अपडेटेड 25 February 2025 at 21:46 IST

आतंकवाद के प्रति हमेशा कतई बर्दाश्त नहीं करने का रुख रखेगा भारत: एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि एक नयी बहुपक्षीय प्रणाली की स्पष्ट और तत्काल आवश्यकता है जो समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं को दर्शाती हो।

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एस जयशंकर | Image: ANI

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि एक नयी बहुपक्षीय प्रणाली की स्पष्ट और तत्काल आवश्यकता है जो समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं को दर्शाती हो, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में मौजूदा संरचनाओं की गंभीर रूप से कमी उजागर हुई है।

जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 58वें सत्र में एक वर्चुअल संबोधन में, उन्होंने यह भी कहा कि भारत हमेशा आतंकवाद के खिलाफ ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने की’ नीति की वकालत करेगा और इसे सामान्य बनाने के किसी भी प्रयास का आह्वान करेगा।

विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में भू-राजनीतिक उथल-पुथल पर चर्चा करते हुए, जयशंकर ने कहा कि दुनिया संघर्षों से जूझ रही है और उभरती चुनौतियों के सामने यह अधिक खंडित, अनिश्चित और अस्थिर होती जा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘एक बहुपक्षीय प्रणाली की स्पष्ट और तत्काल आवश्यकता है जो समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं को दर्शाती हो, जो आधुनिक चुनौतियों का जवाब देने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित हो और, संक्षेप में, उद्देश्य के लिए उपयुक्त हो।’’

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जयशंकर ने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में मौजूदा बहुपक्षीय संरचनाओं की गंभीर अपर्याप्तता उजागर हुई है। जब दुनिया को उनकी सबसे अधिक आवश्यकता थी, तो वे अपर्याप्त पाई गईं।’’

जयशंकर ने कहा कि भारत ने हमेशा मानवाधिकारों के वैश्विक प्रचार और संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाई है।

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उन्होंने कहा, ‘‘हमारा दृष्टिकोण हमारे भागीदारों की प्राथमिकताओं के अनुरूप क्षमता निर्माण और मानव संसाधन तथा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर केंद्रित रहा है जिसमें हमेशा वित्तीय जिम्मेदारी, पारदर्शिता और स्थिरता के सिद्धांतों को कायम रखा गया हो।’’

जयशंकर ने कहा कि दुनिया भर के देशों के साथ भारत की विकास साझेदारी इस प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही, हम आतंकवाद का मुकाबला करने में दृढ़ और अडिग रहे हैं। भारत हमेशा आतंकवाद के लिए कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति की वकालत करेगा और इसे सामान्य बनाने के किसी भी प्रयास का विरोध करेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम वसुधैव कुटुम्बकम् यानी दुनिया को एक परिवार मानने की बात केवल बोलते नहीं हैं, बल्कि इसके अनुसार जीते हैं। और आज, पहले से कहीं अधिक, इस दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया संघर्षों और संकटों से जूझ रही है, उभरती चुनौतियों के सामने और अधिक खंडित, अनिश्चित तथा अस्थिर होती जा रही है, जबकि यह हाल की चुनौतियों से उबरने के लिए संघर्ष कर रही है।’’

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सुधारों की दिशा में प्रयासों का समर्थन करने और उनका नेतृत्व करने के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मानवाधिकारों के वैश्विक संवर्धन और संरक्षण तथा सभी लोगों के लिए उनके पूर्ण कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहता हूं।’’

Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 25 February 2025 at 21:46 IST