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Published 14:46 IST, October 12th 2024

भारत को बांग्लादेश के लिए खतरा बताया जा रहा, देश के संकल्प की परीक्षा ले रहे मायावी षडयंत्र: भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत अधिक सशक्त हुआ है तथा विश्व में उसकी साख भी बढ़ी है लेकिन मायावी षडयंत्र देश के संकल्प की परीक्षा ले रहे हैं।

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“To Be Hindu Means to Be the Most Generous Person in the World,”Says RSS Chief Mohan Bhagwat“To Be Hindu Means to Be the Most Generous Person in the World,”Says RSS Chief Mohan Bhagwat
RSS प्रमुख मोहन भागवत | Image: PTI

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत अधिक सशक्त हुआ है तथा विश्व में उसकी साख भी बढ़ी है लेकिन मायावी षडयंत्र देश के संकल्प की परीक्षा ले रहे हैं।

भागवत ने बांग्लादेश की स्थिति के संदर्भ में कहा कि बांग्लादेश में यह बात फैलाई जा रही है कि भारत एक खतरा है और उन्हें बचाव के लिए पाकिस्तान से हाथ मिलाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत और राष्ट्रीय चरित्र की दृढ़ता धर्म की विजय के लिए शक्ति का आधार बनती है, चाहे स्थिति अनुकूल हो या नहीं।

वह नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वार्षिक विजया दशमी रैली को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘हर किसी को लगता है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत अधिक सशक्त हुआ है तथा विश्व में उसकी साख भी बढ़ी है। कोई भी देश लोगों के राष्ट्रीय चरित्र से महान बनता है। संघ के शताब्दी वर्ष में कदम रखने के कारण यह साल महत्वपूर्ण है।’’

भागवत ने कहा कि भारत में आशाओं और आकांक्षाओं के अलावा चुनौतियां और समस्याएं भी मौजूद हैं।

संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘हमें अहिल्याबाई होलकर, दयानंद सरस्वती, बिरसा मुंडा और कई ऐसी हस्तियों से प्रेरणा लेनी चाहिए जिन्होंने अपना जीवन देश के कल्याण, धर्म, संस्कृति और समाज के प्रति समर्पित कर दिया।’’

उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया में इजराइल के साथ हमास का संघर्ष अब कहां तक फैलेगा, यह चिंता सबके सामने उपस्थित है।

भागवत ने कहा, ‘‘अपने देश की परिस्थितियों में आशा व आकांक्षाओं के साथ चुनौतियां व समस्याएं भी हैं। गत वर्षों में भारत एक राष्ट्र के तौर पर विश्व में सशक्त और प्रतिष्ठित हुआ है। विश्व में उसकी साख बढ़ी है।’’

भागवत ने संतोष जताया कि जम्मू कश्मीर में हाल में हुआ विधानसभा चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हुआ।

उन्होंने विश्वास जताया कि देश की युवा शक्ति, मातृशक्ति, उद्यमी, किसान, श्रमिक, जवान, प्रशासन, शासन सभी प्रतिबद्धतापूर्वक अपने कार्य में डटे रहेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘गत वर्षों में देशहित की प्रेरणा से इन सबके द्वारा किए गए पुरुषार्थ से ही विश्व पटल पर भारत की छवि, शक्ति, कीर्ति व स्थान निरंतर उन्नत हो रहे है। लेकिन हम सबके इस कृतनिश्चय की मानो परीक्षा लेने कुछ मायावी षडयंत्र हमारे सामने उपस्थित हुए हैं, जिन्हें ठीक से समझना आवश्यक है।’’

भागवत ने कहा, ‘‘अपने देश के वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए ऐसी चुनौतियां स्पष्ट रूप से सामने दिखायी देती हैं। देश के चारों तरफ के क्षेत्रों को अशांत व अस्थिर करने के प्रयास गति पकड़ते हुए दिखायी देते हैं।’’

भागवत ने कहा कि हाल में बड़े राजनीतिक उथल-पुथल से गुजरे पड़ोसी देश बांग्लादेश में यह धारणा फैलायी जा रही है कि भारत एक खतरा है और उन्हें भारत से बचाव के लिए पाकिस्तान से हाथ मिलाना चाहिए। कौन ऐसी धारणा फैला रहा है।’’

संघ प्रमुख ने कहा कि बांग्लादेश में अत्याचारी कट्टरपंथी स्वभाव जब तक विद्यमान है, तब तक वहां हिदुओं सहित सभी अल्पसंख्यक समुदायों के सिर पर खतरे की तलवार लटकी रहेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ और इसके कारण आबादी का असंतुलन आम लोगों के बीच भी गंभीर चिंता का विषय बन गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘असंगठित रहना व दुर्बल रहना यह दुष्टों के द्वारा अत्याचारों को निमंत्रण देना है, यह पाठ भी विश्व भर के हिंदू समाज को ग्रहण करना चाहिए।’’

भागवत ने कहा कि सरकार को नियंत्रित करने वाली परोक्ष ताकतें (डीप स्टेट) और ‘सांस्कृतिक मार्क्सवादी’ सभी सांस्कृतिक परंपराओं के घोषित शत्रु हैं।

उन्होंने कहा कि बहुदलीय प्रजातांत्रिक शासन प्रणाली में सत्ता प्राप्त करने के लिये दलों के बीच स्पर्धा होती है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर समाज में विद्यमान छोटे स्वार्थ, परस्पर सद्भावना अथवा राष्ट्र की एकता व अखंडता से अधिक महत्वपूर्ण हो गए या दलों की स्पर्धा में समाज की सद्भावना व राष्ट्र का गौरव व एकात्मता गौण माने गए तो ऐसी दलीय राजनीति में एक पक्ष की सहायता में खड़े होकर पर्यायी राजनीति के नाम पर अपनी विभाजनकारी कार्यसूची को आगे बढ़ाना इसकी कार्यपद्धति है।’’

उन्होंने कहा कि समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिशें राष्ट्रीय हित से बड़ी हो गयी हैं। उनकी कार्यप्रणाली एक पार्टी के समर्थन में खड़े होना और ‘‘वैकल्पिक राजनीति’’ के नाम पर अपने विनाशकारी एजेंडे को आगे बढ़ाना है।

संघ प्रमुख ने हाल में गणेशोत्सव के दौरान गणपति विजर्सन की शोभायात्राओं पर ‘‘बिना उकसावे के किए गए पथराव’’ पर भी चिंता जतायी और समाज के किसी एक खास वर्ग पर हमला करने, अकारण हिंसा पर उतारू होने और भय पैदा करने की कोशिश जैसे कृत्यों की निंदा की।

उन्होंने कहा कि इसलिए समाज में भी सदैव पूर्ण सतर्क रहने और इन कुप्रवृत्तियों को प्रश्रय देने वालों को पहचानने की आवश्यकता उत्पन्न हो गयी है।

संघ प्रमुख ने सहिष्णुता और सौहार्दता को भारतीय परंपराएं बताते हुए कहा कि एक स्वस्थ एवं सक्षम समाज के लिए पहली शर्त विभिन्न वर्गों के बीच सामंजस्य एवं आपसी सद्भावना है और इसे किसी प्रतीकात्मक कार्यक्रम के माध्यम से हासिल नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हर किसी एक-दूसरे के उत्सवों में भाग लेना चाहिए और वे पूरे समाज के उत्सव बनने चाहिए।’’

भागवत ने संस्कारों के क्षरण पर चिंता जताते हुए कहा कि विभिन्न तंत्रों तथा संस्थानों के द्वारा कराए गए विकृत प्रचार व कुसंस्कार भारत में, विशेषत: नयी पीढ़ी के मन-वचन-कर्मों को बहुत बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि बड़ों के साथ बच्चों के हाथों में भी मोबाइल फोन पहुंच गया है, वहां क्या दिखा रहे हैं और बच्चे क्या देख रहे हैं, इस पर नियंत्रण नहीं के बराबर है।

उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी में जंगल की आग की तरह फैलने वाली नशीले पदार्थ की आदत भी समाज को अंदर से खोखला कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘अच्छाई की ओर ले जाने वाले संस्कार पुनर्जीवित करने होंगे।’’

भागवत ने कोलकाता में चिकित्सक से दुष्कर्म-हत्या की घटना को शर्मनाक बताया और कहा कि अपराधियों को बचाने की कोशिशें की गयीं। उन्होंने कहा, ‘‘अपराध, राजनीति और अपसंस्कृति का गठजोड़ हमें बर्बाद कर रहा है।’’

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Updated 14:46 IST, October 12th 2024