Published 17:08 IST, August 29th 2024
हसीना के अपदस्थ होने के बाद बांग्लादेश से संबंधों पर पुनर्विचार करे भारत: बीएनपी नेता
खालिदा जिया के नेतृत्व वाली पार्टी बीएनपी के नेता अमीर खुसरो महमूद चौधरी ने कहा कि बांग्लादेश अपने सबसे करीबी पड़ोसी देश भारत से मजबूत संबंध चाहता है।
बीएनपी के एक वरिष्ठ नेता ने पूर्व राजनयिकों, नौकरशाहों, नेताओं और संस्थाओं पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि वे भारत को यह मानने के लिए भ्रमित कर रहे हैं कि शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के बिना भारत-बांग्लादेश के संबंध खराब होंगे। खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेता अमीर खुसरो महमूद चौधरी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भारत के चिंता जताने के कुछ दिन बाद कहा कि यह देश का आंतरिक मामला है। हालांकि उन्होंने कहा कि बांग्लादेश अपने सबसे करीबी पड़ोसी देश भारत से मजबूत संबंध चाहता है।
चौधरी की पार्टी बीएनपी हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग (एएल) की चिर प्रतिद्वंद्वी रही है। हसीना देशभर में हुए छात्र आंदोलन के मद्देनजर पांच अगस्त को देश छोड़कर भारत चली गई थीं। इसके बाद आठ अगस्त को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया गया, जो चुनाव होने तक काम करेगी। चौधरी ने यहां ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में “पूर्व राजनयिकों, अधिकारियों, राजनीतिक नेताओं और संस्थाओं के रुख” पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह बांग्लादेश के बारे में भारत को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से भारत-बांग्लादेश के रिश्ते खराब हुए हैं।
उन्होंने कहा, “इस तथाकथित व्यवस्था ने ऐसा हौव्वा खड़ा किया है कि अगर अवामी लीग नहीं होगी, तो भारत के लिए सुरक्षा संबंधी समस्याएं खड़ी होंगी; अगर शेख हसीना नहीं होंगी तो देश कट्टरपंथियों के हाथों में चला जाएगा; अगर अवामी लीग नहीं होगी, तो बांग्लादेश में हिंदू खतरे में पड़ जाएंगे।” उन्होंने कहा, “यह पूरी तरह से झूठ और जानबूझकर गढ़ी गई कहानी है। इन लोगों को अब जाग जाना चाहिए। बांग्लादेश सबसे उदार देशों में से एक है; यहां हिंदू और मुसलमान सदियों से एक साथ रहते आए हैं।”
बांग्लादेश में हसीना सरकार के गिरने के बाद कई दिनों तक चली हिंसा के दौरान अल्पसंख्यक हिंदू आबादी को आर्थिक नुकसान हुआ है तथा हिंदू मंदिरों को नष्ट किए जाने के आरोप सामने आए हैं। चौधरी ने कहा, "मतभेद हो सकते हैं, लेकिन बांग्लादेश में कोई भी सरकार अपने अल्पसंख्यकों पर हमलों का समर्थन नहीं करती है। बांग्लादेश का संविधान सभी को समान अधिकार की गारंटी देता है और सबसे बढ़कर, हम अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक की अवधारणा में विश्वास नहीं करते हैं। हमें अल्पसंख्यकों के सवाल पर यह कहते हुए खेद है कि यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला है।"
उन्होंने कहा, "हमारे देश में अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर दूसरे लोग कैसे टिप्पणी कर सकते हैं? यह राजनयिक संबंधों में कैसे आड़े आ सकता है? यह हमारा आंतरिक मामला है। हम कभी भी इस बारे में शिकायत नहीं करते कि भारतीय अल्पसंख्यकों के साथ क्या होता है, इसलिए किसी को भी यहां अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।" चौधरी ने भारत से "अतीत’’ (2000 के दशक की शुरुआत में बीएनपी का शासन) को पीछे छोड़ने का आग्रह करते हुए कहा, "भारत को बांग्लादेश के लोगों की नब्ज को समझना होगा। रिश्ते बांग्लादेश के लोगों के साथ होने चाहिए।”
Updated 17:08 IST, August 29th 2024