अपडेटेड 9 January 2024 at 09:09 IST

Maldives में क्यों मौजूद हैं भारतीय सैनिक? जानें वहां क्या है Indian Army का काम

Maldives vs Lakshadweep: क्या आप जानते हैं कि मालदीव में भारतीय सैनिक मौजूद हैं। आइए जानते हैं कि उनका वहां क्या काम है और उन्हें क्यों तैनात किया गया है।

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Indian Army
Indian Army | Image: PTI

Indian Army in Maldives: मालदीव बीते दिनों से काफी चर्चा में है। खासकर भारत में सोशल मीडिया पर बायकॉट मालदीव ट्रेंड भी कर रहा है। दरअसल, मामला भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप को लेकर एक पोस्ट से शुरू हुआ। पीएम मोदी ने लक्षद्वीप में टूरिज्म को प्रमोट करने के लिए यहां की अपनी कुछ तस्वीरें शेयर की, जिसके बाद मालदीव के कुछ मंत्रियों ने ऐसी टिप्पणी की, जो किसी भी भारतीय के लिए असहनीय था। और फिर शुरुआत हुई मालदीव को बायकाट करने की। बता दें, मालदीव की भारत ने कई मौकों पर मदद की है लेकिन अब मालदीव का रुख बदल गया है। वो चाहता है कि उसके यहां मौजूद भारतीय सैनिक चले जाएं। लेकिन आप जानते हैं कि आखिर मालदीव में भारतीय सैनिक क्या कर रहे हैं?

खबर में आगे पढ़ें:

  • मालदीव में मौजूद हैं भारतीय सैनिक
  • मालदीव में क्या कर रहे भारतीय सैनिक?
  • मालदीव का विरोध कर रहे भारत के लोग

मालदीव में भारतीय सेना के करीब 70 सैनिक मौजूद हैं। वैसे तो भारतीय सैनिक मालदीव में कई कारणों से हैं। इन सभी सैनिकों के पास टोही विमान होते हैं। इन विमानों से वो हिंद महासागर की निगरानी करते हैं। इसके अलावा भारतीय जांबाज मालदीव में राहत बचाव कार्य और मेडिकल सहायता भी पहुंचाते हैं। कुछ समय पहले भारतीय नौसेना ने मालदीव में एक डोर्नियार प्लेन और दो हेलिकॉप्टर तैनात किया है। इससे 200 छोटे-छोटे द्वीपों के मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जाता है।

1988 में पहली बार मालदीव भेजे गए भारतीय सैनिक

1988 में मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल गयूम ने भारतीयो सैनिकों को यहां तैनात होने के लिए बुलाया था। उस समय मालदीव के हालात कुछ ठीक नहीं थे। स्थिति पर नियंत्रण रखने में मदद के लिए मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति ने भारतीय सैनिकों को वहां बुलाया था।

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अपनी सुरक्षा के लिए मालदीव ने भारतीय सेना की मांगी थी मदद

मालदीव में आंतरिक कलह इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि तत्कालीन राष्ट्रपति गयूम को अपनी सुरक्षा के लिए भारत से मदद मांगनी पड़ी। मालदीव के व्यापारी अब्दुल्ला लुथूफी और उनके साथी सिक्का अहमद इस्माइल मानिक गयूम के खिलाफ तख्तापलट की साजिश रच रहे थे। आलम ये था कि राष्ट्रपति गयूम को एक सेफ हाउस में छिपकर भारत को फोन करना पड़ा।

तत्कालीन राष्ट्रपति ने अपनी सुरक्षा के लिए मदद मांगी और भारत की तत्कालीन राजीव गांधी की सरकार ने कुछ ही घंटों में भारतीय सैनिकों की एक टुकड़ी हवाई जहाज के जरिए वहां भेज दी। भारतीय सेना की टुकड़ी मालदीव के हुलगुले एयरपोर्ट पर पहुंचे और वहां से सेफ हाउस तक पहुंचे, जहां मालदीव के राष्ट्रपति छिपे हुए थे। भारतीय सेना ने राष्ट्रपति गयूम को विद्रोहियों से बचा लिया। हालांकि अब मालदीव में अब नई सरकार राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू की है। मोइज्जू चीन के करीब माने जाते हैं। ऐसे में मालदीव और भारत के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं।

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Published By : Arpit Mishra

पब्लिश्ड 9 January 2024 at 09:06 IST