अपडेटेड 11 January 2024 at 19:50 IST
Jammu Kashmir: वुलर झील में प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार पर लगेगी रोक, CCTV कैमरे लगाए गए
जम्मू-कश्मीर की प्रसिद्ध वुलर झील (Wular Lake) में कड़ाके की ठंड के मौसम में प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार को रोकने के लिए अधिकारियों ने CCTV कैमरे लगाए हैं।
- भारत
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Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर की प्रसिद्ध वुलर झील (Wular Lake) में कड़ाके की ठंड के मौसम में प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार को रोकने के लिए अधिकारियों ने प्रौद्योगिकी की मदद लेते हुए सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। इस अवधि में 10 लाख से अधिक पक्षी पर्यटक यहां आते हैं। वुलर झील, भारत की सबसे बड़ी और एशिया की दूसरी सबसे बड़ी ताजे पानी की झील है, जो लगभग 200 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में और दो उत्तरी कश्मीर जिलों - बारामूला और बांदीपोरा में फैली हुई है।
स्टोरी की 3 बड़ी बातें…
- वूलर झील प्रवासी पक्षियों के शिकार पर लगेगी रोक
- अवैध शिकार रोकने के लिए लगे CCTV कैमरे
- वूलर झील भारत की सबसे बड़ी ताजे पानी की झील
झील घाटी की 60 प्रतिशत मछली उपज प्रदान करती है और लाखों स्थानीय और प्रवासी पक्षियों का घर है। हालाँकि अवैध शिकार के बढ़ते खतरे और अतिक्रमण के कारण, पिछले कुछ वर्षों में झील में प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी देखी गई है। वुलर संरक्षण और प्रबंधन प्राधिकरण (डब्ल्यूयूसीएमए) सहित अधिकारियों ने पिछले कुछ वर्षों में शिकारियों के खिलाफ अभियान चलाया, उनमें से कई को गिरफ्तार किया और शिकारी बंदूकों सहित कई हथियार जब्त किए।
झील के आसपास लगाए गए CCTV कैमरे
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झील के चारों ओर 24 घंटे निगरानी रखने के लिए, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां प्रवासी आबादी रहती है, अधिकारियों ने झील के आसपास रणनीतिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। साथ ही झील को उसकी प्राचीन स्थिति में बहाल करने के लिए कुछ अन्य उपाय भी किए हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
डब्ल्यूयूसीएमए समन्वयक इरफान रसूल वानी ने पीटीआई भाषा को बताया कि सुडरकोटे और बनियार इलाकों में झील के किनारे सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं जिन्हें मोबाइल फोन द्वारा नियंत्रित किया जाता है। वानी ने कहा कि प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल समय की मांग है क्योंकि कर्मचारी चौबीसों घंटे हर क्षेत्र की निगरानी नहीं कर सकते।
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10 वर्ग किमी क्षेत्र को कवर करेंगे कैमरे
उन्होंने कहा कि वुलर एक खुला क्षेत्र है और इसलिए कैमरे सबसे अच्छे निगरानी उपकरण हैं। हम अपने मोबाइल उपकरणों का उपयोग करके चौबीसों घंटे इसकी निगरानी कर सकते हैं। उनकी गतिविधियों को मोबाइल फोन से नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कैमरों ने एक निवारक के रूप में काम किया है क्योंकि उनकी स्थापना के बाद से इन क्षेत्रों में अवैध शिकार की कोई घटना या शिकारियों की आवाजाही नहीं हुई है। अधिकारी ने कहा कि झील के 10 वर्ग किमी क्षेत्र को प्रभावी ढंग से कवर करने के लिए इस महीने और अधिक कैमरे लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभाग क्षेत्र में विशेष रूप से सीमा अतिक्रमण के लिए ड्रोन सर्वेक्षण भी कर रहा है। उन्होंने कहा, "हम अतिक्रमण या क्षति के लिए झील की सीमा की भी निगरानी कर रहे हैं।"
क्षेत्र में इको-टूरिज्म की भी गुंजाइश- अधिकारी
वानी ने कहा कि क्षेत्र में इको-टूरिज्म की भी गुंजाइश है और इसे विकसित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं ताकि वुलर पर निर्भर समुदाय, जिसमें 30 गांव शामिल हैं, को आजीविका कमाने के अवसर मिलें । इससे अवैध शिकार को रोकने में भी मदद मिलेगी। डब्ल्यूयूसीएमए के एक वन रक्षक शौकत मकबूल ने कहा कि इस साल भी हजारों पक्षी यहां पहुंचे हैं। सीसीटीवी कैमरे लगने से उनकी सुरक्षा बढ़ गई है। मकबूल ने कहा, हम अब अपने घरों से भी इलाके में निगरानी रख सकते हैं।
एक स्थानीय निवासी गुलाम नबी डार ने कहा कि सीसीटीवी कैमरों ने न केवल पक्षियों की सुरक्षा में मदद की है, बल्कि इस साल पक्षियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। वुलर झील सिंघाड़े और कमल के तनों के लिए जानी जाती है और यह आसपास के 30 गांवों की जीवन रेखा है। इसे 1990 में रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में नामित किया गया था।
(इनपुट- भाषा- PTI)
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 11 January 2024 at 19:50 IST