अपडेटेड 16 November 2024 at 13:04 IST
Jhansi Fire: इस तरह जले नवजात, शव की नहीं हो पा रही पहचान; परिजनों ने की DNA टेस्ट की मांग
Jhansi Fire: कई माता-पिता का आरोप है कि उन्हें उनके बच्चों के शव नहीं दिए गए या गलत शव सौंपे गए हैं। इसलिए परिजनों ने की DNA टेस्ट की मांग उठाई है।
- भारत
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Jhansi Hospital Fire News: झांसी अग्निकांड को लेकर ताजा जानकारी यह सामने आ रही है कि, झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु देखभाल इकाई (NICU) में हुई बच्चों की मौत के बाद पीड़ित माता-पिता ने DNA टेस्ट की मांग की है। दरअसल, हादसे के बाद अस्पताल प्रशासन की ओर से मृत बच्चों के शवों को परिजनों को सौंपने में गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। कई माता-पिता का आरोप है कि उन्हें उनके बच्चों के शव नहीं दिए गए या गलत शव सौंपे गए हैं। इसी भ्रम और असमंजस के चलते वे अपने बच्चों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए DNA टेस्ट की मांग कर रहे हैं, ताकि सच्चाई का पता चल सके और उन्हें न्याय मिल सके।
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नीकू वार्ड में देर रात आग लगने से 10 बच्चों की मौत हो गई। घटना के बाद से ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। कई परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। घटना की जानकारी मिलते ही डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक मेडिकल कॉलेज पहुंचे।
कई बच्चों की हुई पहचान
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक झांसी मेडिकल कॉलेज पहुंचे। उन्होंने घटना पर दुख जताया। झांसी हादसे की शासन और पुलिस स्तर से जांच के आदेश दिए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि आग लगने की वजह का पता लगाया जाएगा। घायलों का इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों की पहचान नहीं हो पा रही है, उनकी जरूरत पड़ने पर डीएनए टेस्ट कराएंगे।
कैसे हुई 10 नवजातों की दर्दनाक मौत
अभी तक जो जानकारी मिल पाई है उसके अनुसार, NISU के एक हिस्से में अचानक शॉर्ट सर्किट होने से आग भड़क उठी। यह घटना रात के करीब 10:30 से 10:45 बजे के बीच की बताई जा रही है। आग लगने की खबर मिलते ही अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। चाइल्ड वार्ड की खिड़कियां तोड़कर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया, जिसमें 35 से ज्यादा बच्चों को किसी तरह सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, मगर 10 मासूमों को बचाया नहीं जा सका।
अस्पताल में मौजूद एक चश्मदीद ने इस घटना को लेकर जो खुलासा किया है, वह बेहद चौंकाने वाला है।
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NISU वार्ड में भर्ती थे 49 नवजात - सचिन माहोर
झांसी मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सचिन माहोर ने बताया कि शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी थी। उस समय वार्ड में 49 नवजात बच्चे दाखिल थे। 39 बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया और सभी की हालत स्थिर है। हालांकि, इस भीषण हादसे में 10 मासूमों की मौत हो गई, जिनमें से 3 की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। वहीं, एक चश्मदीद ने इस त्रासदी के पीछे एक बड़ी लापरवाही का दावा किया है।
ऑक्सीजन सिलेंडर के पास माचिस की तीली जलाना बना हादसे का कारण - चश्मदीद
चश्मदीद का कहना है कि बच्चों के वार्ड में ऑक्सीजन सिलेंडर के पास एक नर्स ने माचिस की तीली जलाई थी। जैसे ही तीली जली, आग तेजी से फैल गई और पूरे वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया। आग इतनी तेजी से फैली कि किसी को संभलने का मौका तक नहीं मिला। दुख की बात यह है कि इस हादसे के दौरान अस्पताल में लगा फायर अलार्म भी नहीं बजा, और जो फायर एक्सटिंग्विशर वहां रखे थे, वे सभी एक्सपायर हो चुके थे। खाली सिलेंडर महज दिखावे के लिए रखे हुए थे।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की मुआवजे की घोषणा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है और मृतक बच्चों के परिजनों को ₹5-5 लाख की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। साथ ही, गंभीर रूप से घायल बच्चों के इलाज के लिए उनके परिवारों को ₹50-50 हजार की सहायता राशि दी जाएगी। उन्होंने इस त्रासदी की उच्चस्तरीय जांच के आदेश भी दिए हैं।
अपने बच्चों की एक झलक के लिए तड़पते परिजन
लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के बाहर का मंजर दिल दहला देने वाला है। NISU वार्ड पूरी तरह जलकर राख हो चुका है। अस्पताल के बाहर रोते-बिलखते परिजनों की चीख-पुकार गूंज रही है। झांसी से सटे महोबा जिले के एक दंपति ने इस हादसे में अपने नवजात को खो दिया। दर्द से टूट चुकी मां ने कहा, 'मेरा बच्चा घर जाने से पहले ही आग में जलकर चला गया।' उनके ये शब्द हर सुनने वाले का कलेजा चीर देने वाले थे। यह कहानी दिलों को झकझोर देने वाली है और अस्पताल की लापरवाही पर कई गंभीर सवाल खड़े करती है।
Published By : Nidhi Mudgill
पब्लिश्ड 16 November 2024 at 12:29 IST