अपडेटेड May 2nd 2025, 23:07 IST
इंडोनेशिया की एक अदालत ने तीन भारतीय नागरिकों को मौत की सजा सुनाई। अब इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट एक्शन में आ गई है। संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को विदेश मंत्रालय को दखल देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इंडोनेशिया में भारतीय वाणिज्य दूतावास को निर्देश दिया कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए कि दोषी व्यक्तियों को उचित कानूनी प्रतिनिधित्व मिले और अपीलीय उपायों को आगे बढ़ाने में उचित सहायता मिले।
कोर्ट ने वाणिज्य दूतावास को ये भी आदेश दिया है कि मामले में दोषी व्यक्तियों और भारत में रह रहे उनके परिवारों के बीच कम्युनिकेशन की सुविधा स्थापित कराई जाए। केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय (MEA) के स्थायी वकील आशीष दीक्षित ने प्रतिवादियों की ओर से नोटिस स्वीकार किया और मामले में निर्देश प्राप्त करने के लिए समय की मांग की है।
मामले की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस सचिन दत्ता ने अगली सुनवाई के लिए 6 मई, 2025 की तारीख तय की है। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया कि अगर कोई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन या कोई द्विपक्षीय समझौता होने वाला है, तो भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए इंडोनेशियाई सरकार के साथ कूटनीतिक रूप से बातचीत करे।
बता दें, तीन भारतीय नागरिकों - राजू मुथुकुमारन, सेल्वादुरई दिनाकरन और गोविंदसामी विमलकांधन के पार्टनरों ने कोर्ट में यह याचिका दायर की है। इन तीनों को इंडोनेशियाई कोर्ट ने मादक पदार्थों से संबंधित अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाई थी। याचिका के अनुसार, तीनों व्यक्ति एक शिपयार्ड में काम करते थे, जब उन्हें इंडोनेशियाई नारकोटिक्स विभाग ने नशीले पदार्थ रखने के आरोप में हिरासत में लिया था।
इसके बाद, उन्हें 25 अप्रैल, 2025 को तंजुंग बलाई करीमुन जिला कोर्ट के फैसले के अनुसार इंडोनेशियाई कानून के तहत दोषी ठहराया गया और मौत की सजा सुनाई गई। याचिकाकर्ता, दोषी व्यक्तियों की पत्नियों का कहना है कि उनके पति अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले हैं और उनके पास इंडोनेशिया में निर्धारित अपीलीय उपाय का पालन करने के लिए वित्तीय साधन नहीं हैं। उन्होंने आगे बताया कि अपील दायर करने की समय-सीमा अत्यंत सख्त है, जिसके कारण निर्णय के बाद तत्काल कानूनी कार्रवाई करना आवश्यक हो जाता है।
पब्लिश्ड May 2nd 2025, 23:07 IST