अपडेटेड 5 September 2023 at 12:15 IST

Janmashtami Puja Vidhi: कृष्ण जन्माष्टमी पर कैसे करें पूजा और क्या है पारण का समय?

सनातन धर्म में जन्माष्टमी का पर्व बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग पूजा-पाठ से लेकर व्रत तक रखते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं पूजा विधि और पारण का समय क्या है?

Follow : Google News Icon  
Janmashtami Vrat Puja Vidhi Aur Paran Ka Samay
Janmashtami Vrat Puja Vidhi Aur Paran Ka Samay | Image: self

Janmashtami Vrat Puja Vidhi Aur Paran Ka Samay: हर साल भादो माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाए जाने वाले जन्माष्टमी के त्योहार को अब बस 1 दिन और बचें हैं। सनातन धर्म में इस पर्व को बहुत ही खास माना गया है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार में जन्म लिया था। ऐसे में इस दिन लोग पूजा-पाठ के साथ व्रत भी करते हैं। तो चलिए जानते हैं इस दिन श्री कृष्ण की पूजा कैसे करें और पारण का समय क्या है। 

स्टोरी में आगे ये पढ़ें...

  • कब मनाया जाएगा जन्माष्टमी का त्योहार?
  • जन्माष्टमी पर कैसे करें बाल गोपाल की पूजा?
  • जन्माष्टमी व्रत पारण का क्या है समय?

कब मनाया जाएगा जन्माष्टमी का त्योहार?

जन्माष्टमी का त्योहार इस बार दो दिन 6 और 7 को पड़ रहा है। हिंदी पंचांग के मुताबिक अष्टमी तिथि 6 सितंबर 2023 की दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से शुरू होगी जो 7 सितंबर 2023 की शाम 04 बजकर 14 मिनट पर समाप्‍त होगी। कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा मध्य रात्रि में की जाती है, इसलिए इस साल भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव 6 सितंबर 2023, बुधवार की रात को मनाना शुभ रहेगा। 

जन्माष्टमी पर कैसे करें बाल गोपाल की पूजा?

  • जन्माष्टमी वाले दिन सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर साफ कपड़े पहनें और घर के मंदिर में दीप जलाएं और सभी देवी-देवताओं की पूजा करें।
  • इसके बाद लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें और भोग लगाएं और धूप-दीप जलाएं।
  • फिर रात में पूजा की तैयारी करें। दरअसल, जन्माष्टमी पर रात में पूजा का विशेष महत्व होता है क्योंकि भगवान कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था।
  • रात की पूजा के लिए रात में पानी में काले तिल डालकर नहाएं।
  • इसके बाद श्री कृष्ण के लिए झूला सजाएं और इसमें उनकी प्रतिमा को स्थापित करें।
  • इसके बाद श्रीकृष्ण को पंचामृत या गंगाजल से अभिषेक करें और फिर उनका श्रृंगार करें।
  • इस दिन श्रीकृष्ण का बांसुरी, मोर मुकुट, वैजयंती माला कुंडल, पाजेब, तुलसी दल आदि से श्रृंगार किया जाता है। 
  • पूजा में उन्हें मक्खन, मिठाई, मेवे,मिश्री और धनिया की पंजीरी का भोग लगाएं।
  • फिर आखिरी में श्रीकृष्ण की आरती करें और भोग को प्रसाद के रूप में सभी में बांट दें।

जन्माष्टमी व्रत पारण का क्या है समय?

इस दिन पूजा-पाठ के साथ ही व्रत का विधान भी है, लेकिन इस व्रत में रात में पूजा के बाद पारण किया जा सकता है। ऐसे में जिन लोगों के घर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के समापन के बाद जन्माष्टमी व्रत का पारण होता है, वे देर रात 12:42 बजे के बाद पारण कर सकते हैं। वहीं जो लोग अगले दिन सुबह पारण करते हैं, वे 7 सितंबर को सुबह 06:02 के बाद पारण कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों के यहां अष्टमी तिथि में समापन किया जाता है तो ऐसे लोग 7 सितंबर की शाम 04:14 के बाद पारण कर सकते हैं।

Advertisement

यह भी पढ़ें... Janmashtami 2023: जन्माष्टमी की डेट को लेकर है कंफ्यूजन? जानें 6 या 7 सितंबर कब होगा कृष्णा का जन्मोत्सव

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Advertisement

यह भी पढ़ें... Janmashtami 2023: अगर आप भी रखने जा रहे हैं जन्माष्टमी का व्रत, तो भूलकर भी न करें ये गलतियां

Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 5 September 2023 at 12:13 IST