अपडेटेड 4 February 2023 at 08:05 IST
Indian History: जानें चौरी-चौरा कांड के बाद महात्मा गांधी ने क्यों वापस लिया असहयोग आंदोलन
Chauri Chaura Incident: गोरखपुर के चौरी-चौरा थाने में हुई इस घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस लिया।
- भारत
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Indian History: भारतीय इतिहास में आज 4 फरवरी का दिन अमर (Non-Coperation Movement Mahatma Gandhi) है। आजादी की लड़ाई में 4 फरवरी का दिन यादगार बन गया। आज के ही दिन चौरी-चौरा कांड (Chauri Chaura Incident) हुआ था, जिसके बाद महात्मा गांधी को असहयोग आंदोलन (Non-Coperation Movement) वापस लेना पड़ा था। 4 फरवरी 1922 को जब महात्मा असहयोग आंदोलन की यात्रा कर रहे थे तो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर (Gorakhpur) में चौरी-चौरा थाने के पास कुछ ऐसा हुआ, जो इतिहास बन गया। दरअसल गोरखपुर के चौरी-चौरा थाने में गुस्साए लोगों की भीड़ ने आग लगा दी। क्रांतिकारियों के लगाए इस आग में 23 पुलिसकर्मियों की मौत हुई। सभी पुलिसवाले अपनी ड्यूटी पर तैनात थे इसलिए उन्हें शहीद घोषित किया गया। इसके अलावा कई सत्याग्रही भी शहीद हुए। इसलिए भारत में आज के इस दिन को शहादत दिवस के रुप में भी मनाया जाता है।
...तो इसलिए गांधी ने वापस लिया असहयोग आंदोलन
4 फरवरी को हुई इस हिंसक घटना के बाद 12 फरवरी 1922 को महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया। इसके बाद 16 फरवरी 1922 को गांधी ने अपने लेख 'चौरी चौरा का अपराध' में लिखा कि अगर ये आंदोलन वापस नहीं लिया जाता तो दूसरी जगहों पर भी ऐसी घटनाएं होतीं। हालांकि महात्मा गांधी ने इस घटना के लिए पुलिसवालों को जिम्मेदार ठहराया। गांधी के अनुसार पुलिस वालों ने अगर लोगों को भड़काया ना होता तो क्रांतिकारियों ने इस तरह घटना को अंजाम नहीं दिया होता। वहीं दूसरी तरफ थाने को आग के हवाले करने वाले लोगों से अपनेआप को पुलिस के हवाले करने के लिए भी क्योंकि उन्होंने अपराध किया था।
बाद में महात्मा गांधी के ऊपर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया और उन्हें जेल भी जाना पड़ा। महात्मा गांधी को मार्च 1922 में गिरफ्तार किया गया। गांधी का मानना था कि अगर असहयोग आंदलोन को सही तरीके से चलाया जाएगा तो एक साल के भीतर ही अंग्रेज भारत छोड़कर चले जाएंगे। इसकी कड़ी में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में 4 सितंबर 1922 को असहयोग आंदोलन प्रस्ताव पारित किया गया।
चौरी-चौरा शहीद स्मारक
गोरखपुर में 1971 में शहीद स्मारक समिति का गठन किया गया। इस समिति ने 1973 में चौरी-चौरा में ही एक 12.2 मीटर ऊंचा मीनार बनाया। लोगों मे इसके लिए चंदा दिया था और करीब 13,500 रुपए की लागत से इसे बनाया गया।
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Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 4 February 2023 at 07:55 IST