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान, असम के सीएम और चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा, प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी समेत प्रदेश के कई नेता मौजूद होंगे। चंपई के साथ उनके बेटे की भी बीजेपी की सदस्यता दिलाई जाएगी।

BJP का दामन थामेंगे चंपई सोरेन

विधानसभा चुनाव से पहले कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने से राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ देखने को मिलेगा। कोल्हान क्षेत्र से लगातार 35 वर्षों तक झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए काम करने बाद चंपई ने अब भगवा पार्टी का दामन थामने का फैसला किया है। बीते दिनों चंपई ने इसके पीछे की वजह के बारे में खुलकर बात की थी और सीएम हेमंत सोरेन से नाराजगी की बात भी खुलकर सामने रखी थी।

JMM से क्यों नाराज हैं चंपई सोरेन?

बता दें कि जमीन घाटाले से जुड़े मामले में ED ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जेल जाने से पहले राज्य की सत्ता चंपई सोरेन को दी थी। 6 महीने के बाद जमानत पर जेल से वापस आने के बाद हेमंत सोरेन ने झारखंड की बागडोर एक बार फिर अपने हाथ में ले ली। चंपई सोरेन को सीएम पद से हटाकर खुद कुर्सी पर बैठ गए। बस यही बात चंपई को चुभ गई। चंपई ने हेमंत पर सीएम रहते अपमान करने का भी आरोप लगाए था। दरअसल, कुर्सी संभालने के बाद हेमंत ने उनके कई फैसलों को बदल दिया था।

चंपई के आने से BJP को कितना फायदा?

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि चंपई के आने से भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाने में मदद मिलेगी। चंपई का कोल्हान की सीटों पर अच्छी पकड़ है। खासकर पोटका, घाटशिला और बहरागोड़ा, ईचागढ़, सरायकेला-खरसावां और प. सिंहभूम जिले के विधानसभा क्षेत्रों में उनका मजबूत जनाधार है। 2019 के लोकसभा चुनाव में चंपई ने जमशेदपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था।

कोल्हान की सीट पर चंपई का दबदबा

कोल्हान की जिन सीटोंं पर चंपाई का दबदबा है वो सीटें हैं घाटशिला, बहरागोड़ा, पोटका और ईचागढ़। इन सीटों पर विधानसभा चुनाव में जीत का अंदर 10 से 20 हजार तक होता है। ऐसे में चंपई के भाजपा में शामिल होने से सरायकेला की तीन, पश्चिमी सिंहभूम की 5 और पूर्वी सिंहभूम की 6 कुल 14 सीटों पर विधानसभा चुनाव में समीकरण बदल सकता है। कोल्हान की सीटों पर अच्छी पकड़ के साथ बीजेपी को आदिवासी वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाने में भी मदद मिलेगी।

बाबूलाल मरांडी की चुप्पी पर सवाल

राजनीतिक विशेषज्ञ यह भी मानते है कि चंपई के आने से पार्टी के अंदर खेमेबाजी भी तेज होगी। जानकारों का दावा है कि चंपई के भारतीय जनता पार्टी में आने के फैसले से बाबूलाल मरांडी खुश नहीं हैं। यही वजह है कि पिछले हफ्ते तक वो सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के दावों को खारिज करते नजर आए थे। अब आधिकारिक ऐलान के बाद भी उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है जबकि वो बीजेपी झारखंड के बड़े नेता है। 

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Updated 10:05 IST, August 30th 2024