अपडेटेड 4 December 2022 at 16:42 IST
जब रिटायर होने आए INS राजपूत ने पाकिस्तान की सबसे एडवांस पनडुब्बी PNS गाजी को डुबो दिया, पढ़ें 1971 के शौर्य की कहानी
जब भारतीय नौसेना के एक पुराने रिटायर होने वाले जहाज INS राजपूत ने पाकिस्तान के सबसे एडवांस पनडुब्बी PNS गाजी को बंगाल की खाड़ी में डुबो दिया था।
- भारत
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पाकिस्तान ने 1971 में भारत से युद्ध जीतने की हर कोशिश की थी। इसके लिए पाकिस्तानी सेना ने जल, थल और आकाश तीनों से हमला किया था और तीनों जगहों पर भारतीय सेनाओं ने उसे मुंह तोड़ जवाब दिया। अंततः भारत ने 16 दिसंबर को 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों का समर्पण करवाया और युद्धविराम की घोषणा के साथ नए देश बांग्लादेश का उदय हुआ। हम बात करेंगे उस युद्ध में एक विशेष ऑपरेशन की, जब भारतीय नौसेना के एक पुराने रिटायर होने वाले जहाज INS राजपूत ने पाकिस्तान के सबसे एडवांस पनडुब्बी PNS गाजी को बंगाल की खाड़ी में डुबो दिया था। जानिए कैसे पाकिस्तान की शान PNS गाजी को भारत के सबसे पुराने INS गाजी ने डुबो दिया था, जिसे लेकर पाकिस्तान आज भी झूठ बोलता रहता है।
पाकिस्तान ने 1971 के युद्ध की शुरुआत में भारतीय वॉरशिप जहाज INS विक्रांत पर हमला करने के लिए अपने सबसे एडवांस पनडुब्बी PNS गाजी को भेजा था। PNS गाजी को पाकिस्तान ने US Navy से खरीदा था। इस पनडुब्बी का नाम USS डियाबलो था। इसे पाकिस्तान ने 1963 में अमेरिका से लिया था।
INS विक्रांत को डुबोने आया PNS गाजी अरब सागर में डूबा
भारत ने पाकिस्तान का समुद्री रास्ता रोकने के लिए बंगाल की खाड़ी में कई वॉरशिप को तैनात किया था। उस दौरान INS विक्रांत पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना पर कहर बनकर टूट रहा था। ऐसे में पाकिस्तान ने PNS गाजी को भारत की सीमा में लैंडमाइंस बिछाने और विक्रांत को नष्ट करने के मकसद से भेजा। जब गाजी कराची बंदरगाह से रवाना हुआ, तभी भारत को इसकी जानकारी मिल गई थी। तब भारतीय नौसेना ने विक्रांत को दक्षिणी कमांड में अपने लोकेशन से हटाकर अंडमान में भेज दिया और INS राजपूत को गाजी को रोकने का आदेश दिया।
तब दक्षिणी कमान के कमांडर वाइस एडमिरल कृष्णन ने INS राजपूत से गाजी को रोकने का प्लान बनाया और इसकी कमान ले. कमांडर इंदर सिंह को सौंपी। ले. कमांडर इंदर सिंह INS राजपूत के कमांडिंग ऑफिसर थे।
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रिटायर होने विशाखापत्तनम आया था INS राजपूत
बता दें कि INS राजपूत पुराना जहाज हो चुका था और इसे रिटायर करने के लिए विशाखापत्तनम लाया गया था। रिटायर होने वाले इस जहाज ने अपने आखिरी दिनों में वो कारनामा कर दिया, जिससे 1971 के युद्ध का पूरा परिदृश्य बदल गया और पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी। ले. कमांडर इंदर सिंह INS राजपूत को लेकर विशाखापत्तनम पोर्ट से बाहर आए। इससे पहले गाजी वहां पहुंच चुका था। चुपचाप समुद्र में छिपकर 90 सदस्यीय क्रू के साथ PNS गाजी INS विक्रांत को ढूंढने लगा। तब INS राजपूत ने उसे फेक सिग्नल भेजने शुरु कर दिए। तब तक गाजी मद्रास (अब चेन्नई) पहुंच गई थी।
गाजी को जब राजपूत का सिग्नल मिला, तो वह इसे ढूंढने निकल गई। राजपूत ने विक्रांत के कॉल और सिग्नल का प्रयोग करते हुए खुद को गाजी के सामने पेश कर दिया। जब गाजी तेजी से राजपूत की ओर बढ़ रही थी, तभी INS राजपूत के कमांडिंग अफसर ले. कमांडर इंदर सिंह ने अपने इंजन बंद करा दिए और गाजी को फेक सिग्नल भेजना जारी रखा।
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हालांकि तब तक गाजी को भारतीय डेस्ट्रॉयर INS राजपूत के होने का अंदाजा हो गया और वह गहरे पानी में चली गई। इससे उसे नेविगेट करने मुश्किल हो गया। INS राजपूत ने आखिरकार गाजी को लोकेट कर लिया और बारूद भरे डेप्थ चार्जेज से हमला करना शुरू किया। तभी राजपूत के कमांडर ने देखा कि समुद्र में तेजी से एक लहर उठी और PNS गाजी समुद्र में अपने पूरे क्रू के साथ डूब गई।
उस समय भारतीय सेना की पूर्वी पाकिस्तान में कमान संभाल रहे तत्कालीन मेजर जनल जेएफआर जैकब (रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल) ने अपनी किताब 'सरेंडर एट ढाका' में बताया कि, "4 दिसंबर की सुबह नौसेना की दक्षिणी कमान के कमांडर वाइस एडमिरल कृष्णन ने मुझे फोन पर बताया कि कुछ मछुआरों को विशाखापत्तनम में गाजी के अवशेष मिले।"
हालांकि पाकिस्तान ने कभी नहीं माना कि भारतीय जहाज ने उसके PNS गाजी को डुबोया। उनका कहना है कि आंतरिक विस्फोट के कारण भारत की सीमा में PNS गाजी डूब गया था। इस ऑपरेशन के बाद INS राजपूत को रिटायर कर दिया गया।
आज भी बंगाल की खाड़ी में मौजूद है PNS गाजी के अवशेष
बंगाल की खाड़ी में आज भी PNS गाजी के अवशेष मौजूद हैं। भारत की समुद्री सीमा में इसे मानचित्र पर दर्शाया गया है। ताकि कोई अन्य जहाज इसके मलबे से ना टकराए।
Published By : Nripendra Singh
पब्लिश्ड 4 December 2022 at 16:42 IST