अपडेटेड 16 August 2024 at 10:55 IST

अंतरिक्ष में ऐतिहासिक उड़ान, ISRO का 'छुटकु' EOS-8 सैटेलाइट लॉन्च, जानें क्यों अहम है ये मिशन

इसरो ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से SSLV-D3 रॉकेट की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग की गई है।

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ISRO SSLV-D3 Launched
ISRO SSLV-D3 Launched | Image: ISRO SSLV-D3 Launched

ISRO SSLV-D3 Launched: इंडियन स्पेस एजेंसी इसरो ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से SSLV-D3 रॉकेट की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग की गई है।

दरअसल, इसरो ने 16 अगस्त 2024 की सुबह 9 बजकर 17 मिनट पर SSLV-D3 रॉकेट की सफल लॉन्चिंग की। इसी रॉकेट में अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट EOS-8 लॉन्च किया गया है। इसके अलावा एक छोटा सैटेलाइट SR-0 DEMOSAT भी पैसेंजर सैटेलाइट की तरह भेजा गया है। बताया जा रहा है कि दोनों ही सैटेलाइट धरती से 475 किलोमीटर की ऊंचाई के गोलाकार ऑर्बिट में चक्कर लगाएंगे।

लॉन्चिंग के बाद क्या बोले इसरो चीफ एस सोमनाथ?

इसरो ने आज आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से SSLV-D3/EOS-08 मिशन की तीसरी और अंतिम विकासात्मक उड़ान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इसके बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा- ‘नियमित रॉकेट की तुलना में इसका डिजाइन बहुत सरल है। पूरी नेविगेशन प्रक्रिया अलग है। एसएसएलवी की पूरी वास्तुकला और डिजाइन अलग है। ऐसे रॉकेटों में सटीक इंजेक्शन लगाना मुश्किल होता है, यही वो समस्या है जिसका हमने पहले मिशन में सामना किया था। हमने सभी समस्याओं का समाधान किया, दो सफल मिशन बनाए और विकास कार्यक्रम पूरा किया। गगनयान मिशन तैयार हो रहा है और हम दिसंबर महीने में लॉन्च करने का लक्ष्य बना रहे हैं’

अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट EOS-8 मिशन का उद्देश्य

इसरो के मुताबिक,  अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट EOS-8 मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में एक सूक्ष्म-उपग्रह का डिजाइन और उसका विकास करना, सूक्ष्म-उपग्रह बस के साथ संगत पेलोड उपकरणों का निर्माण करना और भविष्य के परिचालन उपग्रहों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को जोड़ना शामिल है।

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इस मिशन की सफलता क्यों अहम?

इस मिशन की सफलता भारत के साथ-साथ दुनियाभर के लिए भी अहम मानी जा रही है। इसकी सक्सेस के बाद भारत धरती की धड़कने सुन पाएगा। इससे समय रहते प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी मिल सकेगी। यह तकनीकी डेमॉन्सट्रेशन और पर्यावरण की मॉनिटरिंग का काम भी करेगा। 

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Published By : Priyanka Yadav

पब्लिश्ड 16 August 2024 at 09:50 IST